उमरिया। बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक मादा गर्भवती बारहसिंघा की मौत के बाद प्रोजेक्ट बारहसिंघा पर खतरे के बादल मंडराते हुए नजर आने लगे हैं. कान्हा टाइगर रिजर्व से लाए गए बारहसिंघा बांधवगढ़ की मिट्टी के कारण भी मुश्किल में है. दरअसल बांधवगढ़ की जमीन रेतीली है और भुरभुरी है, जिसमें दौड़ते वक्त बारहसिंघा के पैर धंस जाते हैं, जबकि उन्हें कान्हा नेशनल पार्क से लाया गया है, जहां दोमट मिट्टी और कठोर जमीन है. फिलहाल अब मिट्टी के कारण बारहसिंघा को बांधवगढ़ में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि प्रोजेक्ट के बारे में फील्ड डायरेक्टर राजीव मिश्रा का कहना है कि "यह प्रोजेक्ट तीन साल का है और तीन साल मे बारहसिंघा का स्वभाव बांधवगढ़ के अनुरूप हो जाएगा."
गर्भवती मादा बारहसिंघा की मौत: मादा बारहसिंघा के शरीर पर पाई गई चोट को लेकर अलग-अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं, एक चर्चा यह भी है कि रेतीली भुरभुरी मिट्टी मे दौड़ते समय मादा बारहसिंघा लडख़ड़ा गई होगी और इसलिए उसे चोट लगी होगी. अगर ऐसी स्थिति है तो अभी प्रोजेक्ट बारहिसिंगा पर और नजर रखने की आवश्यकता होगी.
3 साल बाड़े में गुजारेंगे कान्हा से आए मेहमान: बांधवगढ नेशनल पार्क मे पहली बार बारहसिंघा को बसाने का प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसके लिए शासन स्तर से मंजूरी मिलने के साथ ही पार्क प्रबंधन ने प्रोजेक्ट की तैयारी पूरी की थी. इसके बाद कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंघा को लाकर यहां पुनस्र्थापित करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ. बारहसिंघा यहां के वातावरण मे ढल सकें और उनकी आवयश्कताओं के साथ सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं पार्क प्रबंधन द्वारा बनाई गई है. यही कारण है कि कान्हा टाइगर रिजर्व की ठोस मिट्टी वाली जमीन से आने वाले मेहमानों को बांधवगढ़ के एक बाड़े मे तीन साल गुजारना पड़ेगा. इसके बाद उन्हें खुले जंगल मे छोड़ा जाएगा. बारहसिंघा बांधवगढ़ में सफलता पूर्वक बसाए जा सकते हैं. दोनों नेशनल पार्क का जो अंतर है उसके बीच बारहसिंघा कुछ समय मे सामंजस्य बैठा सकते हैं. यही कारण है कि उन्हें यहां लाने के बाद पहले तीन साल तक बाड़े मे रखने का निर्णय लिया गया है.
बारहसिंघा के लिए पूरी तरह सुरिक्षत है बाड़ा: प्रोजेक्ट बारहसिंघा को लीड कर रहे एसडीओ सुधीर मिश्रा का कहना है कि "मगधी रेंज के बहेरहा बाड़े मे जहां बारहसिंघा को रखा गया है, वहां बराबर नजर रखी जा रही है और वन्य प्राणी विशेषज्ञ अपना काम कर रहे हैं. परिवेश परिवर्तित होने का जो असर बारहसिंगा पर है, वो समय के साथ सामान्य हो जाएगा. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंघा को लाकर बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे बसाने के लिए मगधी जोन मे 50 हेक्टेयर में बाड़ा तैयार किया गया है, यह बाड़ा पूरी तरह से सुरिक्षत है जिससे बारहसिंघा को किसी भी तरह से कोई खतरा नहीं होने पाए. बाड़े की फैंसिंग की ऊंचाई इतनी रखी गई है कि बाघ भी उसे फांद न सके. जमीन पर रेंगने वाले जानवर भी बाड़े मे प्रवेश न कर सकें, इसकी व्यवस्था भी की "