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अष्टमी पर सोने से सजीं माता बिरासिनी, आटे व गुड़ के राट का लगा भोग - navratri 2020

उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली में माता बिरासिनी के दरबार में अष्टमी के दिन उनका सोने के आभूषणों से श्रृंगार किया गया. वहीं नवमीं के दिन आजीवन ज्योति कलश का विसर्जन किया जाएगा.

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माता बिरासिनी के दरबार में मनाई गई अष्टमी
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Published : Oct 24, 2020, 5:48 PM IST

उमरिया। बिरसिंहपुर पाली के पाली नगर में जगत जननी माता बिरासिनी के दरबार में अष्टमी धूमधाम से मनाई गई. अष्टमी पर मातारानी का श्रृंगार सोने के आभूषण से किया गया. साथ ही विधि विधान से माता की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान लोगों ने माता रानी को आटे व गुड़ से बनाए गए रोट का भोग लगाया.

अष्टमी पर सोने से सजीं माता बिरासिनी

नवरात्रि में हर साल माता बिरासिनी के दरबार में भक्त हजारों की संख्या में मनोकामना कलश स्थापित करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कलश स्थापित करने पर रोक लगा दी है. यहां आजीवन ज्योति कलश ही स्थापित कराए गए. इस कलश का विसर्जन मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

कोरोना काल में दरबार में आने वाले भक्तों से सभी गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है. यहां एक बार में 10 लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में एंट्री दी जा रही है. माता को अठवाइन चढ़ाने की भी परंपरा है, लेकिन संक्रमण के चलते भक्त अठवाइन माता के चरणों में छुआकर अपने साथ वापस ले जा रहे हैं. इस बार माता को अठवाइन नहीं चढ़ाई जा रही हैं.

उमरिया। बिरसिंहपुर पाली के पाली नगर में जगत जननी माता बिरासिनी के दरबार में अष्टमी धूमधाम से मनाई गई. अष्टमी पर मातारानी का श्रृंगार सोने के आभूषण से किया गया. साथ ही विधि विधान से माता की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान लोगों ने माता रानी को आटे व गुड़ से बनाए गए रोट का भोग लगाया.

अष्टमी पर सोने से सजीं माता बिरासिनी

नवरात्रि में हर साल माता बिरासिनी के दरबार में भक्त हजारों की संख्या में मनोकामना कलश स्थापित करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कलश स्थापित करने पर रोक लगा दी है. यहां आजीवन ज्योति कलश ही स्थापित कराए गए. इस कलश का विसर्जन मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा स्थानीय सगरा तालाब में किया जाएगा.

कोरोना काल में दरबार में आने वाले भक्तों से सभी गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है. यहां एक बार में 10 लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में एंट्री दी जा रही है. माता को अठवाइन चढ़ाने की भी परंपरा है, लेकिन संक्रमण के चलते भक्त अठवाइन माता के चरणों में छुआकर अपने साथ वापस ले जा रहे हैं. इस बार माता को अठवाइन नहीं चढ़ाई जा रही हैं.

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