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उमरियाः बांध निर्माण को रोकने के लिये आदिवासी किसानों ने लिया इष्ट देव का सहारा - एमपी न्यूज

बांध निर्माण का विरोध कर रहे उमरिया जिले के अतरिया गांव के आदिवासी किसानों की जब प्रशासन ने अनसुनी कर दी तो सभी इष्टदेव की पूजा करने लगे, ये सभी अपनी जमीन और जंगल में ही रहना चाहते हैं और बांध निर्माण के कारण उनकी जमीन और जंगल दोनों छिन रहे हैं.

आंदोलित आदिवासी
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Published : Mar 26, 2019, 12:26 PM IST

उमरिया। जिले के अतरिया गांव में बांध निर्माण का विरोध कर रहे आदिवासी किसानों की फरियाद प्रशासन ने अनसुनी कर दी तो किसानों ने मांग पूरी कराने का अनोखा रास्ता इजाद किया. किसानों ने जलाशय निर्माण स्थल पर ही अपने इष्ट बढ़ादेव की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू कर दिया है.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि निर्माण से पहले उनसे न तो सहमति ली गई और न ही प्रक्रिया का पालन किया गया. किसानों के इस आंदोलन के साथ पूरा आदिवासी समाज एकजुट हो गया है. किसानों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे लेकिन बांध नहीं बनने देंगे, क्योंकि बांध निर्माण से उन्हें फायदा कम नुकसान ज्यादा है.

निर्माणाधीन बांध से 5 गांव अतरिया, जलधारा, डोंगरगवां, कासपानी और मझौली कला के 200 से अधिक किसान परिवार प्रभावित हो रहे हैं. 22 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध का निर्माण जल संसाधन विभाग करा रहा है. इस निर्माण कार्य का विरोध आदिवासी नेता भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना किसानों की सहमति से तकरीबन एक करोड़ रुपये किसानों के खाते में भेजे गये और किसानों को बगैर सूचना के ही निर्माण शुरू करवाकर उनके साथ छलावा किया है.

प्रदर्शन करते आदिवासी किसान

आदिवासी नेता बाला सिंह का कहना है कि जब उनकी मर्जी नहीं है तो बांध नहीं बनना चाहिए, इन आदिवासियों की कोई नहीं सुन रहा तो वे अपने इष्ट बड़ा देव का सहारा ले रहे हैं. वहीं जल संसाधन विभाग जिला से निर्माण कराने पर अधिक जोर दे रहा है औऱ जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इस बांध निर्माण में किसानों के हितों की अनदेखी से जिले भर का आदिवासी किसान आक्रोश में है और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है.

उमरिया। जिले के अतरिया गांव में बांध निर्माण का विरोध कर रहे आदिवासी किसानों की फरियाद प्रशासन ने अनसुनी कर दी तो किसानों ने मांग पूरी कराने का अनोखा रास्ता इजाद किया. किसानों ने जलाशय निर्माण स्थल पर ही अपने इष्ट बढ़ादेव की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू कर दिया है.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि निर्माण से पहले उनसे न तो सहमति ली गई और न ही प्रक्रिया का पालन किया गया. किसानों के इस आंदोलन के साथ पूरा आदिवासी समाज एकजुट हो गया है. किसानों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे लेकिन बांध नहीं बनने देंगे, क्योंकि बांध निर्माण से उन्हें फायदा कम नुकसान ज्यादा है.

निर्माणाधीन बांध से 5 गांव अतरिया, जलधारा, डोंगरगवां, कासपानी और मझौली कला के 200 से अधिक किसान परिवार प्रभावित हो रहे हैं. 22 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध का निर्माण जल संसाधन विभाग करा रहा है. इस निर्माण कार्य का विरोध आदिवासी नेता भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना किसानों की सहमति से तकरीबन एक करोड़ रुपये किसानों के खाते में भेजे गये और किसानों को बगैर सूचना के ही निर्माण शुरू करवाकर उनके साथ छलावा किया है.

