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उज्जैन: चैत्र नवरात्री पर की गई नगर पूजा, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - भक्त

चैत्र नवरात्री के अष्टमी पर उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर पर नगर पूजा का आयोजन किया गया. माता को मदिरा का भोग लगा कर पूजा अर्चना की.

चौबीस खम्बा माता मंदिर, उज्जैन
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Published : Apr 13, 2019, 5:12 PM IST

उज्जैन। चैत्र नवरात्री के अष्टमी पर उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर पर नगर पूजा का आयोजन किया गया. महाआरती के दौरान निरंजनी अखाड़े के साधू संत शामिल हुए. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसी परंपरा का निर्वहन आज साधू संतों ने किया और माता को मदिरा का भोग लगा कर पूजा अर्चना की.

चैत्र नवरात्री पर की गई नगर पूजा

अष्टमी पर्व पर उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर में राजा विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई इस परम्परा को आज भी उसी तरह से निर्वाहन किया जा रहा है. लगभग 17 किमी लम्बी इस महापूजा में अखाड़े के साधु संत और कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं. यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध चौबीस खम्बा माता मंदिर से शुरू होकर शहर के 40 से अधिक माता मंदिर और भैरव मंदिर पर जाती है.

इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है. हर बार महापूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. कहा जाता है कि देवी के प्रकोप से पहले बहुत सी बिमारियां होती थी इसलिए नगरपूजा की जाती है.

उज्जैन। चैत्र नवरात्री के अष्टमी पर उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर पर नगर पूजा का आयोजन किया गया. महाआरती के दौरान निरंजनी अखाड़े के साधू संत शामिल हुए. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसी परंपरा का निर्वहन आज साधू संतों ने किया और माता को मदिरा का भोग लगा कर पूजा अर्चना की.

चैत्र नवरात्री पर की गई नगर पूजा

अष्टमी पर्व पर उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर में राजा विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई इस परम्परा को आज भी उसी तरह से निर्वाहन किया जा रहा है. लगभग 17 किमी लम्बी इस महापूजा में अखाड़े के साधु संत और कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं. यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध चौबीस खम्बा माता मंदिर से शुरू होकर शहर के 40 से अधिक माता मंदिर और भैरव मंदिर पर जाती है.

इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है. हर बार महापूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. कहा जाता है कि देवी के प्रकोप से पहले बहुत सी बिमारियां होती थी इसलिए नगरपूजा की जाती है.

UJJAIN MATA 13.04.2019 FILE FTP KARI HAI







एंकर --- चेत्र नवरात्री के महा अष्टमी पर आज उज्जैन के चोबीस खम्बा माता मंदिर पर नगर पूजा की गयी  . महाष्टमी पर उज्जैन में आज नगर पूजन में माता मंदिर में  शराब  चडाई गयी .  चोबीस खम्बा  माता मंदिर में की गई महाआरती में  निरंजनी अखाड़े के साधू संतो शामिल  हुवे। निरंजनी अखाड़े द्वारा  पिछले वर्षों से  यह नगर पूजा  शुरू की गई है उज्जैन के चोबीस खम्बा माता मंदिर में आज सुबह से ही भक्तो का ताँता लगा हुवा था ।  यहाँ माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे इसी परंपरा का निर्वाहन आज साध संतो ने किया और  माता को मदिरा का भोग लगाया तथा महा आरती की और माता को मदिरा पिलाकर पूजन अर्चन किया । 




वी ओ ---- महा अष्टमी पर्व पर आज उज्जैन के चौबीस खम्बा माता मंदिर में   राजा विक्रमादित्य के समय  से प्रारंभ हुई यह परंपरा को  आज भी उसी प्रकार से निर्वाहन किया जा  रहा है। चेत्र की  महाष्टमी के दिन  निरंजनी अखाड़े द्वारा  नगर पूजा की गयी  है। लगभग 17 किमी लम्बी इस महापूजा में अख़बड़े के साधु संत और कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं सुबह प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक खत्म होती है। यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर 24 खंबामाता मंदिर से प्रारंभ होकर  शहर के 40 से अधिक  माता मंदिर और भैरव मंदिर पर जाती है . इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है जिसमें नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है। हर बार महापूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित होते हैं। 

 नगर वासी सुख, समृद्धि और शांति से रहें। देवियों ने राजा को यह वरदान दिया, तभी से यह परंपरा उसी प्रकार चली आ रही है। कहा यह भी जाता है कि देवी के प्रकोप से पहले बहुत बिमारिया होती थी इसलिए नगरपूजा कि जाती थी 
 देवी महालया और महामाया की पूजा कर देवी को मदिरा चढाई गई। यह महाअष्टमी की महापूजा सुबह 8 बजे से ढोल नगाडों एवं गाजों बाजों के साथ शुरू हुई। ।महापूजा की यात्रा में सबसे आगे कोटवार आठ फीट लंगे बांस पर लाल झंडा लेकर चल रहा है। उसके पीछे ढोली ढोल बजाते हुए अन्य लोग भी साथ में चल रहे है। पीछे एक कोटवार के हाथ में एक पैंदे में छेद किये हुआ पीतल का लौटा लिये चलता है, ।



बाईट---रविन्द्र गिरी,,निरंजनी अखाड़े के सचिव
बाईट---नरेंद्र गिरी ,,मंदिर पुजारी
बाईट---इशिका श्रद्धालु

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