उमरिया। मध्य प्रदेश में पैंगोलिन के शिकार और तस्करी का सिलसिला साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है. उमरिया पैंगोलिन के शिकार और तस्करी का सेंटर पॉइंट बन गया है. विदेशों में इसकी बढ़ती मांग और तस्करी के लिए सक्रिय गिरोह से विलुप्त प्रजाति के पैंगोलिन पर खतरा बढ़ गया है.
- आरोपियों में पुलिस आरक्षक शामिल
उमरिया में वन विभाग की वाइल्ड क्राइम कंट्रोल बोर्ड, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन और वन विकास निगम की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए हवाई पट्टी उमरिया में तीन आरोपियों को जीवित दुर्लभ वन्य जीव पैंगोलिन की तस्करी करते हुए रंगे हाथों गिरफतार किया है. खास बात यह कि पकड़े गए आरोपियों में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय उमरिया में पदस्थ आरक्षक आशीष इक्का भी शामिल हैं. उसके अलावा दो अन्य आरोपी बिलासपुर निवासी जितेंद्र वर्मा एवं ग्राम चंदवार निवासी मोहनलाल कोल शामिल हैं.
- मुखबिर से मिली सूचना पर कार्रवाई
पकड़े गए आरोपियों से टीम ने जीवित पैंगोलिन के साथ तीन मोबाइल और 2 बाइक जब्त की हैं. शेड्यूल 1 की श्रेणी में शामिल पैंगोलिन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और आसपास के जंगलों में बहुतायत में हैं. यहीं वजह है कि ये वन्य जीव शिकारियों के निशाने में हैं. वन विभाग की WCCB टीम को मुखबिरों से वन्य जीव पैंगोलिन के तस्करी की सूचना मिली थी. जिसके बाद वन अमला सक्रिय हुआ और आरोपियों से ग्राहक बनकर मुखबिरों को खरीदने की बात की और वन विकास निगम के उमरिया परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 825 में आरोपियों को दबोच लिया.
दुर्लभ प्रजाति पैंगोलिन की तस्करी करने वाले चार गिरफ्तार
- मुखबिरों के बारे में ऐसे जानें
वज्रशल्क या पैंगोलिन (pangolin) फोलिडोटा गण का एक स्तनधारी प्राणी है. इसके शरीर पर केराटिन के बने शल्क (स्केल) नुमा संरचना होती है. जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है. पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है. यह अफ़्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. इसे भारत में सल्लू सांप भी कहते हैं. इसे मध्यभारत में चीटीखोर के नाम से भी जाना जाता है. यह मूलरुप से चीटियों को खाकर ही अपना जीवन यापन करता है. रात के वक्त ही यह जंगलों में विचरण करता है.
- इन राज्यों से जुड़ा है पेंगोलिन की तस्करी का कारोबार
पेंगोलिन स्केल्स मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा व आंध्र प्रदेश से खरीदे जाते हैं. इन्हें असम, मिजोरम व मेघालय में व्यापारियों को बेचा जाता है. इन व्यापारियों द्वारा म्यांमार वर्मा से होते हुए चीन भेजा जाता है. इसकी म्यांमार, चीन, थाईलैंड, मलेशिया, हांगकांग, वियतनाम आदि देशों में अधिक मांग है. अलग-अलग राज्यों से पेंगोलिन के शिकार और तस्करी के लिए बड़ा रैकेट काम कर रहा है. मध्यप्रदेश से नेपाल के रास्ते पेंगोलिन की तस्करी चीन तक हो रही है. मध्य प्रदेश पेंगोलिन की तस्करी का अंतर्राष्ट्रीय अड्डा बन गया है और बालाघाट शिकार का सेंटर प्वाइंट है.
- बाघ की खाल के बराबर कीमत में बिकता है शल्क
पेंगोलिन भी बाघ की तरह शेड्यूल-1 कैटेगरी का वन्य प्राणी है. इसके शिकार में बाघ के शिकार के बराबर ही कानूनी प्रावधान है. इतना ही नहीं इसके शल्क भी बाघ की खाल के बराबर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत रखते हैं. इसके शल्क स्थानीय बाजार में 50 हजार रुपए किलो तक बिकते हैं. जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए प्रति किलो है.