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आखिर क्या है कथली गंगा नदी का रहस्य ? नदी में नहाने से दूर होता है चर्मरोग !

विन्ध्य और मैकल पर्वत श्रृंखला के तलहटी क्षेत्रों में बसा उमरिया का चंदिया नगर, गोंडवाना राज्य के साथ-साथ बघेल राजवंशों की कहानियों को भी बयां करता है. यहां से निकलने वाली प्राकृतिक गंधक कथली नदी में नहाने से चर्मरोग दूर होता है. कथली नदी के प्राकृतिक गंधक युक्त जल की ख्याति दूर-दूर तक फैली है.

Kathali Ganga River
कथली गंगा नदी
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Published : Oct 16, 2020, 4:21 AM IST

उमरिया। उमरिया से 24 किलोमीटर दूर बसा चंदिया नगर कई ऐतिहासिक धरोहरों अपने सीने में समेटे हुए है. विंध्य और मैकल पर्वत श्रृंखला के तलहटी में बसा चंदिया नगर, गोंडवाना राज्य के साथ-साथ बघेल राजवंशों की कहानियों को भी समेटा हुआ है. यहां से निकलने वाली प्राकृतिक गंधक युक्त, कथली नदी की ख्याति दूर दूर तक है. इस नदी में नहाने से त्वचा संबधी रोग दूर होते हैं. जब लोगों को लगा कि भला कैसे यह नदी लोगों के रोगों को ठीक कर सकती है तो यहां के लोग नदी के पानी की जांच भी करवाई. तो निष्कर्ष यही निकला कि गंधकयुक्त पानी कुष्ठरोग के लिए रामबाण है.

क्यों है कथली गंगा नदी चमत्कारिक

डॉक्टर भी मानते हैं कि इस नदी के जल में नहाने से एक्जीमा, कुष्ठरोग, खाज-खुजली जैसे रोग ठीक हो जाते हैं. लोगों के मुताबिक पानी का लैब टेस्ट हो चुका है. जिसमे यह बात निकलकर सामने आई कि पानी में गंधक की मात्रा ज्यादा होने से चर्म रोग ठीक हो जाता है. नदी में चर्मरोगियों के नहाने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहां नहाने के लिए पहुंचते हैं और इसे कथली गंगा नदी के नाम से जानते हैं.

Kathali Ganga River
कथली गंगा नदी

गंदे पानी से प्रदूषित होती नदी

अपनी अविरल धारा में सैकड़ों सालों के साक्ष्यों को समेटे कथली गंगा नदी को चंदिया के प्रसिद्ध कवि रघुनाथ प्रसाद मिश्र 'ललित' ने अपने खंड काव्य में इस नदी को कथली गंगा की संज्ञा दी है. इसके साथ ही आज भी इस नदी को कथली गंगा नदी के नाम से जाता है लेकिन किनारे किनारे बसने लोग इसे प्रदूषित कर रहे हैं. चंदिया नगर के लोग नालियों के माध्यम से पानी को कथली नदी में बहा रहे हैं, हालांकि जिला प्रशासन इस नदी को साफ करने के ढेरों दावे कर रहा है. लेकिन कथली गंगा का जस का तस बना हुआ है.

तत्कालीन गवर्नर लार्ड लिनलिथगो और कथली नदी

रिटायर्ड प्राचार्य पंडित रमेश मिश्रा के मुताबिक तत्कालीन गवर्नर लार्ड लिनलिथगो जब इस क्षेत्र में शिकार करने आते थे तो वह कथली नदी के किनारे बनी कोठी में ठहरते थे और उन्होंने उस वक्त पानी की जांच भी करवाई थी, जिसमे पता चला था कि इस पानी में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा है. वहीं जब रीवा के 32वें राजा व्यंकट रमण तत्कालीन दक्षिण रीवा क्षेत्र के दौरे पर होते थे तो वो इसी नदी का पानी पीते थे. चर्मरोग के लिए कथली नदी का पानी रामबाण इलाज है.

जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर प्रमोद द्विवेदी के मुताबिक सल्फर जिसे हिंदी में गंधक कहते हैं. उसमें एक बहुत गुणकारी प्रॉपर्टी होती है. वो एंटिग फगल का काम करती है. ऐसे रोगों को दूर करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है. डॉक्टर प्रमोद द्विवेदी ने कहा कि जिन-जिन जगहों से कथली नदी गुजरती है और इसमें नहाने से चर्मरोग दूर होता है.

