उमरिया। सोमवार को सिख धर्म के पहले गुरू नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व उमरिया के नौरोजाबाद में मनाया गया. उमरिया जिले के एकमात्र गुरुद्वारे में सोशल डिस्टेंसिंग के तहत गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष नतमस्तक होकर कोरोना से मानव जाति को मुक्ति के लिए अरदास किया गया. कोरोना संक्रमण के चलते इस बार गुरूद्वारा कमेटी द्वारा प्रभात फेरियां नहीं निकाली गई.
लंगर की जगह पैकेट का किया गया वितरण
कोरोना महामारी के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए समिति के द्वारा इस बार गुरूद्वारा में लंगर नहीं लगाया गया. इस बार पैकेट में प्रसाद वितरण किया गया. गुरूद्वारों में दीवान सजाकर शब्द गुरूबाणी का रागी जत्थे गायन कर रहे थे. इसके साथ ही गुरुद्वारा कमेटी सदस्यों द्वारा संगत द्वारा अरदास के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की समझाइश की जा रही है.
सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की 551वीं जयंती देश के हर कोने में मनाई गई. बता दें कि नानक साहिब का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान में है. इस जगह को ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है. सिख धर्म में गुरु पर्व का बहुत महत्व है. हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. प्रकाश पर्व के दिन सभाओं में गुरु नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है और गुरु ग्रंथ साहिब पाठ किया जाता है.
गुरु नानक की शिक्षाएं
गुरु नानक की शिक्षाएं आज भी सही रास्ते में चलने वाले लोगों का मार्ग दर्शन कर रही हैं. इनके अनुयायी इन्हें नानक और नानक देव, बाबा नानक और नानक शाह जी जैसे नामों से संबोधित करते हैं. कई चमत्कारिक घटनाओं की वजह से ये 7-8 साल की उम्र में ही काफी प्रसिद्ध हो गए थे.