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रमजान का पहला रोजा आज, पहली बार घरों में हो रही खुदा की इबादत

आज से पाक महीने रमजान का पहला रोजा है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इतिहास में पहली बार लोग अपने घरों में रहकर खुदा की इबादत करेंगे.

For the first time in history, there will be Worship in homes due to the Corona epidemic
इतिहास में पहली बार घरों में होगी इबादत
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Published : Apr 25, 2020, 1:51 PM IST

विदिशा। पाक महीना रमजान का आज पहला रोजा है, इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब दुनिया के कई देशों के मुस्लिम समाज के लोग रमजान के दौरान घरों में रहकर खुदा की इबादत कर रहे हैं. कोराना महामारी से जंग जीतने के लिए अब रमजान के महीने में घरों में ही मस्जिद बनेगी, लोग घरों में रहकर ही इबादत करेंगे.

जानिए क्या है रमजान

इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना रमजान माना जाता है, ये पूरे एक माह का होता है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और कुरान की तिजारत करते हैं, पांच वक्त की नमाज भी लोग पाबंदी से पढ़ते हैं, साथ ही रात में एक विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तरावीह की नमाज कहते हैं. माना जाता है लोगों के लिए इस माह में तोबा के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, लोग इस महीने अपने गुनाह की माफी भी मांगते हैं. ये भी कहा जाता है कि इस महीने में किसी की भी दुआ खाली नहीं जाती, अल्लाह अपने बंदों को कई नेमतों से नवाजता है.

For the first time in history, there will be Worship in homes due to the Corona epidemic
इतिहास में पहली बार घरों में होगी इबादत

इस महीने किए जाते हैं नेक काम

माना जाता है कि इस महीने में हर एक सेहतमंद मुसलमान का रोजा रखना फर्ज होता है. इस महीने अनेकों नेकी के काम भी किए जाते हैं. सबसे ज्यादा दान पुण्य का काम किया जाता है, जिसे सतका, जकात कहा जाता है. मुस्लिम परिवार अपने सदस्यों और अपने व्यापार के हिसाब से कुछ हिस्सा सतका और जकात गरीबो के लिए निकालते हैं. इस महीने में गरीबों को खाना खिलाने का काम बड़े पैमाने पर किया जाता है. कहा जाता है कि इस माह एक नेकी का बदला 70 गुना मिलता है.

रमजान में कुरान हुआ था नाजिल

ऐसी मान्यता है कि 21वें रोजे को ही पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब पर अल्लाह ने कुरान शरीफ नाजिल किया था, यानि कुरान अस्तित्व में आया था. इसलिए रमजान के महीने में तरावीह की नमाज अदा की जाती है. इस नमाज में कुरान पढ़ा जाता है. रोजा रखने के बाद तरावीह पढ़ने की भी बड़ी फजीलत बताई है.

क्या होता है सहरी और इफ्तार

रमजान के महीने में सुबह सूरज निकलने से पहले लोग सहरी खाते हैं, इसमें कुछ भी हल्का खाना खाया जाता है. सहरी खाने के बाद से ही रोजा शुरू हो जाता है. रमजान के महीने में सहरी-इफ्तार की बड़ी फजीलत है. पैगम्बर साहब ने सहरी खाना और इफ्तार करना दोनों को सुन्नत करार दिया है. शाम ढलते ही रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं. बताया जाता है कि अगर उस वक्त रोजा रखकर कोई भी रोजेदार दुआ करता है तो उसकी सभी दुआ कबूल होती है.

धर्मगुरु कर रहे घरों में रहकर इबादत करने की अपील

रमजान में कोई भी रोजेदार शिद्दत से खुदा से दुआ मांगता है तो उसकी दुआ खाली नहीं जाती, इसलिए बार-बार शहर काजी लोगों को घरों में ही रहकर इबादत करने की अपील कर रहे हैं. साथ ही लॉकडाउन के नियमों का पालन करने की हिदायत दी जा रही है. विदिशा शहर की मस्जिदों से भी लॉकडाउन का पालन करने और घरों में रहकर इबादत करने की अपील लाउडस्पीकरों से की जा रही है. लोगों से अपने मुल्क को कोराना महामारी खत्म करने की दुआ की जा रही है. ये भी बताया जा रहा है कि जब दवा इलाज न करे तो दुआ में ताकत होती है.

