उज्जैन। जिले में विकास प्राधिकरण का नया कारनामा सामने आया है. दरअसल उज्जैन विकास प्राधिकरण ने साल 2006 में लॉटरी सिस्टम से 300 प्लॉट काटे थे. इस दौरान करीब 127 लोगों को रजिस्टर्ड प्लॉट भी आवंटित कर दिए गए, लेकिन 2013 में वक्फ बोर्ड ने जमीन को अपना बताकर कब्जा कर लिया. लिहाजा जिन लोगों ने जमीन खरीदी थी, उन्हें बेदखल कर दिया गया. पैसे भरने के बाद भी कई लोग 15 साल से किराए की जमीन में रहने को मजबूत हैं. प्राधिकरण के पास जाने के बाद भी उन्हें अपनी समस्या का हल नहीं मिला है.
क्या है पूरा मामला ?
उज्जैन विकास प्राधिकरण की जमीन में जब प्लॉट की बिक्री होती है, तब उसके चार गुना ज्यादा खरीदार होते हैं. इसी कारण प्राधिकरण को लॉटरी सिस्टम से प्लॉट और मकानों का आवंटन करना पड़ता है. उज्जैन विकास प्राधिकरण ने शिप्रा विहार कॉलोनी की जमीन अधिग्रहण कर साल 2006 में 300 प्लॉट काटे, जिसमें से 120 प्लॉट पर आवेदकों ने रजिस्ट्री करवा ली. लेकिन जब वह कब्जा लेने पंहुचे तो उन्हें वक्फ बोर्ड के लोगों ने विवाद करके भगा दिया.
विवाद के बाद प्राधिकरण ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिस पर कोर्ट ने प्राधिकरण को वक्फ बोर्ड के ट्रिब्यूनल जाने को कहा. दूसरी तरफ प्लॉट के लिए परेशान हो रहे शिरीष श्रीवास्तव ने रेरा में भी अपील की. जहां से प्राधिकरण को आदेश हुआ कि आवेदकों को प्लाट्स उपलब्ध कराएं. लेकिन विकास प्राधिकरण ने फिर भी गरीबों का हक मारा और हाई कोर्ट जाने की बात कहकर इसे टाल दिया.
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जिले में 127 परिवारों ने प्लॉट के पैसे भर दिए हैं, लेकिन 15 साल बाद भी प्लॉट के इंतजार में हैं. इधर मामले में उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ सुजान सिंह रावत ने बताया कि जमीन भू-अर्जन करके मिली थी, जल्द ही ट्रिब्यूनल से फैसला हो जाएगा. सीईओ ने आगे कहा कि अगर फैसला हमारे पक्ष में नहीं आया तो हाईकोर्ट जाएंगे, और भूखंड मालिकों को उनका हक दिलाएंगे. ये पूरा मामला शिप्रा विहार कॉलोनी के कब्रिस्तान के पास लगी जमीन पर काटे गए प्लॉट पर कब्जा लेने का है.
15 साल पहले 50 हजार में ख़रीदा था प्लाट
15 साल पहले 50 हजार में 127 लोगों ने प्लॉट खरीदे थे, जिसे वक्फ बोर्ड अपना बताती है. ये लोग तभी से किराए के मकान में रह रहे हैं. उज्जैन में एक इलेक्ट्रॉनिक शोरूम में काम करने वाले प्रकाश असरानी ने भी यहां प्लॉट खरीदा था. प्रकाश ने कहा, '15 साल पहले पैसे जोड़कर शिप्रा विहार में प्लॉट के लिए इंस्टालमेंट में राशि जमा की, ताकि खुद का घर बना सके, लेकिन पिछले कुछ सालों में प्लॉट की कीमत से अधिक पैसे हमने किराए के मकान में लगा दिए हैं'.