उज्जैन। सावन के चौथे सोमवार पर भगवान महाकाल के दरबार में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुट रही है. वहीं, प्रातः काल भगवान महाकाल की भस्म आरती के लिए पंडित पुजारियों ने पट खोलें. भगवान महाकाल का पूजन अभिषेक कर मंत्र उच्चारण के साथ जल से स्नान कराया गया. पश्चात पंचामृत अभिषेक कर जिसमें दूध, दही, घी, शहद, इत्र से लेकर विभिन्न प्रकार की सामग्री भगवान को अर्पित की गईं. इसके बाद भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया गया.
![ujjain Mahakaleshwar Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-07-2023/mp-ujj-01-bhsmarti-mp10029_31072023062101_3107f_1690764661_335.jpg)
भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित की: महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज द्वारा भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित की गई. इसके बाद महाकाल मंदिर के पुजारी ने भगवान महाकाल की आरती की. जिसे देखने के लिए हजारों, लाखों श्रद्धालु पहुंचे. वहीं, महाकाल प्रबन्धक समिति ने श्रद्धालुओं के लिए अच्छी व्यवस्था भी कर रखी है.
![ujjain Mahakaleshwar Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-07-2023/mp-ujj-01-bhsmarti-mp10029_31072023062101_3107f_1690764661_568.jpg)
मंदिर पहुंच रहे भक्त: सावन का महीना भगवान महाकाल के भक्तों के लिए अति प्रिय माना जाता है. ऐसे में उनके भक्त सावन के महीने में उपवास से लेकर तमाम प्रकार के उपाय करते हैं और भगवान महाकाल को प्रसन्न करने के लिए आराधना करते हैं. इसी के साथ बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. माना जाता है कि भगवान महाकाल स्वयंभू है और दक्षिण मुखी हैं. जिसके कारण भगवान महाकाल के दर्शन मात्र से ही हर मुश्किल का समाधान हो जाता है. सावन में हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान का आशीर्वाद लेने आते हैं. कई घंटों के इंतजार के बाद एक झलक पाकर अपने आपको धन्य पाते हैं. सावन के चौथे सोमवार पर शुरु हुआ यह सिलसिला प्रातः काल होने वाली भस्मारती से लेकर भगवान महाकाल की शयन आरती तक चलता रहेगा.
4 रूपों में दर्शन देंगे भगवान महाकाल: बाबा महाकाल सावन के महीने में अपनी प्रजा का हाल जानते नगर भ्रमण पर निकलते हैं. ऐसे में सावन के चौथे सोमवार पर भगवान महाकाल अपने भक्तों को चार अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे. भगवान महाकाल पालकी में सवार होकर चंद्रमौलेश्वर के रूप में तो दूसरा गरुड पर सवार शिव तांडव के रूप में दर्शन देंगे. इसके अलावा नंदी पर सवार होकर उमा महेश के रूप में और अंत में हाथी पर सवार होकर मन महेश के रूप में दर्शन देंगे. श्रद्धालु अपने राजा का दर्शन पाकर अपने आप को धन्य पाएंगे.