उज्जैन। विवादों के बीच उज्जैन के कालिदास अकादमी परिसर में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित श्री रामकथा गुरुवार को समाप्त हुआ. 21 फरवरी से 23 फरवरी तक चले इस रामकथा में अंतिम दिन कुमार विश्वास ने सभी को प्रेम का पाठ पढ़ाया. उन्होंने कहा, "बिटिया प्रेम के आवेग में माता पिता की सलाह, बड़ों की समझाइश दरकिनार कर के पैंतीस टुकड़ों में बरामद हो तो ये प्रेम का अपमान है." कुमार विश्वास इस कार्यक्रम के दौरान कई विवादित बयान दे चुकें हैं. उन्होंने 21 फरवरी को आरएसएस और वामपंथियों को लेकर एक विवादित बयान दिया था, जिसमें आरएसएस को अनपढ़ बताया था तो वहीं वामपंथियों को कुपढ़ बताया था. इसके बाद कुमार विश्वास ने माफी भी मांगी थी. यह कार्यक्रम विक्रम उत्सव के उपलक्ष्य में किया गया था.
प्रेम को लेकर पढ़ाया ये पाठ: कुमार विश्वास ने कहा, "लड़के और लड़कियां प्रेम करें इसमें क्या गलत बात है, लेकिन कोई बिटिया प्रेम के आवेग में माता-पिता की सलाह, बड़ों की समझाइश दरकिनार कर के पैंतीस टुकड़ों में बरामद हो तो ये तो प्रेम का अपमान है. जो हमें सिखा रहे हैं की हम प्रेम विरोधी हैं, पश्चिम वालों ये देश प्रेम का कितना समर्थन करता है. आपने जीवन में ऐसा सोचा हो तो भी मेरे आराध्य भगवन मोहन कन्हैया का एक भी ऐसा मंदिर बताओ जहां आपको उनके बगल में उनकी प्रेमिका राधा रानी खड़ी न मिले. प्रेम के खिलाफ कौन है? हम मर्यादा के समर्थन में हैं, हम इस जलती हुई अग्नि के चारों तरफ होने वाले सात फेरों के साथ सप्तपदी के पवित्र बंधन के समर्थन में हैं."
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आरएसएस को बताया था अनपढ़: कुमार विश्वास द्वारा रामकथा के दौरान आरएसएस और वामपंथियों पर दिए गए विवादित बयान के बाद से चर्चा में आ गए हैं. बीजेपी के कई नेताओं ने कुमार विश्वास के इस बयान को लेकर कड़ी आलोचना की और अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने यह तक कह दिया था कि, "कुमार विश्वास यहां रामकथा करने आए हैं रामकथा करें, किसी को प्रमाण पत्र बांटने की जरूरत नहीं है."
कुमार विश्वास के पोस्टरों पर पोते गए थे कालिख: कुमार विश्वास के विवाद के बाद उज्जैन के पूर्व सभापति बीजेपी के नेता सोनू गहलोत ने भी शहर में लगे कुमार विश्वास के पोस्टरों को फाड़ दिया था. इसके साथ ही पोस्टरों पर कालिख भी पोती थी, लेकिन शाम होते ही कुमार विश्वास की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया जिसमें उन्होंने अपनी कही बातों पर माफी मांगी. दूसरे दिन भी रामकथा का आयोजन किया गया था.