उमरिया। मध्यप्रदेश में 7 बाघों की मौत के मामले पर अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. उच्च न्यायालय ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं. इस आदेश के बाद तत्कालीन CEO और अपर मुख्य सचिव की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं. बाघों की मौत के साथ-साथ जांच में बांधवगढ़ और पेंच टाइगर रिजर्व में करोड़ों की अवैध टाइगर सफारी के निर्माण प्रकरण को भी शामिल किया गया है. (Hc ordered an inquiry into death of 7 tigers)
7 साल बाद आया है जांच का आदेशः आपको बता दे यह मामला 2015 में प्रकाश में आया था. उसके 7 साल बाद जांच के आदेश दिए गए हैं. याचिकाकर्ता अजय दुबे के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जुलाई 2015-16 में पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन में सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनटीसीए की अनुमति के बिना टाइगर सफारी शुरू करने की तैयारी थी. बताया जाता है कि बांधवगढ़ और पेंच दोनों ही रिजर्व में करीब सात करोड़ रुपये की अवैध निर्माण कार्य किया गया था. निर्माण के कारण करीब 7 टाइगर की मौत हुई थी. इस मामले में अब जाकर उच्च न्यायालय ने जांच के आदेश दिए हैं. (order for inquiry has come after 7 years)
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एक्टिविस्ट अजय दुबे की मेहनत रंग लायीः इस मामले में वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कई बार वन विभाग को लिखित आवेदन दिया था. उनके आवेदन पर संज्ञान लेते हुए टूरिज्म बोर्ड के तत्कालीन सीईओ (CEO) विनय बर्मन और पूर्व अपर मुख्य सचिव केपी श्रीवास्तव के खिलाफ जांच होगी. मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को जांच का आदेश दिया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया कि दोनों टाइगर रिजर्व में बाघों का शिकार रोकने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की गाइडलाइन का पालन किया जाए. (Hard work of activist ajay dubey paid off)
कवर्ड बड़े बाडे़ बाघों के मूवमेंट में आ रहे थे आड़ेः याचिकाकर्ता ने बताया कि दोनों टाइगर रिजर्व में बाघों के मूवमेंट के कॉरिडोर के बीच बड़े-बड़े कवर्ड बाड़े बनाए जा रहे थे. इन बाड़ों में पर्यटकों को एंट्री दी जाती है. पर्यटक यहां से बाघों को देखते. याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बफर जोन में टाइगर सफारी के निर्माण की जांच के निर्देश दिए. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने को कहा है. (High court ordered an inquiry)