नदी का इतिहास

चंदिया नगर को इससे पहले रमणीक नगर नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि कथली में एक साधू आए हुए थे और उन्हें काफी प्यास लगी हुई थी. घने जंगलों को देख साधू पानी की तलाश में जंगल पहुंचे. लेकिन साधू को यहां पानी का कोई स्योत्र नहीं मिला. तो उन्होंने मां गंगा का आह्वान किया और तभी अचानक से जल की धारा बहने लगी. इस दौरान साधू ने कथली ओढ़ रखी थी इसलिए इस नदी का नाम कथली पड़ा और चंदिया वासियों के लिए यह नदी तभी से आस्था का केंद्र हैं.

उमरिया। उमरिया से 24 किलोमीटर दूर बसा चंदिया नगर कई ऐतिहासिक धरोहरों अपने सीने में समेटे हुए है. विंध्य और मैकल पर्वत श्रृंखला के तलहटी में बसा चंदिया नगर, गोंडवाना राज्य के साथ-साथ बघेल राजवंशों की कहानियों को भी समेटा हुआ है. यहां से निकलने वाली प्राकृतिक गंधक युक्त, कथली नदी की ख्याति दूर दूर तक है. इस नदी में नहाने से त्वचा संबधी रोग दूर होते हैं. जब लोगों को लगा कि भला कैसे यह नदी लोगों के रोगों को ठीक कर सकती है तो यहां के लोग नदी के पानी की जांच भी करवाई. तो निष्कर्ष यही निकला कि गंधकयुक्त पानी कुष्ठरोग के लिए रामबाण है.

क्यों है कथली गंगा नदी चमत्कारिक

डॉक्टर भी मानते हैं कि इस नदी के जल में नहाने से एक्जीमा, कुष्ठरोग, खाज-खुजली जैसे रोग ठीक हो जाते हैं. लोगों के मुताबिक पानी का लैब टेस्ट हो चुका है. जिसमे यह बात निकलकर सामने आई कि पानी में गंधक की मात्रा ज्यादा होने से चर्म रोग ठीक हो जाता है. नदी में चर्मरोगियों के नहाने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहां नहाने के लिए पहुंचते हैं और इसे कथली गंगा नदी के नाम से जानते हैं.

Kathali Ganga River
कथली गंगा नदी

गंदे पानी से प्रदूषित होती नदी

अपनी अविरल धारा में सैकड़ों सालों के साक्ष्यों को समेटे कथली गंगा नदी को चंदिया के प्रसिद्ध कवि रघुनाथ प्रसाद मिश्र 'ललित' ने अपने खंड काव्य में इस नदी को कथली गंगा की संज्ञा दी है. इसके साथ ही आज भी इस नदी को कथली गंगा नदी के नाम से जाता है लेकिन किनारे किनारे बसने लोग इसे प्रदूषित कर रहे हैं. चंदिया नगर के लोग नालियों के माध्यम से पानी को कथली नदी में बहा रहे हैं, हालांकि जिला प्रशासन इस नदी को साफ करने के ढेरों दावे कर रहा है. लेकिन कथली गंगा का जस का तस बना हुआ है.

तत्कालीन गवर्नर लार्ड लिनलिथगो और कथली नदी

रिटायर्ड प्राचार्य पंडित रमेश मिश्रा के मुताबिक तत्कालीन गवर्नर लार्ड लिनलिथगो जब इस क्षेत्र में शिकार करने आते थे तो वह कथली नदी के किनारे बनी कोठी में ठहरते थे और उन्होंने उस वक्त पानी की जांच भी करवाई थी, जिसमे पता चला था कि इस पानी में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा है. वहीं जब रीवा के 32वें राजा व्यंकट रमण तत्कालीन दक्षिण रीवा क्षेत्र के दौरे पर होते थे तो वो इसी नदी का पानी पीते थे. चर्मरोग के लिए कथली नदी का पानी रामबाण इलाज है.

जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर प्रमोद द्विवेदी के मुताबिक सल्फर जिसे हिंदी में गंधक कहते हैं. उसमें एक बहुत गुणकारी प्रॉपर्टी होती है. वो एंटिग फगल का काम करती है. ऐसे रोगों को दूर करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है. डॉक्टर प्रमोद द्विवेदी ने कहा कि जिन-जिन जगहों से कथली नदी गुजरती है और इसमें नहाने से चर्मरोग दूर होता है.

नदी का इतिहास

चंदिया नगर को इससे पहले रमणीक नगर नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि कथली में एक साधू आए हुए थे और उन्हें काफी प्यास लगी हुई थी. घने जंगलों को देख साधू पानी की तलाश में जंगल पहुंचे. लेकिन साधू को यहां पानी का कोई स्योत्र नहीं मिला. तो उन्होंने मां गंगा का आह्वान किया और तभी अचानक से जल की धारा बहने लगी. इस दौरान साधू ने कथली ओढ़ रखी थी इसलिए इस नदी का नाम कथली पड़ा और चंदिया वासियों के लिए यह नदी तभी से आस्था का केंद्र हैं.

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