रीवा। लोकायुक्त टीम ने उमरिया जिले के विद्युत विभाग कार्यालय के कनिष्ठ अभियंता को 40 हजार रुपए रिश्वत (senior Engineer took bribe of 40 thousand rupees in rewa) लेते रंगे हाथ पकड़ा है. आरोपी कनिष्ठ अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है. उमरिया जिले के मुगवानी गांव में ट्रांसफार्मर लगाने के एवज में आरोपी ने किसान से 50 हजार रुपए घूस की डिमांड की थी, जिसकी शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने उसे रंगे हाथ पकड़ा है. उमरिया जिले के इंदवार थाना क्षेत्र के मुगवान गांव के किसान विनीत कुशवाहा ने कनिष्ठ अभियंता कमलेश कुमार त्रिपाठी के खिलाफ घूस मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी.
मंत्री ओपीएस भदौरिया को हाई कोर्ट से मिली राहत
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने भदौरिया का चुनाव शून्य घोषित करने वाली याचिका को खारिच कर दिया है. उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमंत कटारे ने उनके चुनाव को चुनौती दी थी. जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकल पीठ ने गुरुवार को याचिका पर सुनवाई की. मंत्री पर चुनाव जीतने के लिए अनुचित हथकंडे अपनाने के आरोप लगाए गए थे. भदौरिया भिंड के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र से नवंबर 2020 में उपचुनाव लड़े थे. कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे ने सिर्फ भदौरिया को ही पक्षकार बनाया था, जबकि अधिवक्ता कुशाग्र रघुवंशी ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 82 के प्रावधानों के अनुसार जितने आवेदकों ने चुनाव में भाग लिया है, उन सभी को पक्षकार बनाया जाना चाहिए था.
हाई कोर्ट ने खारिज की हेमंत कटारे की याचिका
इस उप चुनाव में 38 प्रत्याशियों ने भाग लिया था, जिसमें भदौरिया विजयी निर्वाचित हुए थे. भदौरिया (High Court gave big relief to Minister OPS Bhadoria) की ओर से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 86 के तहत ऐसी याचिका को विचारणीय नहीं बताया था. हालांकि याचिकाकर्ता हेमंत कटारे ने इसके जवाब में बाकी आवेदकों को भी पक्षकार बनाने के लिए न्यायालय से अनुमति चाही थी, लेकिन बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि एक बार याचिका प्रस्तुत होने के बाद सीपीसी संशोधन के प्रावधान लागू नहीं होते हैं, इसलिए इसे निरस्त किया जाए. सभी पक्ष सुनने के बाद न्यायमूर्ति जीएस आहलूवालिया ने उक्त चुनाव याचिका को खारिज कर दिया है.
अवैध है सरकारी जमीन पर बनी हाई राइज बिल्डिंग
जबलपुर में सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध हाई राइज बिल्डिंग बनाने वाले बिल्डर सरबजीत सिंह मोखा की मुश्किलें (Illegal high rise building built on government land) बढ़ गई हैं. गोरखपुर एसडीएम कोर्ट ने मोखा की हाई राइज बिल्डिंग को अवैध कब्जे पर अवैध निर्माण करार दिया है. एसडीएम कोर्ट ने 20 नवंबर 2020 को तहसीलदार कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी है. मोखा की अमृत हाईट्स बिल्डिंग का निर्माण अवैध करार दिया गया था और जमीन के नामांतरण पर रोक लगा दी गई थी. एसडीएम कोर्ट ने पाया कि आगा चौक के पास नरेन्द्र विश्वकर्मा नाम के शख्स के साथ मिलकर सरबजीत सिंह मोखा ने जिस जमीन पर अमृत हाइट्स का निर्माण किया है, वो सरकारी है. ये जमीन पहले खाद्य विभाग के गोदाम के लिए अधिगृहित की गई थी, बाद में उसका बड़ा हिस्सा एमपीआरटीसी को अलॉट किया गया था.