छतरपुर। जिला अस्पताल में इन दिनों एक वार्ड ब्वाय मरीजों को चहेता बन गया है. क्योंकि यह वार्ड ब्वाय 19 साल का दिव्यांग शिवाजी, मरीजों को उनके पास जाकर खाना बांटता है. बल्कि कई मरीज जो अपने हाथ से खाना नहीं खा सकते हैं, उन्हे अपने हाथ से खाना खिलाता है. शिवाजी को इस काम से बेहद खुशी मिलती है.
शिवाजी खुशी-खुशी इस काम को करता है. वह रोज दोपहर और शाम को कोविड वार्ड में खाना लेकर जाता है और कोरोना मरीजों को खाना खिलाता है, तो कई लोगों को अपने हाथ से भी खाना खिला देता है. हालांकि कोविड वार्ड में जाने से पहले शिवाजी PPE किट पहनकर वार्ड में दाखिल होता है.
- परिवार की तरह है वार्ड
19 साल का शिवाजी परमार कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को अपने परिवार की तरह मानता है, शिवाजी का कहना है कि वह जब लोगों के लिए खाना या नाश्ता लेकर जाता है. तो लोग भी उसे बेहद पसंद करते हैं. शिवाजी का कहना है कि वार्ड में कई ऐसे लोग भी हैं, जो अपने हाथ से खाना नहीं खा पाते, तो कई बार ऐसे मरीजों को मैं अपने हाथों से खाना भी खिला देता हूं. वार्ड में कई बुजुर्ग मरीज भर्ती हैं, ऐसे में उन बुजुर्ग मरीजों की मैं हर तरह मदद करने की कोशिश करता हूं.
- समर्पण क्लब में करता है काम
19 साल का शिवाजी समर्पण क्लब में काम करता है, समर्पण क्लब छतरपुर जिला अस्पताल के अंदर बनी एक ऐसी संस्था है, जो जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को बेहद कम दामों में भोजन उपलब्ध कराती है और शिवाजी इसी संस्था में महज 5 हजार के मासिक वेतन पर काम करता है, शिवाजी की परिवार में उसके अलावा दो और भाई और माता पिता हैं, शिवाजी का कहना है कि उसके परिवार के लोग खेती-बाड़ी करते हैं और वह समर्पण क्लब में काम करता है, शिवाजी छतरपुर जिले के गुलगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत बक्सवाहा गांव का रहने वाला है.
- 5 साल पहले टूट गया था हाथ
शिवाजी राजा परमार दिव्यांग है उसका एक हाथ से काम नहीं करता है, शिवाजी का कहना है कि 5 साल पहले वह एक पेड़ से गिर गया था, घटना में उसका एक हाथ बुरी तरह से टूट गया था, यही वजह है कि आज भी उसका दाहिना हाथ ठीक से काम नहीं करता बावजूद इसके शिवाजी के हौसले बुलंद हैं, शिवाजी खुशी-खुशी कोविड वार्ड के अपना काम पूरी ईमानदारी से करता है. शिवाजी के साथ ही कर्मचारी भी शिवाजी के व्यवहार और उसके काम से बेहद खुश रहते हैं.
कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हैं नोडल अधिकारी नितिन दवंडे, पांच माह से नहीं गए घर
- कई बार लोगों ने ड्यूटी बदलने की कही बात
शिवाजी परमार का कहना है कि समर्पण क्लब के अलावा कई बार डॉक्टरों ने भी उसे ड्यूटी बदलने की सलाह दी. लेकिन उसने अपनी ड्यूटी न बदली और न ही किसी प्रकार की कोई शिकायत की, शिवाजी का कहना है कि इस बुरे वक्त में अगर हम किस की मदद कर पा रहे हैं, तो इससे बड़ी बात कुछ नहीं हो सकती, शिवाजी ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है, वह केवल कक्षा 9वीं तक ही स्कूल गया है, लेकिन एक बात वह भली भांति समझ गया है. कि असली शिक्षा वही है जो बुरे वक्त में लोगों के काम आ सके.
- डॉक्टर भी करते हैं तारीफ
जिला अस्पताल के RMO डॉक्टर आरपी गुप्ता शिवाजी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि शिवाजी एक अच्छा लड़का है. पिछले 2 सालों से अस्पताल में काम कर रहा है. आज तक किसी भी मरीज ने उसकी किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं की. शिवाजी का मरीजों के प्रति व्यवहार भी अच्छा है. शिवाजी कोविड के समय इस तरह से काम कर रहा है. यह बेहद अच्छी बात है. लोगों को शिवाजी से सीख लेनी चाहिए कि किस तरह से बुरे वक्त में अपना काम करते हुए मानव धर्म निभाया जा सकता है.