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Ujjain Harsiddhi Temple: मां हरसिद्धि मंदिर में अब हाइड्रोलिक सिस्टम से जलेंगे दीपमाला, जानिए क्यों बदली सदियों की परंपरा - उज्जैन कलेक्टर आदेश

51 शक्तिपीठ में से एक उज्जैन में स्थापित हरसिद्धि माता मंदिर में अब दीपमाला प्रज्वलित करने के लिए हाइड्रोलिक सिस्टम का सहारा लिया जाएगा. कलेक्टर ने बताया कि एक हफ्ते में हाइड्रोलिक सीढ़ियां मंदिर पहुंच जाएगा.

Ujjain Harsiddhi Mata
हरसिद्धि मंदिर में दीपमाला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 3:38 PM IST

Updated : Sep 15, 2023, 3:58 PM IST

अब हाइड्रोलिक सिस्टम से जलेंगे दीपमाला

उज्जैन। 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर है, जो उज्जैन में स्थापित है. इस मंदिर में 1011 दीपमाला है, जो दो स्थानों पर प्रज्वलित की जाती है. इसको लगाने के लिए 6 सदस्य की टीम पहले तेल भरने का कार्य करती है. इसके बाद आरती शुरू होते ही इनको प्रज्वलित किया जाता है. यह काम बड़ा जोखिम भरा होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने हाइड्रोलिक सिस्टम से दीप प्रज्वलित करने की बात कही है. जिसे एक सप्ताह में यह हाइड्रोलिक सीढ़ियां मंदिर पहुंच जाएगी. इस हाइड्रोलिक सिस्टम से अब श्रद्धालु अपनी जान बिना जोखिम में डाले आसानी से दीप प्रज्वलित कर सकेंगे.

यहां गिरी थी माता सती की कोहनी: दरअसल, महाकाल मंदिर के पीछे माता हरसिद्धि का मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है. यहां माता सती की दाएं हाथ की कोहनी गिरी थी. इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक स्थान कहा जाता है. वहीं उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी हैं, इसीलिए यहां पर श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है. वहीं माता हरसिद्धि के मंदिर के प्रांगण में दो स्थानों पर दीप जलाए जाते हैं. जिसमें 1011 दीप रोजाना शाम को प्रज्वलित किए जाते हैं. यह दीपमाला श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्वलित कराई जाती है, लेकिन इसको प्रज्वलित करने के लिए 6 सदस्य की टीम अपनी जान जोखिम में डाल प्रज्वलित करने का काम करती है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब इसे हाइड्रोलिक सिस्टम से प्रज्वलित करने का कार्य किया जाएगा.

Ujjain Harsiddhi Mata
हरसिद्धि माता मंदिर

यहां पढ़ें...

Ujjain Harsiddhi Mata
हरसिद्धि मंदिर में दीपमाला

खतरे को देखते हुए हाइड्रोलिक सिस्टम की शुरुआत: पहले 6 सदस्य की टीम दीपमाला में बत्ती लगाने का कार्य करती है, इसके बाद फिर 6 सदस्य की टीम इनमें तेल भरने का कार्य करती है. इसी समय तेल भरने के बाद दीप मालाओं पर पैर रखकर दीप लगाए जाते हैं. ऐसे में दीपों में तेल होने के चलते वह स्थान चिकना हो जाता है और श्रद्धालु के फिसलने का खतरा रहता है. इसी को देखते हुए कलेक्टर ने हाइड्रोलिक सिस्टम की शुरुआत की है. कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने बताया कि उज्जैन हरसिद्धि मंदिर में हाइड्रोलिक सीढ़ियों की व्यवस्था की है. जिस पर चढ़कर दीप जलाए जा सकेंगे. कलेक्टर ने बताया कि पुराने जमाने से आ रही परंपरा में गिरने का बड़ा खतरा होता है. करीब ढाई लाख रुपए की हाइड्रोलिक सीढ़ी एक हफ्ते में मंदिर पहुंच जाएगी. बता दें यहां दीपमाला सदियों से प्रज्वलित होती आ रही है. इसको प्रज्वलित करने के लिए जो श्रद्धालु मन्नत रखते हैं. वहीं श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर दीपमालाओं को प्रज्वलित करवाते हैं और आरती शुरू होते ही 6 सदस्य अपने हाथों में अग्नि लिए दीप मालाओं को प्रज्जवलित करने का कार्य करते हैं.

