विदिशा। शमशाबाद में फसल के पैसे निकालने के लिए किसान रात में जमीन पर सोने को मजबूर हैं. आलम यह है कि किसान बैंक की पास बुक को लाइन में लगाया है. किसानों का कहना है कि कई दिनों तक बैंक बंद रहे और अब जब खुले हैं, तो एक दिन में महज 150 लोगों को ही धनराशि दी जाती है. समय पर पैसे मिलें, इसके लिए किसानों को खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है.
बिकी हुई फसल के पैसे लेने के लिए किसान परेशान
शमशाबाद में बैंक से पैसे निकालने के लिए किसानों ने अपनी पासबुक को लाइन में लगा दिया है. ताकि सुबह होने पर उन्हें टोकन मिल सके. किसान अपनी बिकी हुई फसल के पैसे वापस लेने के लिए रात में ही लाइन में लग जाते हैं और बैंक के बाहर अपनी पासबुक रख देते हैं.
150 लोगों को ही दिये जा रहे पैसे
दरअसल, शमशाबाद की जिला सहकारी बैंक कई दिनों तक बंद रहा. बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारी कोरोना से संक्रमित थे. जिसके चलते बैंक 14 दिन बाद बैंक खुले. ऐसे में बैंके से किसानों को महज 150 लोगों को ही पैसे दिए जा रहे हैं. बाकी किसान वापस लौट जाते हैं. जिसके चलते किसानों ने रात में बैंक के पास सोने को मजबूर हो गए. ताकि सुबह उनका नम्बर 150 लोगों में आ जाए.
रात दो बजे से लाइन में लग रहे किसान
किसान धारू सिंह का कहना है कि खेती के लिए कर्जा लिया था, जो अब देना है. यहां लाइन में लगे हुए तीन दिन से ज्यादा का समय हो गया है. पेमेंट मिला नहीं है. बहुत तकलीफ है. वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि परसों भी रात 2:00 बजे भागे तो वह कहने लगे टोकन मिलेंगे. लेकिन आज भी टोकन नहीं मिले. आज हमने सुबह से कुछ नहीं किया भूखे पेट आ गए. जब भी यहां आकर देखा तो डेढ़ सौ दो सौ लोगों की लाइन लगी थी. यह सरकार की सरासर गलती है.
मुआवजा राशि के लिए किसानों को थाने से लेना पड़ रहा टोकन
विदिशा कलेक्टर डॉक्टर पंकज जैन ने बताया कि बैंक के कुछ कर्मचारी कोरोना से प्रभावित हो गए हैं. जिस कारण से वह बैंक में नहीं आ पा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द बैंक खोले जाएं. इसके अलावा ऋण चुकाने की जो तारीख है उसे 30 जून कर दिया गया है.