उज्जैन। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में पदस्थ 48 वर्षीय लैब टेक्नीशियन मंगलवार की दोपहर ब्लड बैंक के स्टोर रूम में मृत अवस्था में पड़ा मिला. ये घटना उस समय सामने आई जब सभी स्टाफ कर्मी खाना खाने के लिए गए हुए थे. पुलिस ने बताया कि जांच में देखने को मिला कि लैब टेक्नीशियन ने आत्महत्या की है. जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि ब्लड बैंक में पदस्थ 48 वर्षीय लैब टेक्नीशियन ने ब्लड बैंक के स्टोर रूम में खाना खाने के समय पर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. इस घटना के बारे में पुलिस को सूचित किया गया.
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पुलिस को मौके पर मिला सुसाइड नोट: सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस और फॉरेंसिक अधिकारी ने मौके पर पहुंच कर आस-पास पड़े साक्ष्य को इकट्ठा किए और जांच शुरू कर दी और ब्लड बैंक के स्टोर रूम में पड़े शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस को जांच के दौरान सुसाइड नोट भी मिला है. फिलहाल पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर लिया है. उज्जैन की फॉरेंसिक अधिकारी प्रीति गायकवाड़ व कोतवाली थाना उज्जैन के टीआई नरेंद्र परिहार ने बताया कि मंगलवार दोपहर को जिला अस्पताल के 48 वर्षीय लैब टेक्नीशियन ने ब्लड बैंक के स्टोर रूम में आत्महत्या करने की सूचना मिली थी. साथ में उन्होंने कहा कि मौके पर मृत लैब टेक्नीशियन के पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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जबलपुर: जनपद में वेटरनरी छात्रों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इंटर्नशिप स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और पशु शल्य चिकित्सक के पदों की संख्या बढ़ाने जैसे विभिन्न मांगों को लेकर छात्रों ने आंदोलन का शंखनाद कर दिया है. जबलपुर के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय परिसर में सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने धरना देते हुए अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की. आक्रोशित छात्र छात्राओं का आरोप है कि इंटर्नशिप स्टाइपेंड के रूप में उन्हें महज 4600 दिए जाते हैं जो कि मनरेगा के मजदूरों से भी काफी कम है. डॉक्टरी पेशा होने के बावजूद भी उन्हें इतनी कम राशि स्टाइपेंड के रूप में मिल रही है जिससे उनका गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है.
प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में हुए पशु गणना का हवाला देते हुए कहा है कि प्रदेश में जिस तादाद में पशुओं की संख्या बढ़ी है उसके अनुपात में पशु शल्य चिकित्सकों के मौजूदा पद मात्र 1671 हैं, जबकि शासन के नियमों के मुताबिक 5000 पशुओं पर एक पशु चिकित्सक का होना जरूरी है. इसके बावजूद सरकार नियमों की न केवल अनदेखी कर रही है, बल्कि पशु चिकित्सकों को उनका वाजिब हक भी नहीं दे रही है.