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वैज्ञानिकों को चुनौती दे रहा बालाघाट का चमत्कारी शिव मंदिर, सदियों से अनसुलझा है जड़ों का रहस्य - BALAGHAT MYSTERIOUS SHIVA TEMPLE

बालाघाट में एक चमत्कारिक जामेश्वर महादेव मंदिर है.मंदिर की छत पर एक विशाल पेड़ है, लेकिन उस पेड़ की जड़ों का कोई पता नहीं है

BALAGHAT MYSTERIOUS SHIVA TEMPLE
बालाघाट का चमत्कारिक जामेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 26, 2025, 10:33 PM IST

बालाघाट: (अशोक गिरी) महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश मे बड़े ही धूमधाम से पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. भगवान भोलेनाथ की लीला अद्भुत और अलौकिक मानी जाती है. जिनकी भक्ति की शक्ति के चमत्कार के कई किस्से जगजाहिर है. महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर भोलेनाथ के एक मंदिर के चमत्कार के बारे में हम बताएंगे. चमत्कार ऐसा कि जिसके रहस्य को न तो पुरातत्व विभाग जान सका है और न ही वैज्ञानिक. यह मंदिर एक बहुत बड़े रहस्य को अपने आप में समेटे हुए है. जिसका पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन अभी तक पता नहीं चल सका.

मंदिर की छत पर है पेड़, जड़ों का पता नहीं

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की कटंगी तहसील के अंतर्गत जाम गांव में दसवीं शताब्दी का बना एक रहस्यमयी शिव मंदिर है. जिसका नाम जामेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है. जिसकी अनेकों मान्यताएं भी है, लेकिन इस रहस्यमयी मंदिर के चमत्कारों से विज्ञान आज भी अंजान नजर आ रहा है. दरअसल, इस मंदिर के पत्थर की छत पर एक हरा भरा विशाल पेड़ खड़ा है. बताया जाता है कि यह पेड़ मंदिर निर्माण के समय का ही है.

temple roof tree not found root
फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति (ETV Bharat)

चौकाने वाली बात ये है कि इस पेड़ की जड़ों का किसी को पता नहीं. इसकी जड़े दिखाई नहीं देती फिर भी बीते कई सालों से ये अडिग खड़ा है. जिस पर आंधी-तूफान का कोई असर नहीं होता. इस पेड़ को देख लोग हैरान हो जाते हैं कि पत्थर की छत पर इतना बड़ा पेड़ कैसे खड़ा है, जबकि इसकी जड़ें भी नहीं दिखाई दे रही है. पुरातत्व शोध संस्थान की टीम भी इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन इसकी जड़ों के बारे में कोई सही जानकारी नहीं पता चल सकी.

Balaghat Tree on temple roof
मंदिर की छत पर है पेड़, जड़ों का पता नहीं (ETV Bharat)

फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति

इस मन्दिर के रहस्य और विशेषताओं को लेकर गांव के गौरीशंकर राहंगडाले बताते है कि "95 सालों से मेरे पिता इस जामेश्वर शिव की सेवा करते आ रहे हैं. उनसे पहले उनके दादा और पुरखे सेवा किया करते थे. मन्दिर का निर्माण कब और कैसे हुआ यह कोई नहीं जानता. अपने पूर्वजों से पता चला है कि जब से मंदिर है, तब से पेड़ भी मंदिर की छत पर ऐसे ही खड़ा है. चाहे कितनी ही आंधी या तूफान आए, इस पेड़ की एक भी डाल नहीं टूटती. इस पेड़ की जड़ों का किसी को पता नहीं.

temple roof tree not found root
फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति (ETV Bharat)

पुरातत्व विभाग की टीम भी ने भी इस मन्दिर की ऐतिहासिकता का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी टीम इस पेड़ का नाम, प्रजाति और जड़ों का पता नहीं लगा सकी." गौरीशंकर राहंगडाले बताते हैं कि "इस पेड़ के फलों के पकने पर इसमें से शिवलिंग के समान आकृति निकलती है. इसका स्वाद कच्चे आम की तरह है. आसपास के क्षेत्रों में इस तरह का कोई वृक्ष नहीं है और कोई इस पेड़ की प्रजाति या नाम भी नहीं जानता. मान्यता है कि मन्दिर की छत पर लगे पेड़ के फल हर किसी के भाग्य में नहीं होते."

