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आस्था के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़, आग पर नंगे पांव दौड़े महिलाएं और बच्चे

उज्जैन के मीन गांव में आस्था का अंधविश्वास देखने को मिला, जहां अपनी मन्नत पूरी होने के बाद ग्रामीणों ने सुलगती आग से निकलकर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई.

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आस्था के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़
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Published : Mar 11, 2020, 8:03 PM IST

उज्जैन। जिले के मीन गांव में सुलगती आग के बीचों-बीच मन्नत पूरी करने के लिए सैकड़ों ग्रामीण आग के बीच दौड़ने को मजबूर हैं. ये परंपरा सालों से चली आ रही है. आग के बीच दौड़ते हुए ग्रामीणों ने अपने देवता को याद किया और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई.

आस्था के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़

दरसल होली पर्व के चलते पिछले कई सालों से मीन गांव में 11 फीट चूल जलाया जाता है, जहां धधकते अंगारों पर नंगे पैर मन्नत मांगने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग दौड़ते हैं. माना जाता है ओम्कारेश्वर महादेव मंदिर में जलने वाले इस चूल से हर प्रकार की मन्नतें पूरी हो जाती है.

ग्रामीण के अनुसार यहां निःसंतान, जमीन विवाद, कोर्ट कचहरी सहित कई मन्नते पूरी होती हैं. लोग बढ़ी संख्या में दूर-दूर से आते हैं और इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इस परम्परा का निर्वाहन यहां के निवासी इसलिए भी करते है, क्योंकि इनके पूर्वज भी इस परम्परा को निभाते थे और धधकते अंगारों पर चलकर अपनी मन्नत मांगतें थे.

उज्जैन। जिले के मीन गांव में सुलगती आग के बीचों-बीच मन्नत पूरी करने के लिए सैकड़ों ग्रामीण आग के बीच दौड़ने को मजबूर हैं. ये परंपरा सालों से चली आ रही है. आग के बीच दौड़ते हुए ग्रामीणों ने अपने देवता को याद किया और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई.

आस्था के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़

दरसल होली पर्व के चलते पिछले कई सालों से मीन गांव में 11 फीट चूल जलाया जाता है, जहां धधकते अंगारों पर नंगे पैर मन्नत मांगने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग दौड़ते हैं. माना जाता है ओम्कारेश्वर महादेव मंदिर में जलने वाले इस चूल से हर प्रकार की मन्नतें पूरी हो जाती है.

ग्रामीण के अनुसार यहां निःसंतान, जमीन विवाद, कोर्ट कचहरी सहित कई मन्नते पूरी होती हैं. लोग बढ़ी संख्या में दूर-दूर से आते हैं और इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इस परम्परा का निर्वाहन यहां के निवासी इसलिए भी करते है, क्योंकि इनके पूर्वज भी इस परम्परा को निभाते थे और धधकते अंगारों पर चलकर अपनी मन्नत मांगतें थे.

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