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Bandhavgarh Tiger Reserve: उमरिया के इन गांवों में बाघों की दहशत, ग्रामीणों की उड़ी नींद, वन विभाग ने किया अलर्ट - ghunaghuti range umaria

बांधवगढ़ के आस-पास के इलाकों में बाघों से लोग दहशत में हैं. बाघ आसान शिकार की तलाश में जंगल से विचरण करते हुए जंगल से सटे आस-पास के गांवों में पहुंच रहे हैं. वन विभाग ने आस-पास के ग्रामीणों को अलर्ट कर दिया है.

Bandhavgarh tiger reserve Area
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
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Published : Jul 27, 2023, 3:16 PM IST

उमरिया। घुनघुटी रेंज (समान्य वन मंडल) के गांवों में इन दिनों बाघों की दहशत है, वन विभाग ने ग्रामीणों को अलर्ट कर दिया है. घुनघुटी का जंगल बांधवगढ़ से लगा हुआ है जिसकी वजह से वहां के बाघ यहां आ जाते हैं. दरअसल बाघों के प्राकृतिक कॉरिडोर का ही हिस्सा घुनघुटी का जंगल है. घुनघुटी का जंगल एक तरफ बांधवगढ़ और दूसरी तरफ अनूपपुर जिले के जंगल से जुड़ जाता है. यही स्थिति बिरसिंहपुर पाली के जंगल की भी है. बिरसिंहपुर पाली और घुनघुटी का जंगल आपस में जुड़े हुए हैं और एक तरफ बांधवगढ़ और दूसरी तरफ अनूपपुर जिले का जंगल है, जिसके कारण जानवर यहां से वहां तक आते जाते रहते हैं.

बारिश के मौसम में बाघों की दहशत: बाघ वर्षा काल में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं, जिसके कारण गांव पर खतरा मंडराने लगता है. वर्षा काल के कारण जंगल और ग्रामीण क्षेत्र के मध्य भी ऊंची-ऊंची झाड़ियां तैयार हो गई हैं, जिसमें छुपकर बाघ बैठे रहते हैं. जिसके कारण खतरा बना रहता है. झाड़ियों में छुप कर बैठे बाघ अचानक हमला कर देते हैं. इसी तरह की घटना दो दिन पहले धमोखर के ददरोड़ी गांव में हुई जहां बाघ ने एक चरवाहे पर हमला कर दिया, जिस की मौके पर ही मौत हो गई.

हालांकि घुनघुटी में भी बाघों की अच्छी खासी संख्या है. देश में बड़ी बाघों की संख्या में सामान्य वन मंडलों का भी हिस्सा है. उमरिया जिले के घुनघुटी और पाली क्षेत्र में काफी बाघ होने की जानकारी शुरू से ही सामने आती रही है. वन्य प्राणी प्रेमी नरेंद्र बगड़िया का कहना है कि बाघों को उन्मुक्त जंगल की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से वे बांधवगढ़ तक ही सीमित नहीं रह सकते, यही कारण है कि आसपास के जंगलों में भी बाघ दिखाई दे रहे हैं.

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जंगल से सटे इलाकों में सक्रियता: जंगल के नजदीक बाघों के सक्रिय होने के कारण वन विभाग के अधिकारी लगातार गस्त कर रहे हैं. सामान्य वन मंडल में गस्ती का काम बहुत बेहतर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन फिर भी जंगल से सटे गांव के आसपास वन विभाग के कर्मचारी दिखाई पड़ते हैं. दरअसल सामान्य वन मंडल में टाइगर रिजर्व की तरह बजट नहीं आता जिसकी वजह से सुरक्षा की बहुत व्यापक व्यवस्था नहीं हो पाती है. जंगल में सक्रिय बाघों ने अभी तक कई मवेशियों का शिकार कर लिया है, जिससे आसपास के गांव के लोगों में दहशत बनी रहती है.

बाघों का आसान शिकार: उमरिया वन मंडल के डीएफओ मोहित सूद का कहना है कि जंगल के नजदीक गांव होने के कारण बाघों को मवेशियों के रूप में आसान शिकार मिल जाते हैं, जिसकी वजह से भी बाघ जंगल के किनारों पर सक्रिय हो जाते हैं. घुनघुटी और पाली क्षेत्र में कई मवेशियों का शिकार अभी तक बाघ कर चुके हैं हालांकि पशुपालकों को इसके लिए वन विभाग द्वारा मुआवजा प्रदान किया जाता है, लेकिन इस वे इस मुआवजे से संतुष्ट नहीं होते. जंगल में वन्य प्राणी सक्रिय रहते हैं. आसपास के गांव के लोगों को जंगल में जाने से सावधानी बरतनी चाहिए. अपने जानवरों को जंगल के अंदर नहीं जाने देना चाहिए, ताकि किसी तरह की कोई घटना ना होने पाए.

