उमरिया। पाली वन परिक्षेत्र के बरबसपुर बीट में चार वर्षीय नर तेंदुए की करंट लगने से मौत हो गई. शव बरबसपुर समीप बांध में झाड़ियों के बीच मिला है. तकरीबन दो दिन तक पानी में पड़े रहने के कारण शव फूला हुआ था. शरीर में चोट के निशान नहीं थे. पैर से एक नाखून एवं मुंह में एक दांत टूटा हुआ था. वन विभाग का दावा है तेंदुए के सभी अंग सुरक्षित हैं. केवल एक नाखून टूटा हुआ है. मौत का कारण करंट ही है. अब करंट शिकार के लिए था या फिर खेतों में फसल को बचाने के लिए, यह जांच का मुख्य बिंदु है.
वन अमला शुक्रवार शाम गश्त कर रहा था. इसी दौरान उनकी नजर तेंदुए पर पड़ी. शनिवार को डीएफओ आरएस सिकरवार स्वयं दल-बल के साथ घटना स्थल पहुंचे. बीटीआर से डॉग स्क्वॉड को बुलाया गया. इलाके को सील कर सर्चिंग की गई. शव के पोस्टमार्टम के लिए बीटीआर से डॉक्टर नितिन गुप्ता एवं पशु चिकित्सा विभाग के दल को लगाया गया. दोपहर को गाइड लाइन अनुसार शव का दाह संस्कार किया गया.
आसपास नहीं है बिजली तार
मौत के प्राथमिक साक्ष्य करंट की तरफ इशारा करते हुए एक टीम को सघन चैकिंग में लगा दिया गया है. पाली रेंजर ने बताया कर्मचारी पहले ही गश्त एवं तलाश में जुटे हुए हैं. हालांकि जहां तेंदुए की मौत हुई है वहां दो से तीन किमी. नजदीक जंगल में बिजली पोल नहीं लगे हैं. संदेह यह भी है कि कहीं और करंट लगने के बाद तेंदुआ यहां आकर मृत हुआ. या फिर किसी ने खेत में मरने के बाद छिपाने के लिए बांध में फेक दिया होगा.
दो माह पूर्व मादा तेंदुए की हुई थी मौत
पाली के जंगलों में वन्यप्राणी तेंदुए की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है. दो माह पहले भी 11 सितंबर को कक्ष क्रमांक आर 578 मुनारा क्रमांक 33 बरबसपुर रोड किनारे मादा तेंदुए का शव मिला था. आसपास सर्चिंग में स्पॉर्ट पर जबरस्त लड़ाई के निशान मिले थे. शव के गले में दोनों ओर दो-दो दांत के निशान थे.
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बांधवगढ़ के वन्यजीव लगातार इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. बावजूद इसके मूवमेंट के दौरान उन्हें पुख्ता सुरक्षा नहीं मिल पा रही. वहीं उनकी मौत या शिकार के बाद विभाग कोई ध्यान नहीं देता है.