विदिशा। पाक महीना रमजान का आज पहला रोजा है, इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब दुनिया के कई देशों के मुस्लिम समाज के लोग रमजान के दौरान घरों में रहकर खुदा की इबादत कर रहे हैं. कोराना महामारी से जंग जीतने के लिए अब रमजान के महीने में घरों में ही मस्जिद बनेगी, लोग घरों में रहकर ही इबादत करेंगे.

जानिए क्या है रमजान

इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना रमजान माना जाता है, ये पूरे एक माह का होता है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और कुरान की तिजारत करते हैं, पांच वक्त की नमाज भी लोग पाबंदी से पढ़ते हैं, साथ ही रात में एक विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तरावीह की नमाज कहते हैं. माना जाता है लोगों के लिए इस माह में तोबा के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, लोग इस महीने अपने गुनाह की माफी भी मांगते हैं. ये भी कहा जाता है कि इस महीने में किसी की भी दुआ खाली नहीं जाती, अल्लाह अपने बंदों को कई नेमतों से नवाजता है.

For the first time in history, there will be Worship in homes due to the Corona epidemic
इतिहास में पहली बार घरों में होगी इबादत

इस महीने किए जाते हैं नेक काम

माना जाता है कि इस महीने में हर एक सेहतमंद मुसलमान का रोजा रखना फर्ज होता है. इस महीने अनेकों नेकी के काम भी किए जाते हैं. सबसे ज्यादा दान पुण्य का काम किया जाता है, जिसे सतका, जकात कहा जाता है. मुस्लिम परिवार अपने सदस्यों और अपने व्यापार के हिसाब से कुछ हिस्सा सतका और जकात गरीबो के लिए निकालते हैं. इस महीने में गरीबों को खाना खिलाने का काम बड़े पैमाने पर किया जाता है. कहा जाता है कि इस माह एक नेकी का बदला 70 गुना मिलता है.

रमजान में कुरान हुआ था नाजिल

ऐसी मान्यता है कि 21वें रोजे को ही पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब पर अल्लाह ने कुरान शरीफ नाजिल किया था, यानि कुरान अस्तित्व में आया था. इसलिए रमजान के महीने में तरावीह की नमाज अदा की जाती है. इस नमाज में कुरान पढ़ा जाता है. रोजा रखने के बाद तरावीह पढ़ने की भी बड़ी फजीलत बताई है.

क्या होता है सहरी और इफ्तार

रमजान के महीने में सुबह सूरज निकलने से पहले लोग सहरी खाते हैं, इसमें कुछ भी हल्का खाना खाया जाता है. सहरी खाने के बाद से ही रोजा शुरू हो जाता है. रमजान के महीने में सहरी-इफ्तार की बड़ी फजीलत है. पैगम्बर साहब ने सहरी खाना और इफ्तार करना दोनों को सुन्नत करार दिया है. शाम ढलते ही रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं. बताया जाता है कि अगर उस वक्त रोजा रखकर कोई भी रोजेदार दुआ करता है तो उसकी सभी दुआ कबूल होती है.

धर्मगुरु कर रहे घरों में रहकर इबादत करने की अपील

रमजान में कोई भी रोजेदार शिद्दत से खुदा से दुआ मांगता है तो उसकी दुआ खाली नहीं जाती, इसलिए बार-बार शहर काजी लोगों को घरों में ही रहकर इबादत करने की अपील कर रहे हैं. साथ ही लॉकडाउन के नियमों का पालन करने की हिदायत दी जा रही है. विदिशा शहर की मस्जिदों से भी लॉकडाउन का पालन करने और घरों में रहकर इबादत करने की अपील लाउडस्पीकरों से की जा रही है. लोगों से अपने मुल्क को कोराना महामारी खत्म करने की दुआ की जा रही है. ये भी बताया जा रहा है कि जब दवा इलाज न करे तो दुआ में ताकत होती है.

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