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Ujjain Archaeological Museum: 14 करोड़ की लागत से बदलेगा स्वरूप, राज्यपाल व उच्च शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में हुआ भूमि पूजन - 14 करोड़ की लागत से बदलेगा स्वरूप

मध्यप्रदेश के महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित पुरातत्व संग्रहालय को और भव्य स्वरूप प्रदान किया जाएगा. इसके लिए आज बुधवार को राज्यपाल मंगुभाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और स्थानीय सांसद की उपस्थिति में भूमि पूजन किया गया. संग्रहालय का स्वरूप बदलने के लिए 14 करोड़ रुपए शुरुआत में खर्च किए जाएंगे.

ujjain archaeological Museum
14 करोड़ की लागत से बदलेगा पुरातत्व संग्रहालय का स्वरूप
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Published : Jan 18, 2023, 5:56 PM IST

14 करोड़ की लागत से बदलेगा पुरातत्व संग्रहालय का स्वरूप

उज्जैन। राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में विक्रम कीर्ति मंदिर परिसर स्थित पुरातत्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई विथिकाओं के लिए बुधवार 18 जनवरी को दोपहर में विधिवत भूमि पूजन सम्पन्न हुआ. भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव सहित अतिथियों ने पुरातत्व संग्रहालय का निरीक्षण किया. इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया आदि मौजूद थे. इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें अपनी प्राचीन और समृद्ध विरासत की ओर ले जाती है.

विद्यालय के पुरातत्व विभाग का भूमि पूजनः उज्जैन के विश्वविद्यालय में स्थित वर्तमान विक्रम कीर्ति संग्रहालय शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह है. जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियां हैं. इतना ही नहीं संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियां और 30 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों का विशाल पुरातत्व संग्रहालय है. संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण होने से स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जाएगा. प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण तथा 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढांचे व कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भण्डारण प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पाण्डुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएं विकसित करना आदि शामिल होंगे. उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इंदौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है.

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14 करोड़ की लागत से होगा निर्माणः विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय के स्वरूप को बदलने का कार्य किया जायेगा. भवन निर्माण सहित नई विथिकाएं 14 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जायेगी. विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं. संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार 14 करोड़ रुपये की लागत से संवारने का कार्य किया जायेगा. उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के लिये उक्त राशि स्वीकृत की गई है. स्वीकृत राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर स्थित पुरातत्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर जिसमें पांच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेष हैं, जिन्हें विभिन्न विथिकाओं में प्रदर्शित किया जायेगा.

भव्य बनेगा संग्रहालयः इसके अलावा संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव के द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जायेगा. उज्जैन के राजा चंडप्रद्योग के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, वह भी संग्रहालय में प्रदर्शित किये जायेंगे. इस तरह उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जायेगी. इसके अलावा संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएं जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की है. इन्हें भी नवनिर्मित विथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य बनाने की योजना बनाई गई है. प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जायेगा.

नई शिक्षा नीति समृद्ध विरासत की ओर ले जाती है-मंगुभाई पटेलः उज्जैन नई शिक्षा नीति में कई ऐसी बात है, जो हमें अपनी प्राचीन विरासत की ओर ले जाती है. हम भारत के बारे में कितना जानते हैं, यह आज हमारे सामने प्रश्न है. अपने देश की संस्कृति को फिर से लोगों के बीच ले जाने के लिये विद्या भारती कई वर्षों से प्रयत्न कर रही है. हमारी सांस्कृतिक विरासत और परम्परा के पुनर्विचार के लिए विद्या भारती शिक्षा समागम का आयोजन करती रही है. आज के इस उदात्त सांस्कृतिक आयोजन के लिए सभी को साधुवाद.उज्जैन की शैक्षणिक सांस्कृतिक विरासत अद्वितीय है. यहां भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की, यह कालिदास की नगरी के नाम से सुशोभित होती है. यहां पर वराहमिहीर जैसे विक्रम के नवरत्नों ने जन्म लिया. भारतीय ज्ञान परम्परा की सलीला सतत प्रवाहित रही है. अब तक्षशिला व नालन्दा की बात हो रही है. हमारे देश में कभी दूध-दही की नदियां बहा करती थी. इस देश में राणा सांगा की शौर्य गाथा गूंजती रहती है. वर्तमान समाज में विकृति का लक्षण दिखाई दे रहे हैं. संघ परिवार की कई संस्थाएं सेवा के प्रकल्प में लगी हुई है. सेवा कार्यों को और अधिक विस्तार देना होगा, काम बहुत बाकी है.