प्रदर्शन करते आदिवासी किसान

आदिवासी नेता बाला सिंह का कहना है कि जब उनकी मर्जी नहीं है तो बांध नहीं बनना चाहिए, इन आदिवासियों की कोई नहीं सुन रहा तो वे अपने इष्ट बड़ा देव का सहारा ले रहे हैं. वहीं जल संसाधन विभाग जिला से निर्माण कराने पर अधिक जोर दे रहा है औऱ जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इस बांध निर्माण में किसानों के हितों की अनदेखी से जिले भर का आदिवासी किसान आक्रोश में है और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है.

Intro:एंकर - शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार आदिवासी किसान पहुंचे बड़ादेव की शरण में, जलाशय निर्माण का विरोध कर रहे किसानों ने बांध की नींव में ही बड़ादेव की स्थापना कर शुरू किया पूजा-पाठ, जलाशय की जद में आ रहे प्रभावितों से सहमति न लेने का आरोप, किसानों के साथ खड़ा हुआ आदिवासी समाज, जल संसाधन विभाग ने कहां बनाएंगे डैम, उमरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य अतरिया ग्राम का मामला।


Body:वीओ 01 - उमरिया जिले के अतरिया ग्राम में जलाशय निरहुआ का विरोध कर रहे आदिवासी किसानों की फरियाद जब शासन प्रशासन ने अनसुनी कर दी तो किसानों ने अपनी मांग पूरी कराने का अनोखा रास्ता इजाद किया और जिला से निर्माण स्थल की न्यू पर ही अपने आवाज बढ़ा दो की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू कर दिया है किसानों का आरोप है कि बांध बनाने के पूर्व उनसे ना तो सहमति ली गई और ना ही प्रक्रिया का पालन किया गया किसानों के इस आंदोलन के साथ पूरा आदिवासी समाज एकजुट हो गया है किसानों का कहना है कि यह जान दे देंगे लेकिन जला से नहीं बनने देंगे क्योंकि निर्माण से उन्हें फायदा कम नुकसान ज्यादा है लिहाजा बांध निर्माण का काम रोका जाए.

बाइट 01 - रमेश टेकाम (पीड़ित आदिवासी, अतरिया)
बाइट 02 - माया बाई टेकाम (पीडित महिला आदिवासी)
बाइट 03 - संतोष महार (आदिवासी, अतरिया)

वीओ 02 - निर्माणाधीन जलाशय से पांच गांव अतरिया, जलधारा, डोंगरगवां, कासपानी और मझौली कला के दो सौ से अधिक किसान परिवार प्रभावित हो रहा है, 22 करोड़ से बनने वाले ये जलाशय को लेकर जल संसाधन विभाग द्वारा कराया जा रहा है जिसे लेकर आदिवासी नेता ने भी इसका विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि बिना किसानों की सहमति से तकरीबन एक करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजी गई लेकिन किसानो को बगैर सूचना के ही निर्माण उनके साथ छलावा है जब उनकी मर्जी नही हैं तो बांध नहीं बनना चाहिए जब उनकी कोई नहीं सुना तो वे अपने इष्ट देव बड़ा देव का सहारा ले रहे हैं. वहीं वहीं जल संसाधन विभाग जिला से निर्माण कराने पर अधिक है जिसे लेकर वह कह रहा है कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

बाइट 04 - बाला सिंह टेकाम (आदिवासी नेता)
बाइट 05 - ए. के. वर्मा (ई ई, जल संसाधन विभाग उमरिया)


Conclusion:वीओ 03 - अतरिया जलाशय निर्माण में किसानों के हितों की अनदेखी से जिले भर का आदिवासी किसान आक्रोश में और बड़े आंदोलन की तैयारी में है, देखना होगा कि हमेशा अपना बलिदान देकर दूसरों के जीवन की रखवाली करने वाले किसानों की इस व्यथा के मामले में प्रशासन क्या फैसला कर पाता है.

उमरिया से विकाश शुक्ला Etv भारत मध्यप्रदेश.
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