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तीर्थ पुरोहितों के पास है लोगों का इनसाइक्लोपीडिया, बता देते हैं 10 पीढ़ियों के नाम - ujjain

उज्जैन के शिप्रा नदी किनारे सिद्धनाथ घाट पर तीर्थ पुरोहत बिना तकनीक का सहारा लिए पोथियों में लोगों के कई पीढ़ियों के रिकॉर्ड रखते हैं. जो अपने आप में अनोखी बात है.

तीर्थ पुरोहित
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Published : Sep 27, 2019, 8:53 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 9:12 AM IST

उज्जैन। आज के युग में कंप्यूटर के बिना, कागजों पर किसी रिकॉर्ड को संभालकर रखना मुश्किल है, लेकिन कर्मकांड और श्राद्ध पक्ष में पूजा करवाने वाले शहर के तीर्थ पुरोहित, सिद्धनाथ घाट पर उनके यजमानों की कई पीढ़ियों के नाम व गोत्र चुटकियों में बता देतें हैं. लोगों के पास भले ही खुद की 10 पीड़ियों के रिकॉर्ड न हो, इन पुरोहितों के पास सब मौजूद है.

लोगों को जानकारी देते हुए तीर्थ पुरोहित

बता दें शहर में शिप्रा नदी के सिद्धनाथ घाट पर न केवल श्राद्ध पक्ष में बल्कि आम दिनों में भी मुंडन संस्कार और पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लोग जो भी पूजन-हवन करवाते यहां के पुरोहित उसका पूरा रिकॉर्ड रखते हैं. जिसमें जिला, गांव, गोत्र जैसी जानकारियां शामिल होती हैं.

तीर्थ पुरोहित राजेश त्रिवेदी ने ईटीवी से बात करते हुए रिकॉर्ड रखने की पूरी प्रकिया बताई. उन्होंने बताया कि यहां 263 तीर्थ पुरोहित परिवार हैं. जिनके पास यहां आकर पूजन करवाने वालों का रिकार्ड मौजूद होता है. ऐसी ही जानकारी लेने आए एक शख्स को तीर्थ पुरोहित ने 1565 संवत से लेकर आज तक उसकी सभी पीड़ियों की जानकारी दे दी. पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि ये व्यवस्था सभी तीर्थ स्थलों पर मौजूद होती है. तीर्थ पुरोहित समय-समय उनकी पोथियों को अपडेट भी करते हैं.

उज्जैन। आज के युग में कंप्यूटर के बिना, कागजों पर किसी रिकॉर्ड को संभालकर रखना मुश्किल है, लेकिन कर्मकांड और श्राद्ध पक्ष में पूजा करवाने वाले शहर के तीर्थ पुरोहित, सिद्धनाथ घाट पर उनके यजमानों की कई पीढ़ियों के नाम व गोत्र चुटकियों में बता देतें हैं. लोगों के पास भले ही खुद की 10 पीड़ियों के रिकॉर्ड न हो, इन पुरोहितों के पास सब मौजूद है.

लोगों को जानकारी देते हुए तीर्थ पुरोहित

बता दें शहर में शिप्रा नदी के सिद्धनाथ घाट पर न केवल श्राद्ध पक्ष में बल्कि आम दिनों में भी मुंडन संस्कार और पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लोग जो भी पूजन-हवन करवाते यहां के पुरोहित उसका पूरा रिकॉर्ड रखते हैं. जिसमें जिला, गांव, गोत्र जैसी जानकारियां शामिल होती हैं.

तीर्थ पुरोहित राजेश त्रिवेदी ने ईटीवी से बात करते हुए रिकॉर्ड रखने की पूरी प्रकिया बताई. उन्होंने बताया कि यहां 263 तीर्थ पुरोहित परिवार हैं. जिनके पास यहां आकर पूजन करवाने वालों का रिकार्ड मौजूद होता है. ऐसी ही जानकारी लेने आए एक शख्स को तीर्थ पुरोहित ने 1565 संवत से लेकर आज तक उसकी सभी पीड़ियों की जानकारी दे दी. पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि ये व्यवस्था सभी तीर्थ स्थलों पर मौजूद होती है. तीर्थ पुरोहित समय-समय उनकी पोथियों को अपडेट भी करते हैं.

