उमरिया। भारतीय मजदूर संघ ने कलेक्टर उमरिया को ज्ञापन सौंपकर विभिन्न मांगों की ओर उनका ध्यान आकर्षित कराया है. उन्होंने ज्ञापन सौंपकर बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लाखों मजदूर अपने रोजगार खोकर (गंवाकर) अपने कार्य स्थल में अपने मूल स्थानों को पलायन किया है. भारतीय मजदूर संघ की पहल पर केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए स्वास्थ्य व खाद्य तथा रोजगार सृजन के लिए भारी मात्रा में राज्यों को धन आवंटित किया है किन्तु क्रियान्यवन स्तर पर इसका लाभ मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है.
लाखों श्रमिकों के खाते में राशि हस्तांतरण नहीं हुई है. मनरेगा कार्ड पंजीयन नहीं हुए हैं, स्वास्थ सुविधा नहीं मिली है. उन्होने मांग की है कि समस्त मजदूरों को आजीविका चलाने के लिए उनको पूर्ण रोजगार दिया जाए. समस्त कारखानों 50 प्रतिशत के स्थान पर 100 प्रतिशत खोला जाए. पूर्ण रूप से उन्हें सेवा में रखा जाए. लॉकडाउन की अवधि के पश्चात् श्रमिकों को वेतन भुगतान नहीं किया गया है उसका तत्काल भुक्तान किया जाए.
समस्त ग्रामीणों एवं श्रमिको को संबल योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार के द्वारा जारी कि गई अनुदान राशि के माध्यम से पूर्ण रोजगार दिलाया जाए. समस्त मजदूर जो बाहर से लौटे हैं उन्हें काम नहीं मिल रहा है. उनको ग्रेड (श्रेठी)के अनुसार मजदूरी का भुगतान किया जाये. अतिथि शिक्षकों का मानदेय मई माह भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक तंगी से जुझ रहे है इनका मानदेय तत्काल भुगतान किया जाए.
मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के द्वारा प्रदेश के सभी रसोईयों का मानदेय 100 प्रतिशत बढ़ाए थे. जिमसे उमरिया जिले में मानदेय हजार रुपये पाने वाले रसोईयों का मानदेय रुपये दो हजार हो गया, लेकिन आंगनबाड़ी में कार्यरत रसोइयों का रुपये 500 कि जगह 1000 रुपये होना था जो आज दिनांक तक मानदेय रुपये 1000 नहीं हो पाया है. तत्काल इस मानदेय से लाभांवित लागू करवाया जाए सहित आदि मांगें शामिल हैं.