उमरिया। घुनघुटी रेंज (समान्य वन मंडल) के गांवों में इन दिनों बाघों की दहशत है, वन विभाग ने ग्रामीणों को अलर्ट कर दिया है. घुनघुटी का जंगल बांधवगढ़ से लगा हुआ है जिसकी वजह से वहां के बाघ यहां आ जाते हैं. दरअसल बाघों के प्राकृतिक कॉरिडोर का ही हिस्सा घुनघुटी का जंगल है. घुनघुटी का जंगल एक तरफ बांधवगढ़ और दूसरी तरफ अनूपपुर जिले के जंगल से जुड़ जाता है. यही स्थिति बिरसिंहपुर पाली के जंगल की भी है. बिरसिंहपुर पाली और घुनघुटी का जंगल आपस में जुड़े हुए हैं और एक तरफ बांधवगढ़ और दूसरी तरफ अनूपपुर जिले का जंगल है, जिसके कारण जानवर यहां से वहां तक आते जाते रहते हैं.

बारिश के मौसम में बाघों की दहशत: बाघ वर्षा काल में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं, जिसके कारण गांव पर खतरा मंडराने लगता है. वर्षा काल के कारण जंगल और ग्रामीण क्षेत्र के मध्य भी ऊंची-ऊंची झाड़ियां तैयार हो गई हैं, जिसमें छुपकर बाघ बैठे रहते हैं. जिसके कारण खतरा बना रहता है. झाड़ियों में छुप कर बैठे बाघ अचानक हमला कर देते हैं. इसी तरह की घटना दो दिन पहले धमोखर के ददरोड़ी गांव में हुई जहां बाघ ने एक चरवाहे पर हमला कर दिया, जिस की मौके पर ही मौत हो गई.

हालांकि घुनघुटी में भी बाघों की अच्छी खासी संख्या है. देश में बड़ी बाघों की संख्या में सामान्य वन मंडलों का भी हिस्सा है. उमरिया जिले के घुनघुटी और पाली क्षेत्र में काफी बाघ होने की जानकारी शुरू से ही सामने आती रही है. वन्य प्राणी प्रेमी नरेंद्र बगड़िया का कहना है कि बाघों को उन्मुक्त जंगल की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से वे बांधवगढ़ तक ही सीमित नहीं रह सकते, यही कारण है कि आसपास के जंगलों में भी बाघ दिखाई दे रहे हैं.

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जंगल से सटे इलाकों में सक्रियता: जंगल के नजदीक बाघों के सक्रिय होने के कारण वन विभाग के अधिकारी लगातार गस्त कर रहे हैं. सामान्य वन मंडल में गस्ती का काम बहुत बेहतर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन फिर भी जंगल से सटे गांव के आसपास वन विभाग के कर्मचारी दिखाई पड़ते हैं. दरअसल सामान्य वन मंडल में टाइगर रिजर्व की तरह बजट नहीं आता जिसकी वजह से सुरक्षा की बहुत व्यापक व्यवस्था नहीं हो पाती है. जंगल में सक्रिय बाघों ने अभी तक कई मवेशियों का शिकार कर लिया है, जिससे आसपास के गांव के लोगों में दहशत बनी रहती है.

बाघों का आसान शिकार: उमरिया वन मंडल के डीएफओ मोहित सूद का कहना है कि जंगल के नजदीक गांव होने के कारण बाघों को मवेशियों के रूप में आसान शिकार मिल जाते हैं, जिसकी वजह से भी बाघ जंगल के किनारों पर सक्रिय हो जाते हैं. घुनघुटी और पाली क्षेत्र में कई मवेशियों का शिकार अभी तक बाघ कर चुके हैं हालांकि पशुपालकों को इसके लिए वन विभाग द्वारा मुआवजा प्रदान किया जाता है, लेकिन इस वे इस मुआवजे से संतुष्ट नहीं होते. जंगल में वन्य प्राणी सक्रिय रहते हैं. आसपास के गांव के लोगों को जंगल में जाने से सावधानी बरतनी चाहिए. अपने जानवरों को जंगल के अंदर नहीं जाने देना चाहिए, ताकि किसी तरह की कोई घटना ना होने पाए.

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