उमरिया। यूं तो भारत में गोद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. स्कूल, आश्रम, चिकित्सालय से अनाथ बच्चों को अक्सर लोग गोद लेते हैं. केंद्र सरकार ने तो सांसदों को अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के पिछड़े गांवों को भी गोद लेने के लिए निर्देशित किया है. लेकिन अगर हम आपसे कहे कि अब आप हाथी को भी गोद ले सकते हैं. तो शायद आप विश्वास नहीं करेंगे. लेकिन यह सच है. इस अनूठी योजना का शुभारंभ मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से होने जा रहा है. जहां बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के 15 पालतू हाथी और स्नीफर डॉग बेली को गोद लेने के लिए अभियान पहली बार शुरू हो रहा है.
अब देश विदेश का कोई व्यक्ति घर बैठे बांधवगढ़ के हाथियों को गोद ले सकता है. हाथियों को गोद लेने के बाद उसकी पूरी जिम्मेदारी उठानी होगी. इसके बदले में वन्य जीव प्रेमियों को डिजिटल सर्टिफिकेट भी मिलेगा. साथ ही हाथियों की रिपोर्ट के साथ उनका नाम भी दर्ज होगा. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विंसेंट रहीम ने बताया कि हाथियों को गोद लेने का कार्यक्रम हाथी महोत्सव के आखिरी दिन शुभारंभ किया जाएगा.
वन्य जीव प्रेमियों की अपील पर प्रारंभ की जा रही योजना
काफी समय से वन्यजीव प्रेमियों के द्वारा इस तरह सहयोग की बात की जा रही थी. उन्हीं सभी की प्रेरणा से यह कार्यक्रम चालू किया जा रहा है. अब पार्क के हाथियों से विशेष लगाव रखने वाले लोग इन्हें गोद ले सकेंगे. जिसके बाद गोद लेने वाले व्यक्ति को हाथियों के भोजन, दवा और रख-रखाव के लिए राशि देनी होगी. हाथियों को गोद लेने की समय सीमा भी तय की गई है. समय एक दिन से लेकर हफ्ते, माह और सालभर तक शुल्क के अनुसार रहेगा.
इसके बदले में पार्क प्रबंधन वन्य जीव प्रेमियों को डिजिटल सर्टिफिकेट देगा और वार्षिक प्रतिवेदन में दान दाताओं के नामों का उल्लेख किया जाएगा. विंसेंट रहीम ने बताया कि जब बांधवगढ़ के ऑफिशियिल सोशल मीडिया अकाउंट से जब इस जानकारी को सार्वजनिक किया गया तो काफी लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है.
चार तरह से कर सकते हैं दान
विंसेंट रहीम ने बताया कि जरूरी नहीं कि पूरे साल के लिए हाथियों को गोद लिया जाए. स्नीफर डॉग का रोज का औसत खर्च 275 रुपए प्रतिदिन है, 1,925 रुपए प्रति सप्ताह है, 8,250 रुपए प्रतिमाह और लगभग 1 लाख रुपए प्रति वर्ष खर्च होता है. इसी तरह एक हाथी के लिए 500 रुपए प्रतिदिन, 3,500 रुपए प्रति सप्ताह 12,500 प्रतिमाह और 1 लाख 50 हजार रुपए प्रतिवर्ष खर्च आता है. इसके लिए पहले से खाता खोला जा रहा है. जिसमे ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से राशि भेजी जा सकेगी. इसका अभी हिसाब-किताब तैयार किया जा रहा है. सभी 15 हाथियों का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा.
गौतम कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में गश्त और ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें 15 हथियों में 10 नरों में गौतम, तूफान, सुंदरगज, अष्टम, रामा, सूर्या, गणेश, लक्ष्मण, श्याम और नील है. इसी तरह मादाओं में अनारकली, बांधवी, पूनम, लक्ष्मी और काजल नाम की हथनी शामिल है.
74 साल का नर गौतम (1946) कुनबे का सबसे बुजुर्ग सदस्य है. अब वह मानिटरिंग आदि के कार्य से मुक्त हो चुका है. माना जाता है कि अन्य युवा हाथी इसकी संतान हैं. दूसरे नंबर पर 69 वर्षीय नर हाथी (1951) है. वहीं अनारकली तीसरे नंबर की सीनियर हथनी है. सबसे युवा सदस्य लक्ष्मी है, जिसका जन्म दिसंबर 2018 में हुआ था. साल 2018 में यह परिवार 18 हाथियों का था. मादा साम्भवी और एक अन्य को गश्त के लिए स्थाई तौर पर संजय टाईगर रिजर्व भेज दिया गया है. एक अन्य हाथी दो-तीन साल पहले नौरोदेही अभ्यारण भी जा चुका है.