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लॉकडाउन में फिसड्डी गुरूजी! विदिशा में 70 फीसदी बच्चे योजना से वंचित, 562 शिक्षकों ने ही भेजी रिपोर्ट - ऑनलाइन पढ़ाई में फेल शिक्षक

विदिशा जिले में लॉकडाउन के दौरान बच्चों की शिक्षा बहुत हद तक प्रभावित हुई है, कुल 2013 स्कूलों में से रोजाना 400-500 बच्चे ही पोर्टल पर अपनी जानकारी भर रहे हैं, जबकि शिक्षक तो इस मामले में बच्चों से भी ज्यादा फिसड्डी साबित हो रहे हैं. जहां सिर्फ 562 शिक्षकों ने ही पोर्टल पर रिपोर्ट भरा है.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Dec 9, 2020, 9:24 PM IST

विदिशा। हमारा घर हमारा विद्यालय के तहत बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाने में जिले के शिक्षक रुचि नहीं ले रहे हैं, शिक्षा विभाग भले ही कितने दावे कर रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं. हालात ये हैं कि 70 फीसदी स्कूलों में बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई मोबाइल पर और घर-घर जाकर पढ़ाने के बाद रोजाना पोर्टल पर जानकारी भरनी होती है, जिले में 2013 स्कूलों में से रोजाना 400 से 500 बच्चों द्वारा ही ये जानकारी भरी जा रही है.

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कोरोना काल में शासन ने स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था, हाल ही में प्रदेश सरकार ने कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूलों को बंद रखने के भी निर्देश दिए हैं, स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय' योजना की शुरुआत की थी इसके तहत शिक्षकों को मोहल्लों में जाकर बच्चों को पढ़ाना था, इस योजना के शुरू होने के बाद से ही शिक्षकों ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई, जब शासन स्तर पर इसकी समीक्षा हुई थी तो पूरे प्रदेश में विदिशा जिला 47वें नंबर पर आया था, यह स्थिति आज भी है, शिक्षकों को रोजाना पढ़ाने के बाद निर्धारित दो फार्म में जानकारी भरकर स्कूल में जमा करानी होती है, तब स्कूल एक रिपोर्ट बनाकर पोर्टल पर दर्ज करता है.

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विदिशा जिले में कुल 5794 शिक्षकों में से 5232 शिक्षकों ने कोई जानकारी नहीं भरी है, इसका मतलब साफ है कि इन शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया ही नहीं. इधर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कुछ शिक्षक तकनीकी रूप से कमजोर हैं, इसलिए जानकारी भरने में पीछे रह जाते हैं. पहले समीक्षा की गई, बाद में शिक्षकों को नोटिस भी दिया गया. इस बारे में सुधार हुआ, रिवीजन टेस्ट में 90 फीसदी बच्चों ने भाग लिया, इसका मतलब शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

विदिशा। हमारा घर हमारा विद्यालय के तहत बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाने में जिले के शिक्षक रुचि नहीं ले रहे हैं, शिक्षा विभाग भले ही कितने दावे कर रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं. हालात ये हैं कि 70 फीसदी स्कूलों में बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई मोबाइल पर और घर-घर जाकर पढ़ाने के बाद रोजाना पोर्टल पर जानकारी भरनी होती है, जिले में 2013 स्कूलों में से रोजाना 400 से 500 बच्चों द्वारा ही ये जानकारी भरी जा रही है.

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कोरोना काल में शासन ने स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था, हाल ही में प्रदेश सरकार ने कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूलों को बंद रखने के भी निर्देश दिए हैं, स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय' योजना की शुरुआत की थी इसके तहत शिक्षकों को मोहल्लों में जाकर बच्चों को पढ़ाना था, इस योजना के शुरू होने के बाद से ही शिक्षकों ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई, जब शासन स्तर पर इसकी समीक्षा हुई थी तो पूरे प्रदेश में विदिशा जिला 47वें नंबर पर आया था, यह स्थिति आज भी है, शिक्षकों को रोजाना पढ़ाने के बाद निर्धारित दो फार्म में जानकारी भरकर स्कूल में जमा करानी होती है, तब स्कूल एक रिपोर्ट बनाकर पोर्टल पर दर्ज करता है.

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विदिशा जिले में कुल 5794 शिक्षकों में से 5232 शिक्षकों ने कोई जानकारी नहीं भरी है, इसका मतलब साफ है कि इन शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया ही नहीं. इधर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कुछ शिक्षक तकनीकी रूप से कमजोर हैं, इसलिए जानकारी भरने में पीछे रह जाते हैं. पहले समीक्षा की गई, बाद में शिक्षकों को नोटिस भी दिया गया. इस बारे में सुधार हुआ, रिवीजन टेस्ट में 90 फीसदी बच्चों ने भाग लिया, इसका मतलब शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

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