विदिशा। शहर में सबसे बड़ी और पुरानी कुबेर की प्रतिमा है. 2100 वर्ष पुरानी इस प्रतिमा की ऊंचाई 12 फीट है और यह विदिशा के सिविल लाइन्स स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय भवन के प्रवेश द्वार पर विराजमान है. कुबेर की इस विशाल प्रतिमा के बाद एक अन्य कक्ष में कुबेर की पत्नी यक्षी की भी 5 फीट ऊंची प्रतिमा भी रखी गई है. वह भी इसी प्रतिमा के समकालीन बताई जाती है. बता दें कि प्राचीन समय में विदिशा व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था और धनधान्य से भरपूर था. कुबेर को धन का देवता माना जाता है, इसलिये यहां के लोग उस समय कुबेर की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते थे. आज भी धनतेरस पर लोग इस प्रतिमा के दर्शन और पूजन करने आते हैं.
देश के चार शहरों में ऐसी बड़ी प्रतिमा
पिछले 20 वर्षों से यहां पूजन करने आ रहे कॉलेज संचालक सुशील शर्मा बताते है कि इस तरह की देश में कुल 4 प्रतिमायें हैं. पहली विदिशा में, दूसरी उत्तरप्रदेश के मथुरा में, तीसरी बिहार के पटना और चौथी राजस्थान के भरतपुर में है. लेकिन विदिशा की प्रतिमा सबसे ऊंची और प्राचीन है. जिसमें कुबेर के बाएं हाथ में धन की थैली है, जबकि बाएं हाथ का पंजा खंडित हो चुका है. यहां कुबेर की प्रतिमा के गले में माला और सिर पर पगड़ी है. खास बात ये है कि उनकी पत्नी यक्षी भी है इसी पुरातत्व संग्रहालय में है.
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बैस नदी में उलटी पड़ी थी प्रतिमा, लोग धोते थे कपड़े
बताया जाता है कि यह प्रतिमा बैस नदी में उल्टी पड़ी थी और यह इतनी विशाल प्रतिमा है कि लोग इस प्रतिमा की पीठ पर कपड़े धोते थे. कभी जब नदी का पानी कम हुआ और लोगों की प्रतिमा के नीचे निगाह गई तो प्रतिमा अति प्राचीन होने का पता चला, जिसके बाद इसे संरक्षित करते हुए जिला संग्रहालय लाया गया. विदिशा म्यूजियम के इंचार्ज डॉक्टर अहमद अली ने बताया कि भगवान कुबेर की पूजा-अर्चना धनतेरस पर की जाती है. भगवान कुबेर की प्रतिमा लगभग 2100 वर्ष पुरानी है और कई साल पहले विदिशा पुरातत्व संग्रहालय में लाई गई थी, तभी से विदिशा के युवा धनतेरस के दिन दर्शन करते हैं.