उज्जैन। शहर में रविवार सुबह जैन समुदाय के कई लोगों ने एक साथ सड़कों पर उतरकर मौन रैली निकाली. जैन समुदाय ने झारखंड में स्थित सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध जताते हुए जिला प्रशासन को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व पर्यावरण मंत्रालय के नाम ज्ञापन सौंपा. मौन रैली आर्यिका पूर्णमति माताजी की अगुवाई में ऋषिनगर से जयसिंहपुर तक निकाली गई. (Ujjain Jain Community Silent March) रैली में बड़ी संख्या में सकल जैन समाज के लोग पहुचें और आंदोलन में जैन तीर्थ को बचाने के लिए आवाज उठाई.
तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध: सामाजिक संसद दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष अशोक जैन ने बताया कि ज्ञापन में मांग रखी है कि पारस नाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन सूची से बाहर किया जाए. अशोक जैन ने तर्क दिया कि अगर सम्मेद शिखर पर्यटन स्थल रहेगा तो मांस मदिरा का सेवन भी वहां पर होगा. तीर्थ स्थल है और उसका संरक्षण करना हम सबकी जिम्मेदारी है. अध्यक्ष ने मांग की कि तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय की अधिसूचना को रद्द किया जाए. पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को मांस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थस्थल घोषित किया जाए.
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ये है पूरा मामला: 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुसंशा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने झारखंड में गिरिडिह जिले के मधुबन में स्थित सर्वोच जैन शास्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग घोषित कर दिया था. इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन व अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने वाली अधिसूचना जैन समाज से आपत्ति या सुझाव लिए बिना जारी की गई थी. विश्व जैन संगठनों ने देशभर में 26 मार्च, 6 जून और 2 अगस्त 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध किया. इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 24 मार्च 2022 को झारखंड सरकार और केंद्रीय वन मंत्रालय को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखने के बाद भी कोई पहल नही की गई उसी के चलते यह विरोध लगातार देखने को मिल रहा है.