अब हाइड्रोलिक सिस्टम से जलेंगे दीपमाला

उज्जैन। 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर है, जो उज्जैन में स्थापित है. इस मंदिर में 1011 दीपमाला है, जो दो स्थानों पर प्रज्वलित की जाती है. इसको लगाने के लिए 6 सदस्य की टीम पहले तेल भरने का कार्य करती है. इसके बाद आरती शुरू होते ही इनको प्रज्वलित किया जाता है. यह काम बड़ा जोखिम भरा होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने हाइड्रोलिक सिस्टम से दीप प्रज्वलित करने की बात कही है. जिसे एक सप्ताह में यह हाइड्रोलिक सीढ़ियां मंदिर पहुंच जाएगी. इस हाइड्रोलिक सिस्टम से अब श्रद्धालु अपनी जान बिना जोखिम में डाले आसानी से दीप प्रज्वलित कर सकेंगे.

यहां गिरी थी माता सती की कोहनी: दरअसल, महाकाल मंदिर के पीछे माता हरसिद्धि का मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है. यहां माता सती की दाएं हाथ की कोहनी गिरी थी. इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक स्थान कहा जाता है. वहीं उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी हैं, इसीलिए यहां पर श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है. वहीं माता हरसिद्धि के मंदिर के प्रांगण में दो स्थानों पर दीप जलाए जाते हैं. जिसमें 1011 दीप रोजाना शाम को प्रज्वलित किए जाते हैं. यह दीपमाला श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्वलित कराई जाती है, लेकिन इसको प्रज्वलित करने के लिए 6 सदस्य की टीम अपनी जान जोखिम में डाल प्रज्वलित करने का काम करती है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब इसे हाइड्रोलिक सिस्टम से प्रज्वलित करने का कार्य किया जाएगा.

Ujjain Harsiddhi Mata
हरसिद्धि माता मंदिर

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Ujjain Harsiddhi Mata
हरसिद्धि मंदिर में दीपमाला

खतरे को देखते हुए हाइड्रोलिक सिस्टम की शुरुआत: पहले 6 सदस्य की टीम दीपमाला में बत्ती लगाने का कार्य करती है, इसके बाद फिर 6 सदस्य की टीम इनमें तेल भरने का कार्य करती है. इसी समय तेल भरने के बाद दीप मालाओं पर पैर रखकर दीप लगाए जाते हैं. ऐसे में दीपों में तेल होने के चलते वह स्थान चिकना हो जाता है और श्रद्धालु के फिसलने का खतरा रहता है. इसी को देखते हुए कलेक्टर ने हाइड्रोलिक सिस्टम की शुरुआत की है. कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने बताया कि उज्जैन हरसिद्धि मंदिर में हाइड्रोलिक सीढ़ियों की व्यवस्था की है. जिस पर चढ़कर दीप जलाए जा सकेंगे. कलेक्टर ने बताया कि पुराने जमाने से आ रही परंपरा में गिरने का बड़ा खतरा होता है. करीब ढाई लाख रुपए की हाइड्रोलिक सीढ़ी एक हफ्ते में मंदिर पहुंच जाएगी. बता दें यहां दीपमाला सदियों से प्रज्वलित होती आ रही है. इसको प्रज्वलित करने के लिए जो श्रद्धालु मन्नत रखते हैं. वहीं श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर दीपमालाओं को प्रज्वलित करवाते हैं और आरती शुरू होते ही 6 सदस्य अपने हाथों में अग्नि लिए दीप मालाओं को प्रज्जवलित करने का कार्य करते हैं.

Last Updated : Sep 15, 2023, 3:58 PM IST
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