14 करोड़ की लागत से बदलेगा पुरातत्व संग्रहालय का स्वरूप

उज्जैन। राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में विक्रम कीर्ति मंदिर परिसर स्थित पुरातत्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई विथिकाओं के लिए बुधवार 18 जनवरी को दोपहर में विधिवत भूमि पूजन सम्पन्न हुआ. भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव सहित अतिथियों ने पुरातत्व संग्रहालय का निरीक्षण किया. इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया आदि मौजूद थे. इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें अपनी प्राचीन और समृद्ध विरासत की ओर ले जाती है.

विद्यालय के पुरातत्व विभाग का भूमि पूजनः उज्जैन के विश्वविद्यालय में स्थित वर्तमान विक्रम कीर्ति संग्रहालय शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह है. जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियां हैं. इतना ही नहीं संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियां और 30 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों का विशाल पुरातत्व संग्रहालय है. संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण होने से स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जाएगा. प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण तथा 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढांचे व कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भण्डारण प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पाण्डुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएं विकसित करना आदि शामिल होंगे. उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इंदौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है.

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14 करोड़ की लागत से होगा निर्माणः विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय के स्वरूप को बदलने का कार्य किया जायेगा. भवन निर्माण सहित नई विथिकाएं 14 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जायेगी. विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं. संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार 14 करोड़ रुपये की लागत से संवारने का कार्य किया जायेगा. उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के लिये उक्त राशि स्वीकृत की गई है. स्वीकृत राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर स्थित पुरातत्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर जिसमें पांच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेष हैं, जिन्हें विभिन्न विथिकाओं में प्रदर्शित किया जायेगा.

भव्य बनेगा संग्रहालयः इसके अलावा संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव के द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जायेगा. उज्जैन के राजा चंडप्रद्योग के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, वह भी संग्रहालय में प्रदर्शित किये जायेंगे. इस तरह उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जायेगी. इसके अलावा संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएं जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की है. इन्हें भी नवनिर्मित विथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य बनाने की योजना बनाई गई है. प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जायेगा.

नई शिक्षा नीति समृद्ध विरासत की ओर ले जाती है-मंगुभाई पटेलः उज्जैन नई शिक्षा नीति में कई ऐसी बात है, जो हमें अपनी प्राचीन विरासत की ओर ले जाती है. हम भारत के बारे में कितना जानते हैं, यह आज हमारे सामने प्रश्न है. अपने देश की संस्कृति को फिर से लोगों के बीच ले जाने के लिये विद्या भारती कई वर्षों से प्रयत्न कर रही है. हमारी सांस्कृतिक विरासत और परम्परा के पुनर्विचार के लिए विद्या भारती शिक्षा समागम का आयोजन करती रही है. आज के इस उदात्त सांस्कृतिक आयोजन के लिए सभी को साधुवाद.उज्जैन की शैक्षणिक सांस्कृतिक विरासत अद्वितीय है. यहां भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की, यह कालिदास की नगरी के नाम से सुशोभित होती है. यहां पर वराहमिहीर जैसे विक्रम के नवरत्नों ने जन्म लिया. भारतीय ज्ञान परम्परा की सलीला सतत प्रवाहित रही है. अब तक्षशिला व नालन्दा की बात हो रही है. हमारे देश में कभी दूध-दही की नदियां बहा करती थी. इस देश में राणा सांगा की शौर्य गाथा गूंजती रहती है. वर्तमान समाज में विकृति का लक्षण दिखाई दे रहे हैं. संघ परिवार की कई संस्थाएं सेवा के प्रकल्प में लगी हुई है. सेवा कार्यों को और अधिक विस्तार देना होगा, काम बहुत बाकी है.

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