रायसेन। भोपाल-विदिशा हाइवे पर सलामतपुर रेलवे फाटक पर बनाया गया रेलवे ओवरब्रिज 7 साल में ही दरक गया है. पुल के ऊपर बने फुटपाथ में कई जगहों पर दरार आ गई है, यहां दो पहिया वाहनों के साथ-साथ चार पहिया वाहनों के टायर फंस जाते हैं. जिससे आए दिन दुर्घटना होती रहती है. बीते सात वर्षो में एक दर्जन से अधिक लोग ब्रिज पर दुर्घटना के कारण काल के गाल में समा चुके हैं.
ब्रिज के पिलर भी धीरे धीरे धसक रहे हैं. जिससे ब्रिज में दरार बढ़ती जा रही हैं. पिछले 7 सालो में एमपीआरडीसी कई बार रेलवे ओवरब्रिज की मरम्मत करा चुकी है. लेकिन आलम यह है की ब्रिज पर इतनी दुर्घटना होने लगी है कि कई झोलाछाप डॉक्टरों व अस्पतालों ने तो ब्रिज पर लिखवा दिया है की दुर्घटना होने पर संपर्क करें.
रेलवे ओवरब्रिज में बढ़ रहा है गैप
सलामतपुर पंचायत के उपसरपंच हमजा जाफरी ने बताया की रेलवे ओवरब्रिज की सड़क के बीच में बड़े-बड़े गड्ढे व लंबी-लंबी दरारें आ गईं हैं. जिसमें वाहन के टायर फंस जाते हैं. उनकी मोटर साइकिल भी कई बार दरारों में फंस चुकी है.
ब्रिज से रोज गुजरते हैं वीआईपी
कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इसी रेलवे ओवरब्रिज से निकलते हुए विदिशा जाते हैं. वहीं प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी यहीं से आना जाना करते रहते हैं. यब ब्रिज स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र में आता है. उसके बाद भी अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई भी धयान नहीं दिया जा रहा है.
कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना
यहां से रोज तकरीबन सात हजार से अधिक वाहन निकलते हैं. यह ब्रिज दिल्ली मुम्बई मेन रेलवे ट्रैक पर बना है, जिस पर से हर चार मिनट में ट्रेन निकलती हैं. किसी दिन कोई वाहन दुर्घटना ग्रस्त होकर नीचे से निकल रही ट्रेन पर गिर सकता है, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है. फिर भी एमपीआरडीसी विभाग के अधिकारी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए हैं.
निर्माण के समय से ही विवादों में रहा ब्रिज
इस ब्रिज का निर्माण वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश ब्रिज कारपोरेशन ने 6 करोड़ की लागत से कराया गया था. यह ब्रिज 2013 में बनकर तैयार हुआ था. अपने बनने के साथ ही यह विवादों में आ गया था. ब्रिज कारपोरेशन के तत्कालीन एसडीओ को इस निर्माण में शुरू से ही आपत्ति थी.
उनका मानना था कि जिस एरिया में ब्रिज बनाया जा रहा है. वह क्षेत्र ब्लैक कॉटन स्वाइल क्षेत्र है. फिर भी ब्रिज के पिलर की गहराई कम रखी गई है, जो धीरे-धीरे धसक जाएगा. लेकिन ब्रिज बना रहा ठेकेदार के रसूख के चलते तत्कालीन एसडीओ की नहीं सुनी गई.