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उमरिया: नियमों को धता बताकर सरकारी शिक्षक चला रहा कोचिंग क्लास

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Published : Sep 10, 2020, 7:53 PM IST

उमरिया जिले में नियमों को धता बताकर एक सरकारी शिक्षक बेधड़क कोचिंग सेंटर का संचालन कर रहा है, अपने फायदे के लिए ये शिक्षक 45 से 50 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ा रहा है.

Violation of corona rules in coaching center
कोचिंग सेंटर में कोरोना नियमों का उल्लंघन

उमरिया। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार ने सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर रखा है, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण ना फैले. इसके बावजूद भी जिले में कोचिंग का व्यापार फल फूल रहा है. कोचिंग संचालक 45 से 50 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. यदि समय रहते प्रशासन ने कोचिंग क्लासेस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की तो इसके रिजल्ट खतरनाक हो सकते हैं.

क्या है मामला
उमरिया के घंघरी नाका स्थित ओवर ब्रिज के पास ही लक्ष्मीकांत गुप्ता बेखौफ कोचिंग क्लासेस का संचालन कर रहे हैं, इस कोचिंग सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंग की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यहां लापरवाही बरतते हुए 45 से 50 बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.

करकेली मॉर्डन स्कूल में पदस्थ हैं शिक्षक
कोचिंग सेंटर के संचालक लक्ष्मीकांत गुप्ता सरकारी अध्यापक हैं और करकेली के मॉर्डन स्कूल में पदस्थ हैं. गुप्ता के पास सरकारी नौकरी होने के बाद भी मोटी कमाई के चक्कर में कोचिंग क्लास चलाकर लोगों की जान खतरें में डाल रहे हैं, कोचिंग में कोविड 19 की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया जा रहा है.

भुगतना पड़ सकता है खतरनाक परिणाम
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन अलर्ट है, जिसको लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है. बीमारी को फैलने से रोकने के बजाए कोचिंग सेंटर के संचालक द्वारा क्लासेस लगाई जा रही हैं. कोरोना काल में संक्रमण से नगर को सुरक्षित रखने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए सभी विद्यालय बंद किए गए हैं. ऑनलाइन और अन्य माध्यमों से छात्र घर में ही रहकर अपना सिलेबस पूरा कर रहै हैं. लेकिन कोचिंग संचालक की दबंगई कोरोना पर भी हावी होती दिख रही है, जहां बिना किसी परमिशन और नियमों के खिलाफ कोचिंग क्लास का संचालन किया जा रहा है. हालांकि इस लापरवाही की वजह से प्रशासन से मांग की गई है कि कोचिंग संचालक की मनमानी पर रोक लगाई जाए, जिससे बीमारी फैलने का खतरा ना हो सके.

क्या कहते हैं नियम
सरकार के नियमों के मुताबिक कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ऐतिहातिक कदम बरत रही है, जहां सभी से सुरक्षित रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की बात कही जा रही है. अगर कोई इसका उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई के भी नियम हैं. वहीं शिक्षा विभाग ने पहले ही आदेश जारी कर रखा है, जिसके तहत कोई भी शासकीय शिक्षक कोचिंग सेंटर का संचालन नहीं कर सकता है.

क्या पैरेंट्स की भी है गलती

कोरोना काल में गाइडलाइन को नजरअंदाज कर यदि कोचिंग क्लासेस चलाई जा रही है तो शहर में रहने वाले छात्रों के अभिभावक बच्चों को कोचिंग में पढ़ने के लिए क्यों भेज रहे हैं, इन हालातों को देखकर फिलहाल लग रहा है कि लोगों में कोरोना से बचाव के प्रति जागरुकता की कमी है और वे इस महामारी के प्रति उतने जागरुक नहीं हैं जितना उन्हें होना चाहिए. कोरोना संकट काल में सभी कोचिंग सेंटर बंद हैं. अगर कोई ऐसी गतिविधियों को संचालित करता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा, जिसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

उमरिया। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार ने सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर रखा है, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण ना फैले. इसके बावजूद भी जिले में कोचिंग का व्यापार फल फूल रहा है. कोचिंग संचालक 45 से 50 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. यदि समय रहते प्रशासन ने कोचिंग क्लासेस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की तो इसके रिजल्ट खतरनाक हो सकते हैं.

क्या है मामला
उमरिया के घंघरी नाका स्थित ओवर ब्रिज के पास ही लक्ष्मीकांत गुप्ता बेखौफ कोचिंग क्लासेस का संचालन कर रहे हैं, इस कोचिंग सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंग की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यहां लापरवाही बरतते हुए 45 से 50 बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.

करकेली मॉर्डन स्कूल में पदस्थ हैं शिक्षक
कोचिंग सेंटर के संचालक लक्ष्मीकांत गुप्ता सरकारी अध्यापक हैं और करकेली के मॉर्डन स्कूल में पदस्थ हैं. गुप्ता के पास सरकारी नौकरी होने के बाद भी मोटी कमाई के चक्कर में कोचिंग क्लास चलाकर लोगों की जान खतरें में डाल रहे हैं, कोचिंग में कोविड 19 की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया जा रहा है.

भुगतना पड़ सकता है खतरनाक परिणाम
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन अलर्ट है, जिसको लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है. बीमारी को फैलने से रोकने के बजाए कोचिंग सेंटर के संचालक द्वारा क्लासेस लगाई जा रही हैं. कोरोना काल में संक्रमण से नगर को सुरक्षित रखने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए सभी विद्यालय बंद किए गए हैं. ऑनलाइन और अन्य माध्यमों से छात्र घर में ही रहकर अपना सिलेबस पूरा कर रहै हैं. लेकिन कोचिंग संचालक की दबंगई कोरोना पर भी हावी होती दिख रही है, जहां बिना किसी परमिशन और नियमों के खिलाफ कोचिंग क्लास का संचालन किया जा रहा है. हालांकि इस लापरवाही की वजह से प्रशासन से मांग की गई है कि कोचिंग संचालक की मनमानी पर रोक लगाई जाए, जिससे बीमारी फैलने का खतरा ना हो सके.

क्या कहते हैं नियम
सरकार के नियमों के मुताबिक कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ऐतिहातिक कदम बरत रही है, जहां सभी से सुरक्षित रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की बात कही जा रही है. अगर कोई इसका उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई के भी नियम हैं. वहीं शिक्षा विभाग ने पहले ही आदेश जारी कर रखा है, जिसके तहत कोई भी शासकीय शिक्षक कोचिंग सेंटर का संचालन नहीं कर सकता है.

क्या पैरेंट्स की भी है गलती

कोरोना काल में गाइडलाइन को नजरअंदाज कर यदि कोचिंग क्लासेस चलाई जा रही है तो शहर में रहने वाले छात्रों के अभिभावक बच्चों को कोचिंग में पढ़ने के लिए क्यों भेज रहे हैं, इन हालातों को देखकर फिलहाल लग रहा है कि लोगों में कोरोना से बचाव के प्रति जागरुकता की कमी है और वे इस महामारी के प्रति उतने जागरुक नहीं हैं जितना उन्हें होना चाहिए. कोरोना संकट काल में सभी कोचिंग सेंटर बंद हैं. अगर कोई ऐसी गतिविधियों को संचालित करता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा, जिसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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