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Bandhavgarh Tiger Reserve : 18 माह की बाघिन शावक का खून से लथपथ शव मिला

वर्ल्ड लाइफ डे के दिन बांधवगढ टाइगर रिजर्व से एक दुखद खबर आ रही है. यहां 18 माह की बाघिन शावक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पार्क के अधिकारियों का कहना है कि बाघों के आपसी संघर्ष में ये मौत हो सकती है. टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में बाघों की लगातार मौतें हो रही हैं. अधिकांश मामलों में बाघों की मौत शिकारियों द्वारा करंट लगाकर या फिर फंदा लगाकर की जा रही है.

Bandhavgarh Tiger Reserve
18 माह की बाघिन शावक का खून से लथपथ शव मिला
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Published : Mar 3, 2023, 1:58 PM IST

उमरिया। बांधवगढ टाइगर रिज़र्व के खितौली परिक्षेत्र में फिर 18 माह के बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. इससे पार्क के अफसरों में हड़कंप मच गया. बाघिन डोभा बीट के कक्ष कमांक आरएफ़ 374 राजस्व क्षेत्र लमनहाहार में मृत अवस्था मे मिली है. गुरुवार की सुबह गश्ती दल घटनास्थल के करीब गश्ती कर रहा था, तभी मृत अवस्था मे बाघिन मिली. इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार क्षेत्र की घेराबंदी कर क्षेत्र में डॉग स्कवॉयड द्वारा सघन निरीक्षण किया गया. घटनास्थल के पास कई जगहों पर ब्लड देखा गया.

पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार : बांधवगढ टाइगर रिज़र्व पार्क अधिकारियों की मानें तो बाघिन के मौत के कारण प्राथमिक दृष्ट्या बाघों का आपसी संघर्ष है. फिलहाल बाघिन की मौत के बाद आवश्यक कार्रवाई जारी है. पार्क अधिकारियों, वन्य प्राणी चिकित्सक, एनटीसीए प्रतिनिधि के समक्ष गुरुवार की शाम मृत बाघिन शावक का पीएम आदि कर अंतिम संस्कार कर दिया गया. बता दें कि मध्यप्रदेश में लगातार बाघ मौत के शिकार हो रहे हैं. इनमें अधिकांश घटनाएं शिकार से जुड़ी होती हैं. बाघों को शिकारी करंट लगाकर मार रहे हैं.

9 साल में 456 बाघ-तेंदुओं की मौत : वर्ल्ड लाइफ डे के दिन बाघ की मौत हिलाने वाली है. बताया गया कि प्रदेश में 9 साल में 456 बाघ-तेंदुओं की मौत हुई है. हालांकि इनकी मौत के कई कारण हैं. टाइगर स्टेट और लैपर्ड स्टेट कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ये आंकड़े शर्मनाक हैं. जितने बाघों व तेंदुओं की मौत हुई है उनमें अधितकर करंट लगाकर तो कभी फंदा लगाकर मारा गया है. बाघों की संख्या बढ़ने से टेरेटोरियल फाइट भी मौत की वजह बन रही है. ये बात अलग है कि सुखद पहलू यह है कि प्रदेशं को एक बार फिर टाइगर स्टेट की उपाधि मिली है. एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में बाघों की संख्या साढ़े 600 तक हो सकती है.

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वन कर्मियों से मारपीट : बुरहानपुर जिले के रेणुका माता मंदिर के पास स्थित रेंज कार्यालय और डिपो में गुरुवार शाम करीब 40 अतिक्रमणकारियों ने वन कर्मियों से मारपीट कर कार्यालय में तोड़फोड़ की. दरअसल, वन विभाग ने दो महिला और दो पुरुष अतिक्रमणकारियों की प्लांटेशन को नष्ट करने और अतिक्रमण करने के प्रयास में पकड़ा था. जिसके बाद पूछताछ के लिए रेंज कार्यालय लाया था, लेकिन उन्हें छुड़ाने के लिए करीब 40 अतिक्रमणकारियों ने पहुंचकर मौजूद स्टाफ से मारपीट करते हुए सभी साथियों को छुड़ा लिया. डीएफओ अनुपम शर्मा को घटना की सूचना मिलते ही उन्होंने लालबाग थाने सहित पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी. पुलिस हमलावरों की तलाश कर रही है.

उमरिया। बांधवगढ टाइगर रिज़र्व के खितौली परिक्षेत्र में फिर 18 माह के बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. इससे पार्क के अफसरों में हड़कंप मच गया. बाघिन डोभा बीट के कक्ष कमांक आरएफ़ 374 राजस्व क्षेत्र लमनहाहार में मृत अवस्था मे मिली है. गुरुवार की सुबह गश्ती दल घटनास्थल के करीब गश्ती कर रहा था, तभी मृत अवस्था मे बाघिन मिली. इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार क्षेत्र की घेराबंदी कर क्षेत्र में डॉग स्कवॉयड द्वारा सघन निरीक्षण किया गया. घटनास्थल के पास कई जगहों पर ब्लड देखा गया.

पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार : बांधवगढ टाइगर रिज़र्व पार्क अधिकारियों की मानें तो बाघिन के मौत के कारण प्राथमिक दृष्ट्या बाघों का आपसी संघर्ष है. फिलहाल बाघिन की मौत के बाद आवश्यक कार्रवाई जारी है. पार्क अधिकारियों, वन्य प्राणी चिकित्सक, एनटीसीए प्रतिनिधि के समक्ष गुरुवार की शाम मृत बाघिन शावक का पीएम आदि कर अंतिम संस्कार कर दिया गया. बता दें कि मध्यप्रदेश में लगातार बाघ मौत के शिकार हो रहे हैं. इनमें अधिकांश घटनाएं शिकार से जुड़ी होती हैं. बाघों को शिकारी करंट लगाकर मार रहे हैं.

9 साल में 456 बाघ-तेंदुओं की मौत : वर्ल्ड लाइफ डे के दिन बाघ की मौत हिलाने वाली है. बताया गया कि प्रदेश में 9 साल में 456 बाघ-तेंदुओं की मौत हुई है. हालांकि इनकी मौत के कई कारण हैं. टाइगर स्टेट और लैपर्ड स्टेट कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ये आंकड़े शर्मनाक हैं. जितने बाघों व तेंदुओं की मौत हुई है उनमें अधितकर करंट लगाकर तो कभी फंदा लगाकर मारा गया है. बाघों की संख्या बढ़ने से टेरेटोरियल फाइट भी मौत की वजह बन रही है. ये बात अलग है कि सुखद पहलू यह है कि प्रदेशं को एक बार फिर टाइगर स्टेट की उपाधि मिली है. एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में बाघों की संख्या साढ़े 600 तक हो सकती है.

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