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खतरे में टाइगर स्टेट का दर्जा! कुएं में मिला बाघिन का शव, दो दिनों में दो बाघों की मौत

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले दो दिनों में दो बाघिन की मौत हो गई, जबकि पिछले दो सालों में बाघों की मौत रुकने का नाम नहीं ले रही है, जिससे टाइगर स्टेट का दर्जा भी खतरे में पड़ता नजर आता है.

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Published : Aug 31, 2021, 10:57 AM IST

उमरिया। जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक और बाघिन की मौत हो गई, टाइगर रिजर्व के मानपुर परिक्षेत्र की दमना बीट में बाघिन का शव एक कुएं में मिला है. बीते दो दिनों में मादा बाघ के मरने की यह दूसरी घटना है. हलांकि, इस मामले में रेंज का कोई अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. इससे पहले 28 अगस्त को धमोखर रेंज की बड़वारा बीट में एक वयस्क मादा बाघ की मौत हो गई थी. प्रबंधन ने उसकी मौत बाघ से हुई मुठभेड़ के कारण होना बताया था. पिछले दो दिनों में दो बाघिनों की मौत से जिले के वन्यजीव प्रेमी खासा चिंतित हैं.

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उनका मानना है कि बाघिन की मौत पार्क के लिये दोहरा नुकसान है, इससे न केवल उनकी संख्या घटती है, बल्कि बाघों की वंशवृद्धि भी प्रभावित होती है. पिछले दो वर्षों के दौरान नेशनल पार्क में बाघों के मौत की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. शायद ही कोई महीना हो, जब एक या दो टाइगर रूखसत न हो रहे हों. उल्लेखनीय है कि 4 वर्ष पूर्व देश में हुई बाघों की गणना में बांधवगढ़ के 104 बाघों के कारण ही मप्र को 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, जबकि कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे नम्बर पर था. यदि यही हाल रहा तो इस बार राज्य के लिये यह ताज बचाये रखना बड़ी चुनौती बन जायेगी.

उमरिया। जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक और बाघिन की मौत हो गई, टाइगर रिजर्व के मानपुर परिक्षेत्र की दमना बीट में बाघिन का शव एक कुएं में मिला है. बीते दो दिनों में मादा बाघ के मरने की यह दूसरी घटना है. हलांकि, इस मामले में रेंज का कोई अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. इससे पहले 28 अगस्त को धमोखर रेंज की बड़वारा बीट में एक वयस्क मादा बाघ की मौत हो गई थी. प्रबंधन ने उसकी मौत बाघ से हुई मुठभेड़ के कारण होना बताया था. पिछले दो दिनों में दो बाघिनों की मौत से जिले के वन्यजीव प्रेमी खासा चिंतित हैं.

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उनका मानना है कि बाघिन की मौत पार्क के लिये दोहरा नुकसान है, इससे न केवल उनकी संख्या घटती है, बल्कि बाघों की वंशवृद्धि भी प्रभावित होती है. पिछले दो वर्षों के दौरान नेशनल पार्क में बाघों के मौत की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. शायद ही कोई महीना हो, जब एक या दो टाइगर रूखसत न हो रहे हों. उल्लेखनीय है कि 4 वर्ष पूर्व देश में हुई बाघों की गणना में बांधवगढ़ के 104 बाघों के कारण ही मप्र को 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, जबकि कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे नम्बर पर था. यदि यही हाल रहा तो इस बार राज्य के लिये यह ताज बचाये रखना बड़ी चुनौती बन जायेगी.

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