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'रॉबिन हुड आर्मी' बनी गरीबों के लिए मसीहा, जरूरतमंदों को देते हैं शादी में बचा खाना

उज्जैन में युवाओं ने एक ऐसी आर्मी तैयार की है जो शादी, पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में बचे हुए खाने को भूखे और गरीब लोगों में बांटने का काम करती है.

This is Robin Hood Army of the city
यह है शहर की रॉबिन हुड आर्मी
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Published : Dec 23, 2019, 11:33 AM IST

उज्जैन। आपने अक्सर देखा होगा कि शादी, पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में बचा हुआ खाना फेंक दिया जाता है और यही खाना यदि भूखे और गरीब लोगों के लिए काम आ जाए तो बात ही क्या होगी. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उज्जैन के रहने वाले इन युवाओं ने एक ऐसी आर्मी तैयार की है, जो शादी, पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में बचे हुए खाने को भूखे और गरीब लोगों में बांटने का काम करती है. इस आर्मी को रॉबिन हुड आर्मी के नाम से जाना जाता है, साथ ही इसमें 50 से अधिक युवक-युवती, समाजसेवी का काम कर रहे हैं.

यह है शहर की रॉबिन हुड आर्मी

यह रॉबिन हुड आर्मी रोजाना भूखे पेट सोने वालों के लिए भगवान बन कर आई है. दरअसल यह आर्मी शहर के किसी भी सामाजिक और मांगलिक कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन को कार्यक्रम स्थल ले जाकर गरीबों में बांटने का काम करती है. यह काम सिर्फ एक फोन कॉल पर होता है और उसके रॉबिन हुड आर्मी के कार्यकर्ता भोजन को कलेक्ट करने के लिए निकल पड़ते हैं.

रॉबिन हुड आर्मी की सदस्य अंजली तोमर ने बताया कि हमारी संस्था का नाम रॉबिन हुड आर्मी है. इस आर्मी का उद्देश्य का शादी में बचा हुआ खाना जरुरतमंद लोगों को खिलाना है. अंजली ने कहा कि हमारी संस्था किसी भी व्यक्ति से पैसा नहीं लेती है साथ ही उन्होंने कहा कि रॉबिन हुड आर्मी गरीब बस्तियों में जाकर गरीब और कमजोर बच्चों को पढ़ाने का भी काम करती है.

उन्होंने कहा कि हम लोगों की बिना पैसे लिए मदद करते हैं तो इसके बदले लोग भी हमारी सामान देने में हेल्प करते हैं. वहीं आयोजककर्ता शैलेन्द्र कुल्मी ने बताया कि उनके यहां कोई मांगलिक कार्य था और कार्यक्रम में 200 से 300 लोगों का खाना बचा हुआ था. इसके बाद उन्होंने रॉबिन हुड आर्मी से संपर्क किया इसके बाद वह बचा हुआ खाना यहां से ले गए. शैलेन्द्र कुल्मी ने इस आर्मी की तारीफ करते हुए कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय काम है.

400 से 500 लोगों का खाना होता है बेकार
शादियों के सीजन में रोजाना कितनी ही शादियां, सामाजिक कार्यक्रम और छोटे मोटे मांगलिक कार्यकम आयोजित होते है. जिसमें 400 से लेकर 500 लोगों का खाना बेस्ट जाता है. जिसे अगले दिन फेंक दिया जाता है.

शादी का बचा खाना गरीबों में बांटती है आर्मी
उज्जैन के युवा पिछले 1 साल से उन भूखे पेट सोने वाले गरीब लोगों के लिए मसीहा बन गए है जो रोजाना मांगलिक कार्यक्रम में बचा हुआ भोजन शहर के सैकड़ों लोग को खिला देते हैं.

एक फोन कॉल पर आ जाते हैं बचा खाना लेने
जैसे ही उज्जैन के युवाओं को यह जानकारी मिलती है कि किसी कार्यक्रम में खाना बचा है और उसकी जानकारी इस आर्मी को मिल जाती है तो वह तुंरत बिना कोई देर किए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर खाना कलेक्ट कर गरीबों में बांट देते हैं.

उज्जैन। आपने अक्सर देखा होगा कि शादी, पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में बचा हुआ खाना फेंक दिया जाता है और यही खाना यदि भूखे और गरीब लोगों के लिए काम आ जाए तो बात ही क्या होगी. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उज्जैन के रहने वाले इन युवाओं ने एक ऐसी आर्मी तैयार की है, जो शादी, पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में बचे हुए खाने को भूखे और गरीब लोगों में बांटने का काम करती है. इस आर्मी को रॉबिन हुड आर्मी के नाम से जाना जाता है, साथ ही इसमें 50 से अधिक युवक-युवती, समाजसेवी का काम कर रहे हैं.

यह है शहर की रॉबिन हुड आर्मी

यह रॉबिन हुड आर्मी रोजाना भूखे पेट सोने वालों के लिए भगवान बन कर आई है. दरअसल यह आर्मी शहर के किसी भी सामाजिक और मांगलिक कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन को कार्यक्रम स्थल ले जाकर गरीबों में बांटने का काम करती है. यह काम सिर्फ एक फोन कॉल पर होता है और उसके रॉबिन हुड आर्मी के कार्यकर्ता भोजन को कलेक्ट करने के लिए निकल पड़ते हैं.

