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Navratri 2020: यहां आसमान तले बाग में विराजी हैं माता, जानें क्या है देवी बाग की मान्यता - Navratri 2020

विदिशा में माता देवी बाग के नाम से प्रसिद्ध स्थान पर माता खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं, जहां नवरात्रि में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. जानें इस मंदिर की क्या है मान्यता..

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माता देवी बाग
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Published : Oct 17, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Oct 17, 2020, 8:16 PM IST

विदिशा। आज से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हुई है, जिसे पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. देशभर में माता रानी कहीं पहाड़ों पर तो कहीं गुफाओं में विराजमान हैं, जिनकी विशाल मंदिरों में पूजा की जाती है. वहीं विदिशा जिला मुख्यालय में प्राचीन देवी बाग के नाम से एक स्थान ऐसा है, जहां कोई मंदिर नहीं है बल्कि खुले आसमान के नीचे माता देवी बाग में विराजमान हैं.

माता देवी बाग

वृक्ष के नीचे विराजमान है देवी

मातारानी खुले इमली के वृक्षों की छांव में विराजी है, यह स्थान एक बगीचे के रूप में हैं. यही कारण है इसे 'देवी बाग' के नाम से जाना जाता है. आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ये लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. भक्त मां के सामने खाली झोली फैलाकर आते हैं और झोली भरकर यहां से लौटते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता के दरबार से आज तक कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त इस स्थान पर एक पीतल का घंटा बांधकर जाता है, यहां कई ऐसे घंटे बंधे हैं, जो खुद लोगों की मनोकामना पूरी होने की गवाही देते हैं.

ये है मंदिर की मान्यता

ऐसा माना जाता है कि यहां माता के लिए मंदिर का निर्माण किया जाता है, तो माता रानी उन दीवारों को अपने आप गिरा देती हैं. मंदिर के नाम पर यहां एक चबूतरा बना है, जिस पर नौ दिन तक भव्य पूजा अर्चना का दौर जारी रहता है. बताया जाता है कि सिंधिया रियासत के समय इस बाग का निर्माण कराया गया था, तब से लेकर आज तक यह स्थान लोगों की बड़ी आस्था का केंद्र बना हुआ है.

जुड़ी है भक्तों की आस्था

60 वर्षीय गीता सोनी करीब 35 सालों से लगातार इस स्थान पर देवी की भक्ति करने आ रही हैं. गीता सोनी ने बताया कि उनके पति का ट्रांसफर लिस्ट में नाम आ गया था, जिसके बाद उन्होंने माता रानी के यहां अर्जी लगाई, जिसके बाद उनके पति का नाम लिस्ट से हट गया. मुरारीलाल राजोरिया भी करीब 21 सालों से देवी के स्थान पर लगातार आ रहे हैं. मुरारीलाल बताते हैं, यहां देवी खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं, यहां कोई भी मंदिर का निर्माण कराया जाता है तो मंदिर की दीवारें अपने आप गिर जाती है.

ये भी पढ़े- इस बार पूरे नौ दिन की होगी नवरात्रि, 58 साल बाद ऐसा शुभ संयोग, ऐसे करें मां भगवती की पूजा

लक्ष्मी चतुर्वेदी मंदिर की सालों से देख-रेख कर रही है, उन्होंने बताया कि माता के दर्शन के लिए शहर के साथ बड़ी दूरदराज से श्रद्धालु पहुंचते है. सीवी शर्मा नवरात्रि के मौके पर पूरे नौ दिन तक देवी के दरबार में हाजरी लगाने आती है. उन्होंने कहा कि ये बहुत सिद्ध स्थान है, जो भी यहां आता है सबकी मनोकामना पूरी होती है.

पूरे देश में नवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए नवरात्र का त्योहार मना रहे है.

विदिशा। आज से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हुई है, जिसे पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. देशभर में माता रानी कहीं पहाड़ों पर तो कहीं गुफाओं में विराजमान हैं, जिनकी विशाल मंदिरों में पूजा की जाती है. वहीं विदिशा जिला मुख्यालय में प्राचीन देवी बाग के नाम से एक स्थान ऐसा है, जहां कोई मंदिर नहीं है बल्कि खुले आसमान के नीचे माता देवी बाग में विराजमान हैं.

माता देवी बाग

वृक्ष के नीचे विराजमान है देवी

मातारानी खुले इमली के वृक्षों की छांव में विराजी है, यह स्थान एक बगीचे के रूप में हैं. यही कारण है इसे 'देवी बाग' के नाम से जाना जाता है. आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ये लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. भक्त मां के सामने खाली झोली फैलाकर आते हैं और झोली भरकर यहां से लौटते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता के दरबार से आज तक कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त इस स्थान पर एक पीतल का घंटा बांधकर जाता है, यहां कई ऐसे घंटे बंधे हैं, जो खुद लोगों की मनोकामना पूरी होने की गवाही देते हैं.

ये है मंदिर की मान्यता

ऐसा माना जाता है कि यहां माता के लिए मंदिर का निर्माण किया जाता है, तो माता रानी उन दीवारों को अपने आप गिरा देती हैं. मंदिर के नाम पर यहां एक चबूतरा बना है, जिस पर नौ दिन तक भव्य पूजा अर्चना का दौर जारी रहता है. बताया जाता है कि सिंधिया रियासत के समय इस बाग का निर्माण कराया गया था, तब से लेकर आज तक यह स्थान लोगों की बड़ी आस्था का केंद्र बना हुआ है.

जुड़ी है भक्तों की आस्था

60 वर्षीय गीता सोनी करीब 35 सालों से लगातार इस स्थान पर देवी की भक्ति करने आ रही हैं. गीता सोनी ने बताया कि उनके पति का ट्रांसफर लिस्ट में नाम आ गया था, जिसके बाद उन्होंने माता रानी के यहां अर्जी लगाई, जिसके बाद उनके पति का नाम लिस्ट से हट गया. मुरारीलाल राजोरिया भी करीब 21 सालों से देवी के स्थान पर लगातार आ रहे हैं. मुरारीलाल बताते हैं, यहां देवी खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं, यहां कोई भी मंदिर का निर्माण कराया जाता है तो मंदिर की दीवारें अपने आप गिर जाती है.

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लक्ष्मी चतुर्वेदी मंदिर की सालों से देख-रेख कर रही है, उन्होंने बताया कि माता के दर्शन के लिए शहर के साथ बड़ी दूरदराज से श्रद्धालु पहुंचते है. सीवी शर्मा नवरात्रि के मौके पर पूरे नौ दिन तक देवी के दरबार में हाजरी लगाने आती है. उन्होंने कहा कि ये बहुत सिद्ध स्थान है, जो भी यहां आता है सबकी मनोकामना पूरी होती है.

पूरे देश में नवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए नवरात्र का त्योहार मना रहे है.

Last Updated : Oct 17, 2020, 8:16 PM IST
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