Balaghat Jameshwar Mahadev Temple
इस रहस्य का पता पुरातत्व विभाग भी नहीं लगा पाया (ETV Bharat)

दसवीं शताब्दी का है मंदिर

मंदिर की बनावट दसवीं शताब्दी के समान है. मंदिर परिसर में पुरातात्विक गणेश, हनुमान जी के साथ कई मूर्तियां हैं. यहां महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत मध्य प्रदेश के दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. शिवरात्रि में यहां एक मेला लगता है और विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. श्रावण मास में भी भक्तों की भीड़ इस जामेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ती है. पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को सौंपने का आग्रह ग्रामीणों से किया, लेकिन प्रमुख आस्था का केंद्र होने की वजह से गांव के लोगों ने इस मंदिर का स्वयं रख रखाव का जिम्मा लेते हुए पुरातत्व विभाग को मना कर दिया.

'गांव को आफतों से बचाते है जामेश्वर शिव'

ग्राम जाम के रहने वाले टेकचंद मनघाटे बताते है कि "जामेश्वर शिव के चमत्कारों को उन्होंने प्रत्यक्ष महसूस किया है. कुछ वर्षों पहले जब जमुनिया बांध टूटा था, तब 8 से 10 फिट ऊंची लहरें आसपास ले गांवों में त्रासदी मचा रही थी, तब भी ये लहरें उनके गांव से गुजरकर आगे बढ़ गयी, लेकिन जामेश्वर शिव मंदिर की सीमा को छू भी नहीं सकी. कोरोना जैसी महामारी में भी जामेश्वर शिव के आश्रय और कृपा से कोई भी जनहानि नहीं हुई." ग्रामीणों की मानें तो जामेश्वर शिव स्वयं गांव की सुरक्षा करते हैं.

बालाघाट: (अशोक गिरी) महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश मे बड़े ही धूमधाम से पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. भगवान भोलेनाथ की लीला अद्भुत और अलौकिक मानी जाती है. जिनकी भक्ति की शक्ति के चमत्कार के कई किस्से जगजाहिर है. महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर भोलेनाथ के एक मंदिर के चमत्कार के बारे में हम बताएंगे. चमत्कार ऐसा कि जिसके रहस्य को न तो पुरातत्व विभाग जान सका है और न ही वैज्ञानिक. यह मंदिर एक बहुत बड़े रहस्य को अपने आप में समेटे हुए है. जिसका पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन अभी तक पता नहीं चल सका.

मंदिर की छत पर है पेड़, जड़ों का पता नहीं

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की कटंगी तहसील के अंतर्गत जाम गांव में दसवीं शताब्दी का बना एक रहस्यमयी शिव मंदिर है. जिसका नाम जामेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है. जिसकी अनेकों मान्यताएं भी है, लेकिन इस रहस्यमयी मंदिर के चमत्कारों से विज्ञान आज भी अंजान नजर आ रहा है. दरअसल, इस मंदिर के पत्थर की छत पर एक हरा भरा विशाल पेड़ खड़ा है. बताया जाता है कि यह पेड़ मंदिर निर्माण के समय का ही है.

temple roof tree not found root
फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति (ETV Bharat)

चौकाने वाली बात ये है कि इस पेड़ की जड़ों का किसी को पता नहीं. इसकी जड़े दिखाई नहीं देती फिर भी बीते कई सालों से ये अडिग खड़ा है. जिस पर आंधी-तूफान का कोई असर नहीं होता. इस पेड़ को देख लोग हैरान हो जाते हैं कि पत्थर की छत पर इतना बड़ा पेड़ कैसे खड़ा है, जबकि इसकी जड़ें भी नहीं दिखाई दे रही है. पुरातत्व शोध संस्थान की टीम भी इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन इसकी जड़ों के बारे में कोई सही जानकारी नहीं पता चल सकी.

