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Chaitra Navratri 2023: 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू, अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त - हिंदू नव वर्ष 2023

भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष, नवसंवत्सर की शुरुआत होती है. धर्माधिकारी पंडित गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री के अनुसार इस साल 22 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पड़ रही है. इस दिन गुड़ी पड़वा भी मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है. जानें शुभ मुहूर्त...

chaitra navratri 2023
चैत्र नवरात्रि 2023
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Published : Mar 21, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Mar 21, 2023, 7:20 PM IST

Chaitra Navratri 2023: भारतीय संस्कृति के नव वर्ष की शुरुआत, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा एवं नवरात्रि 22 मार्च बुधवार के सूर्योदय से होगा. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:00 बजे से प्रातः 9:00 बजे तक एवं दिन में 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक एवं सायं 4:30 से 6 बजे तक शुभ मुहूर्त्त है. जवाहरे बो कर एवं श्री दुर्गा जी के मंदिरों में अखण्ड ज्योति की स्थापना करके देवी आराधना की जाएगी. ननवसंवत्सर का नाम नल, वर्ष के राजा बुध एवं मंत्री शुक्र हैं. अतः देश में सुख शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होगी. ये जानकारी धर्मगुरु धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने दी.

प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की आराधना:

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है. मां शैलपुत्री वृषभ पर विराजमान हैं मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण किए हुए हैं, दाहिने हस्त में त्रिशूल और बाएं हस्त में कमल पुष्प धारण किये हुए हैं. मां शैलपुत्री की आराधना से चंद्रमा संबंधित दोषों का निवारण होता हैं एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भुवन भास्कर भगवान श्री सूर्य नारायण का प्राकट्य दिवस है. पृथ्वी पर प्रकाश की प्रथम किरण गुड़ी पड़वा को सूर्योदय से प्रारंभ हुई थी. भगवान श्री ब्रह्मा जी ने गुड़ी पड़वा के दिन सृष्टि की रचना को आरंभ किया था. गुड़ी पड़वा के दिन से विक्रम संवत् प्रारंभ हुआ था. सतयुग का प्रारंभ गुड़ी पड़वा के दिन हुआ था, ज्योतिष की कालगणना गुड़ी पड़वा के दिन से प्रारंभ हुई थी.

MUST READ:

दुर्गा सप्तशती के मंत्र-

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते॥

का जप करें. नीम एवं मिश्री के सेवन से निरोगता की प्राप्ति होती है. अष्ट वर्षेत् भवेत् गौरी 8 वर्ष की कन्या जो घर के आसपास निवासी हो उसको बुलाकर तिलक लगाकर खीर खिलावें आपकी मनोकामना पूर्ण होगी. वसुदेव कुटुंबकम एवं विश्व में शांति के लिए मंदिरों में भजन कीर्तन एवं सत्संग, विद्वानों, पंडितों एवं पुजारियों से अपने-अपने घरों में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करावें. श्री राम रक्षा स्त्रोत एवं श्री दुर्गा चालीसा के साथ श्री रामचरितमानस के नवाह परायण पाठ के माध्यम से प्रार्थना की जाने की अपील धर्म संघ द्वारा की गई है.

Chaitra Navratri 2023: भारतीय संस्कृति के नव वर्ष की शुरुआत, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा एवं नवरात्रि 22 मार्च बुधवार के सूर्योदय से होगा. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:00 बजे से प्रातः 9:00 बजे तक एवं दिन में 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक एवं सायं 4:30 से 6 बजे तक शुभ मुहूर्त्त है. जवाहरे बो कर एवं श्री दुर्गा जी के मंदिरों में अखण्ड ज्योति की स्थापना करके देवी आराधना की जाएगी. ननवसंवत्सर का नाम नल, वर्ष के राजा बुध एवं मंत्री शुक्र हैं. अतः देश में सुख शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होगी. ये जानकारी धर्मगुरु धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने दी.

प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की आराधना:

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है. मां शैलपुत्री वृषभ पर विराजमान हैं मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण किए हुए हैं, दाहिने हस्त में त्रिशूल और बाएं हस्त में कमल पुष्प धारण किये हुए हैं. मां शैलपुत्री की आराधना से चंद्रमा संबंधित दोषों का निवारण होता हैं एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भुवन भास्कर भगवान श्री सूर्य नारायण का प्राकट्य दिवस है. पृथ्वी पर प्रकाश की प्रथम किरण गुड़ी पड़वा को सूर्योदय से प्रारंभ हुई थी. भगवान श्री ब्रह्मा जी ने गुड़ी पड़वा के दिन सृष्टि की रचना को आरंभ किया था. गुड़ी पड़वा के दिन से विक्रम संवत् प्रारंभ हुआ था. सतयुग का प्रारंभ गुड़ी पड़वा के दिन हुआ था, ज्योतिष की कालगणना गुड़ी पड़वा के दिन से प्रारंभ हुई थी.

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दुर्गा सप्तशती के मंत्र-

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते॥

का जप करें. नीम एवं मिश्री के सेवन से निरोगता की प्राप्ति होती है. अष्ट वर्षेत् भवेत् गौरी 8 वर्ष की कन्या जो घर के आसपास निवासी हो उसको बुलाकर तिलक लगाकर खीर खिलावें आपकी मनोकामना पूर्ण होगी. वसुदेव कुटुंबकम एवं विश्व में शांति के लिए मंदिरों में भजन कीर्तन एवं सत्संग, विद्वानों, पंडितों एवं पुजारियों से अपने-अपने घरों में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करावें. श्री राम रक्षा स्त्रोत एवं श्री दुर्गा चालीसा के साथ श्री रामचरितमानस के नवाह परायण पाठ के माध्यम से प्रार्थना की जाने की अपील धर्म संघ द्वारा की गई है.

Last Updated : Mar 21, 2023, 7:20 PM IST
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