रॉबिन हुड आर्मी की सदस्य अंजली तोमर ने बताया कि हमारी संस्था का नाम रॉबिन हुड आर्मी है. इस आर्मी का उद्देश्य का शादी में बचा हुआ खाना जरुरतमंद लोगों को खिलाना है. अंजली ने कहा कि हमारी संस्था किसी भी व्यक्ति से पैसा नहीं लेती है साथ ही उन्होंने कहा कि रॉबिन हुड आर्मी गरीब बस्तियों में जाकर गरीब और कमजोर बच्चों को पढ़ाने का भी काम करती है.

उन्होंने कहा कि हम लोगों की बिना पैसे लिए मदद करते हैं तो इसके बदले लोग भी हमारी सामान देने में हेल्प करते हैं. वहीं आयोजककर्ता शैलेन्द्र कुल्मी ने बताया कि उनके यहां कोई मांगलिक कार्य था और कार्यक्रम में 200 से 300 लोगों का खाना बचा हुआ था. इसके बाद उन्होंने रॉबिन हुड आर्मी से संपर्क किया इसके बाद वह बचा हुआ खाना यहां से ले गए. शैलेन्द्र कुल्मी ने इस आर्मी की तारीफ करते हुए कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय काम है.

400 से 500 लोगों का खाना होता है बेकार
शादियों के सीजन में रोजाना कितनी ही शादियां, सामाजिक कार्यक्रम और छोटे मोटे मांगलिक कार्यकम आयोजित होते है. जिसमें 400 से लेकर 500 लोगों का खाना बेस्ट जाता है. जिसे अगले दिन फेंक दिया जाता है.

शादी का बचा खाना गरीबों में बांटती है आर्मी
उज्जैन के युवा पिछले 1 साल से उन भूखे पेट सोने वाले गरीब लोगों के लिए मसीहा बन गए है जो रोजाना मांगलिक कार्यक्रम में बचा हुआ भोजन शहर के सैकड़ों लोग को खिला देते हैं.

एक फोन कॉल पर आ जाते हैं बचा खाना लेने
जैसे ही उज्जैन के युवाओं को यह जानकारी मिलती है कि किसी कार्यक्रम में खाना बचा है और उसकी जानकारी इस आर्मी को मिल जाती है तो वह तुंरत बिना कोई देर किए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर खाना कलेक्ट कर गरीबों में बांट देते हैं.

Intro:उज्जैन में युवाओं ने एक ऐसी आर्मी तैयार की है जो शादी पार्टी सामाजिक कार्यक्रमों में बचे हुए खाने को भूखे और गरीब लोगों में बांटने का काम करती है यह रॉबिन हुड आर्मी 50 से अधिक युवा समाजसेवी का काम कर रहे हैं


Body:उज्जैन के युवाओं ने मिलकर एक ऐसी आर्मी तैयार की है जो रोजाना भूखे पेट सोने वाले के लिए भगवान बन कर सामने आई है दरअसल उज्जैन की रॉबिन हुड आर्मी शहर के किसी भी सामाजिक मांगलिक कार्यक्रम में से बचे हुए भोजन को कार्यक्रम स्थल स्थल ले जाकर गरीबों में बांट देती है यह काम सिर्फ एक फोन कॉल पर होता है और रॉबिन हुड आर्मी के कार्यकर्ता युवक-युवतियां निकल पड़ते हैं भोजन कलेक्ट करने के लिए


Conclusion:उज्जैन शादियों के सीजन में रोजाना कितनी ही शादी के पांडाल सामाजिक कार्यक्रम और छोटे मांगलिक कार्यों में खाना भोजन बेस्ट जाता है जिससे अनुमान अगले दिन फेंक दिया जाता है लेकिन उज्जैन के युवाओं ने एक ऐसी आर्मी तैयार की है जिसमें करीब 50 से अधिक युवा और युवतियां हैं और जो पिछले 1 साल से उन भूखे पेट सोने वाले गरीब लोगों के लिए भगवान बन कराई है दरअसल रोजाना मांगलिक कार्यों में बचा हुआ भोजन आमतौर पर फेंक में आता है वहीं शहर में सैकड़ों लोग ऐसे हैं जो शाम को खाना खाए बिना ही सो जाते हैं इसको लेकर उज्जैन के युवाओं एक आर्मी तैयार की है रॉबिनहुड नामक एक आर्मी बनाई है और एक फोन नंबर पूरे शहर में बांट दिया गया है अब यहां पर मांगलिक कार्यक्रमों में खाना बचा जाता है तो वहां पर एक फोन कॉल पर रॉबिन हुड आर्मी के युवा और युवतियां तुरंत पहुंच जाते हैं और खाना कलेक्ट कर लेते हैं और गरीब बस्तियों में तक पहुंचा देते हैं


रॉबिन हुड आर्मी के सदस्य बताते हैं कि इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है यह पूरा कार्य सिर्फ उन गरीब लोगों के लिए है जो भूखे पेट सोते हैं 1 साल पहले जब इस आर्मी को तैयार करने का मन बनाया था उस दौरान सिर्फ 5 लोग साथ में थे आज करीब 50 से अधिक कार्यकर्ता हैं उनके साथ में और शहर भर से बचा हुआ खाना भोजन कलेक्ट कर के गरीबों तक पहुंचाने का काम करते हैं



बाइट---अंजलि तोमर रॉबिन हुड

बाइट---शेलेन्द्र कुल्मी
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