विदिशा। विदिशा शहर ही नहीं जिले के freedom fighter और विदिशा के गौरव raghuveer charan sharma का निधन हो गया है. उनके निधन की खबर से शहर में शोक की लहर फैल गई. स्वर्गीय रघुवीर चरण शर्मा को शुक्रवार दोपहर 12:00 बजे विदिशा के मुक्तिधाम में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. इस मौके पर कलेक्टर एसपी सहित जिले के बड़े अधिकारी, जनप्रतिनिधि और शहरवासी मौजूद रहेंगे.
खुद पर कभी खर्च नहीं की सम्माननिधि में मिली राशिः स्वर्गीय सेनानी ने देश से मिलने वाली अपनी सम्मान निधि से लाखों रुपए विदिशा के विभिन्न सामाजिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में खर्च किए थे. खुद पर उन्होंने यह पैसा खर्च नहीं किया. बल्कि बहुत आर्थिक रूप से कमजोरी में अपना जीवन व्यतीत किया. उनके निधन से शहर शोक में डूब गया है. आने वाली 13 फरवरी 2023 को शहर उनका 100वां जन्मदिन मनाने वाला था, लेकिन अचानक अभी यह दुखद खबर सामने आई है. विदिशा के 99 वर्षीय रघुवीर चरण शर्मा ने देश की freedom के लिए कई लड़ाई लड़ी. Mahatma Gandhi के भारत छोड़ो आन्दोलन में काम किया. उनका 99 वर्ष की उम्र में देश भक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ था.लगातार समाज के लिए काम किया. आजादी के बाद घर चलाने के लिए शर्मा जी ने प्राइवेट नौकरी की. 1972 में इंदिरा गाँधी के प्रयासों से स्वतत्रता संग्राम सेनानियों को ताम्र पत्र से सम्मानित कर सम्मान निधि की शुरुआत की गई. इसी सम्मान निधि से वह विवेकानंद, चंद्र शेखर, महारानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति और शहीद ज्योति स्तम्भ की स्थापना करा चुके है. अपने आदर्शों के पक्के रघुवीर चरण अपनी सम्मान निधि का उपयोग भी राष्ट्र की धरोहर मानकर अपने और अपने परिवार के लिए नहीं करते थे, वह जनहित के कामों में लगाते थे.
बचपन से ही क्रांतिकारी बन गए थेः रघुवीर चरण शर्मा को महज 10 वर्ष की उम्र में सुन्दर लाल की किताब भारत में अंग्रेजी शासन 1936 पढने से देश प्रेम की भावना जागी. उन दिनों सुन्दर लाल की यह किताब प्रतिबंधित थी. इसके बाद वह देश भक्ति में जुट गए थे. विदिशा की सकरी गलियों में रहने वाले कन्हैया लाल शर्मा, जो न्यायालय में रीडर थे. के घर 13 फरवरी 1923 को किलकारी गूंजी थी. उन दिनों भारत में अंग्रेजी शासन था. प्रारम्भिक समय से ही रघुवीर चरण शर्मा क्रान्तिकारी थे. बात 1936 की है जब सुन्दर लाल की किताब "भारत में अंग्रेजी शासन" जो उन दिनों प्रतिबंधित किताब थी. इस किताब के अध्ययन से रघुवीर चरण शर्मा की देश प्रेम की भावना उमड़ उठी. फिर क्या रघुवीर चरन शर्मा क्रांतिकारी नेताओ के संपर्क में आ गये और देश को अंग्रेजो से मुक्त कराने के अभियानों के हिस्सा बनने लगे. (became a revolutionary since childhood)
असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया थाः बात 1942 की है जब Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आन्दोलान चलाया जिस आन्दोलन में "करो या मरो का नारा दिया गया. आदेशानुसार रघुवीर चरण शर्मा गांव-गांव जाकर लोगो को अंग्रेजो को सहयोग न करने को प्रेरित करने लगे. स्कूल-स्कूल जाकर छात्रों में देश प्रेम की भावना भरने लगे. उसी दौरान उन्हें और उनके साथियों को विदिशा से ही गिरफ्तार कर लिया गया. दो माह ग्वालियर जेल में रखा गया, 6 माह तक मुंगावली जेल में रहना पड़ा. अंत में मेहनत रंग लाई और देश को आजादी मिली.14 अगस्त को ही रघुवीर चरण शर्मा ने बताया था कि मुझे वो दिन याद है जब मैं ट्रेन में सुभाष चंद्र बोस से मिला था, तो उन्होंने कहा था की अंग्रेज अभी लड़ाई में उलझे है तो गर्म लोहे पर चोट करो. Mahatma Gandhi से मुंबई जाते समय मुलाकात हुई थी विदिशा रेलवे स्टेशन पर.
सामाजिक कार्यों पर खर्च कर चुके हैं लाखोंः विदिशा के शहरी स्तंभ के लिए3.5लाख. गर्ल्स कालेज की कैंटीन के लिए2लाख, फर्नीचर के लिए1लाख,यही कालेज में विवेकानंद की प्रतिमा के लिए1.11लाख दिए. वही देश की आजादी के दस्तावेज सुरक्षित रहे और वीरों के साहित्य को हम लोगों तक पहुंचा सके इसके लिए स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने हिंदी भवन की स्थापना कर उसके निर्माण के लिए10लाख रुपये दिए थे. इसके अन्य सामाजिक संगठनों को भी लाखो रुपये दान दिए है. सेनानी शर्मा ने बताया था मैंने देश की आजादी और देश के लिए जिया हूँ तो यह राशि भी उसी देश की है और मैं उसी पर खर्च करता हूँ.