Balaghat Tree on temple roof
मंदिर की छत पर है पेड़, जड़ों का पता नहीं (ETV Bharat)

फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति

इस मन्दिर के रहस्य और विशेषताओं को लेकर गांव के गौरीशंकर राहंगडाले बताते है कि "95 सालों से मेरे पिता इस जामेश्वर शिव की सेवा करते आ रहे हैं. उनसे पहले उनके दादा और पुरखे सेवा किया करते थे. मन्दिर का निर्माण कब और कैसे हुआ यह कोई नहीं जानता. अपने पूर्वजों से पता चला है कि जब से मंदिर है, तब से पेड़ भी मंदिर की छत पर ऐसे ही खड़ा है. चाहे कितनी ही आंधी या तूफान आए, इस पेड़ की एक भी डाल नहीं टूटती. इस पेड़ की जड़ों का किसी को पता नहीं.

temple roof tree not found root
फल से निकलती है शिवलिंग जैसी आकृति (ETV Bharat)

पुरातत्व विभाग की टीम भी ने भी इस मन्दिर की ऐतिहासिकता का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी टीम इस पेड़ का नाम, प्रजाति और जड़ों का पता नहीं लगा सकी." गौरीशंकर राहंगडाले बताते हैं कि "इस पेड़ के फलों के पकने पर इसमें से शिवलिंग के समान आकृति निकलती है. इसका स्वाद कच्चे आम की तरह है. आसपास के क्षेत्रों में इस तरह का कोई वृक्ष नहीं है और कोई इस पेड़ की प्रजाति या नाम भी नहीं जानता. मान्यता है कि मन्दिर की छत पर लगे पेड़ के फल हर किसी के भाग्य में नहीं होते."

Balaghat Jameshwar Mahadev Temple
इस रहस्य का पता पुरातत्व विभाग भी नहीं लगा पाया (ETV Bharat)

दसवीं शताब्दी का है मंदिर

मंदिर की बनावट दसवीं शताब्दी के समान है. मंदिर परिसर में पुरातात्विक गणेश, हनुमान जी के साथ कई मूर्तियां हैं. यहां महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत मध्य प्रदेश के दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. शिवरात्रि में यहां एक मेला लगता है और विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. श्रावण मास में भी भक्तों की भीड़ इस जामेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ती है. पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को सौंपने का आग्रह ग्रामीणों से किया, लेकिन प्रमुख आस्था का केंद्र होने की वजह से गांव के लोगों ने इस मंदिर का स्वयं रख रखाव का जिम्मा लेते हुए पुरातत्व विभाग को मना कर दिया.

'गांव को आफतों से बचाते है जामेश्वर शिव'

ग्राम जाम के रहने वाले टेकचंद मनघाटे बताते है कि "जामेश्वर शिव के चमत्कारों को उन्होंने प्रत्यक्ष महसूस किया है. कुछ वर्षों पहले जब जमुनिया बांध टूटा था, तब 8 से 10 फिट ऊंची लहरें आसपास ले गांवों में त्रासदी मचा रही थी, तब भी ये लहरें उनके गांव से गुजरकर आगे बढ़ गयी, लेकिन जामेश्वर शिव मंदिर की सीमा को छू भी नहीं सकी. कोरोना जैसी महामारी में भी जामेश्वर शिव के आश्रय और कृपा से कोई भी जनहानि नहीं हुई." ग्रामीणों की मानें तो जामेश्वर शिव स्वयं गांव की सुरक्षा करते हैं.

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