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पिता की इच्छा पूरी करने के लिए मां की आंखों को बेटे ने किया दान, दूर होगा जीवन का 'अंधेरा'

उज्जैन में पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए बेटे ने मां की मृत्यु के बाद नेत्रदान किया, जिसे गीता भवन न्यास सामाजिक संस्था ने पूरा किया.

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Published : Jan 4, 2020, 12:53 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 12:59 PM IST

son donated mother eye
बेटे ने करवाया मां का नेत्रदान

उज्जैन। पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले मोहन करकरे ने 86 वर्षीय मां शालिनी करकरे की मृत्यु के बाद बड़नगर की गीता भवन न्यास संस्था ने नेत्रदान किया. गीता भवन न्यास एक निशुल्क संस्था है, जिसने सफल ऑपरेशन कर 92 लोगों को जीवनदान दिया है, जिसके लिए हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सामाजिक संस्था को सम्मानित करने वाले है.


अब तक उज्जैन संभाग में पहला अंगदान पत्रकार जवाहर डोसी ने अपने बेटे विश्वास डोसी का करवाया था, जिसके बाद आज 6 लोग जीवन जी रहे हैं. वहीं इस प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन देहदान भी हो चुका है.
डॉक्टर जीलएल दादरवाल का कहना है कि ये संस्था 44 तरह के सामाजिक कार्य करती है, जिसमें सिलाई-कड़ाई, कम्प्यूटर कोर्स, कंबल बांटना, बच्चों को स्वेटर बांटना और गरीब लोगों को निशुल्क भोजन देने का काम करती है. उनका कहना है कि ये 118 नेत्रदान है. हालांकि सरकार द्वारा कई योजनाओं के जरिए ऐसे लोगों तक पहुंचा जा रहा है, लेकिन इस संस्था के मदद से कई लोगों को जीवन खुशहाली से जीने का मौका मिल रहा है.

उज्जैन। पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले मोहन करकरे ने 86 वर्षीय मां शालिनी करकरे की मृत्यु के बाद बड़नगर की गीता भवन न्यास संस्था ने नेत्रदान किया. गीता भवन न्यास एक निशुल्क संस्था है, जिसने सफल ऑपरेशन कर 92 लोगों को जीवनदान दिया है, जिसके लिए हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सामाजिक संस्था को सम्मानित करने वाले है.


अब तक उज्जैन संभाग में पहला अंगदान पत्रकार जवाहर डोसी ने अपने बेटे विश्वास डोसी का करवाया था, जिसके बाद आज 6 लोग जीवन जी रहे हैं. वहीं इस प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन देहदान भी हो चुका है.
डॉक्टर जीलएल दादरवाल का कहना है कि ये संस्था 44 तरह के सामाजिक कार्य करती है, जिसमें सिलाई-कड़ाई, कम्प्यूटर कोर्स, कंबल बांटना, बच्चों को स्वेटर बांटना और गरीब लोगों को निशुल्क भोजन देने का काम करती है. उनका कहना है कि ये 118 नेत्रदान है. हालांकि सरकार द्वारा कई योजनाओं के जरिए ऐसे लोगों तक पहुंचा जा रहा है, लेकिन इस संस्था के मदद से कई लोगों को जीवन खुशहाली से जीने का मौका मिल रहा है.

Intro:नैत्र दान महादान। पुत्र ने की पिता की आखिरी इच्छा पूरी. माता के देहांत के बाद नेत्रदान किया।Body:कहते हैं रक्तदान जीवनदान और नेत्रदान महादान जी हां हम बात कर रहे हैं उज्जैन के महिदपुर की जहा 86 वर्षीय शालिनी करकरे के मृत्यु उपरांत पार्थिव शरीर से देर रात नेत्रदान किया गया जिसके लिए बड़नगर गीता भवन न्यास निशुल्क संस्था ने पहुंच नेत्र चक्षु को निकाल अपने साथ ले जाकर किसी अंधेरे जीवन में जी रहे व्यक्ति की लौटायेगी रोशनी वही अब तक यह संस्था सफल ऑपरेशन के जरिए 92 लोगों के जीवन में अंधकार दूर कर चुकी है जिसके लिए हाल ही में राष्ट्रपति ऐसी सामाजिक संस्था को सम्मानित करने जा रहे हैं।Conclusion:आपको बता दें अब तक पूरे उज्जैन संभाग में सबसे बड़ा और पहला अंगदान पत्रकार जवाहर डोसी ने खुद के युवा पुत्र विश्वास डोसी का किया जिनकी देर से आज 6 लोग अपना जीवन जी रहे हैं वहीं इस प्रेरणा से प्रेरित होकर तीन देहदान हो चुकी है साथ ही 75 नेत्रदान करने से खोई हुई सैकड़ों लोगों के जीवन में रोशनी लौट आई है हालांकि सरकार भी अपनी योजनाओं के जरिए हर उस तक के तक पहुंचती है लेकिन आज भी ऐसी निशुल्क सामाजिक संस्था है जिनके जरिए ना जाने कितने लोग अपना जीवन खुशहाली से जी रहे हैं।

बाइट_मोहन करकरें (नेत्रदान महिला का पुत्र)
वाइट_डॉ.जी एल दादरवाल (गीता भवन न्यास)
Last Updated : Jan 4, 2020, 12:59 PM IST
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