Intro:उज्जैन आधुनिक युग में बिना कंप्यूटर के रख रहे हैं 500 साल से अधिक पुराने रिकॉर्ड किसी खानदान की 10 तो किसी की 15 पीढ़ियों तक का हिसाब मिनटों में सामने रख देते हैं तीर्थ पुरोहित


Body:उज्जैन आधुनिक युग में आपसे कोई कहे कि कंप्यूटर से 10 साल या 20 साल से अधिक पुराना फाइल में से किसी का नाम खोजना है तो शायद मुश्किल आ जाएगी या कुछ समय लगेगा लेकिन कर्मकांड और श्राद्ध पक्ष की पूजा करवाने वाले उज्जैन के तीर्थ पुरोहित सिद्धवट पर अपने यजमानो के 20 20 पीढ़ियों के ना सिर्फ नाम बल्कि गोत्र शहर का नाम चुटकियों में देख लेते हैं वह भी अपने द्वारा सहज कर रखी गई पोथियों द्वारा जी हां यह सच है कि 500 साल पुराना रिकॉर्ड भी देखना हो तो पंडित पुरोहित कोमेट 1 मिनट से कम समय लगता है इस आधुनिक युग में चित्र सहित का यह हुनर काबिले तारीफ है


Conclusion:उज्जैन शहर में शिप्रा नदी किनारे ना सिर्फ श्राद्ध पक्ष में बल्कि आम दिनों में भी मुंडन संस्कार और पत्र के तर्पण के लिए सिद्धनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है लेकिन इस घाट पर सबसे अनोखा है कि पुरोहितों का श्रद्धालुओं के परिवार की जानकारी का बैंक जी हां हम इससे परिवार के नामों का बैंक इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि एक एक पुरोहित के पास श्रद्धालुओं के लाखों नाम से शहर का नाम और उनके पूरे खानदान के 10 और किसी परिवार के 20 पीढ़ियों के नाम भी दर्ज हैं लेकिन अब आप सोच रहे हो गए कि अगर मेरे 10 पीढ़ी यानी करीब 300 साल पुराना दस्तावेज देखना है जिसमें परिवार और खानदान के लोगों का नाम पता चल सके तो बहुत ही सरल है उज्जैन में श्राद्ध करवा रहे पुरोहित 1 या 2 मिनट में 500 साल तक का थाना कच्चा चिट्ठा आपके सामने रख देते हैं ऐसे ही जब हम स्टोरी कवर कर रहे थे तो उसी वक्त ऋषि नगर में रहने वाले एक शख्स ने श्राद्ध करने से पहले जानकारी मांगी तो महज एक या 2 मिनट में अपनी पोथी निकालकर पंडित राजेश त्रिवेदी ने बता दिया कि विक्रम संवत 1565 में सादड़ी झालावाड़ से मालवा से आए थे और अभी विक्रम संवत 2076 चल रहा है क़रीब 511 साल का रिकॉर्ड सामने आ गया

पंडित राजेश त्रिवेदी बताते हैं कि हमारे पुरखों से यही काम चला आया है और उनके काम और उनके द्वारा बनाई गई पोथी हमने सहज कर रखी है समय समय हम इसे व्यवस्थित करते रहते हैं रही बात किसी भी परिवार की जानकारी की तो उसके लिए किसी भी परिवार के सदस्य को पहले अपना नाम बताना होता है शहर का नाम और परिवार में किसी का नाम बताना होगा तो 1 या 2 मिनट में निकाल देते हैं और इस आधुनिक युग में भी पंडित को पंडित को कंप्यूटर की आवश्यकता नहीं लगती है



बाइट--- राजेश त्रिवेदी तीर्थ पुरोहित
Last Updated : Sep 27, 2019, 9:12 AM IST
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