विदिशा। आधुनिकता में दौर में दुनिया से कदम से कदम मिलाकर चल रहे भारत में आज भी कई ऐसे किस्से देखने को मिल जाते हैं, जिन्हें अंधविश्वास ही कहा जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी अपने मन में कई ऐसे डर पालकर बैठे हैं, जिसकी चपेट में बुजुर्ग तो क्या आज के नौजवान भी हैं. यही वजह है कि विकास का पहिया भी वहां थम-सा गया है. जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर काफ गांव की कहानी देशभर के तमाम गांवों से सबसे जुदा है. 400 से 500 आबादी वाले इस गांव में एक भी मकान पर पक्की छत नहीं डली है.
पक्की छत से हो जाती है अनहोनी
ग्रामीणों का मानना है कि अगर गांव में कोई भी शख्स अपने घर पर पक्की छत डाल लेता है तो गांव में वो मकान मालिक बड़े हादसे का शिकार हो जाता हैं. इसके अलावा उस परिवार के सदस्यों में कोई पागल हो जाता है तो कोई अपनी जान से हाथ धो बैठता है.
मंदिर और स्कूलों में सिर्फ पक्की छत
इस गांव में मकानों को छोड़ सिर्फ स्कूलों और मंदिरों में ही दूर-दूर तक पक्की छतें देखने को मिलती हैं. सिर्फ सरकारी स्कूल और मंदिर ही हैं, जहां RCC की छत डली है. बाकी पूरा गांव मकानों में या तो खपरैल है या कहीं-कहीं पर टीन की छत डालकर लोग रह रहे हैं.
आवास योजना के तहत बनने वाले घरों में भी टीन की छत
काफ गांव में रहने वाले ग्रामीणों में इस रूढ़िवादी परंपरा का खौफ इस तरह से समाया हुआ है कि वहां लोग लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों में भी लोग पक्की छत के बजाय टीन की छत ही डलवाते हैं.
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किया जाएगा लोगों को जागरुक
जब इस गांव की जानकारी को मुख्य कार्यपालन अधिकारी केवी मालवीय को दी गई तो उन्होंने कहा कि ये अंधविश्वास है. इस अंधविश्वास को खत्म करने के लिए एक टीम का गठन किया जाएगा, जो गांव जाकर ग्रामीणों के बीच जागरुकता फैलाएगी.
ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है. साथ ही उम्मीद करता है कि जल्द ही लोग इस रुढ़िवादी सोच को पीछे कर विकास की राह पर आगे बढ़ेंगे.