उज्जैन। कोरोना काल में कई लोग आपदा में अवसर तलाश कर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने में परहेज नहीं कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सेवा करने में भी पीछे नहीं हैं. शहर में कोरोना के कारण हो रही मौतों के बाद उज्जैन के तीन शमशान- चक्र तीर्थ श्मशान घाट, ओखलेश्वर श्मशान और त्रिवेणी श्मशान पर चितायें ठंडी नहीं हो पा रही हैं. लगातार शव श्मशान पंहुच रहे हैं. ऐसे में कई बार शव को जलाने के लिए लकड़ी और कंडे नहीं मिल रहे हैं. कई बार शव को अस्पताल से श्मशान तक पहुंचाने के लिए गाड़ी भी नहीं मिल पा रही है. इस परेशानी को देखते हुए उज्जैन की ससम्मान अंतिम संस्कार समिति आगे आयी और नगर निगम से बात कर मुफ्त गाड़ी की व्यवस्था की.
अंतिम संस्कार के लिए आगे आयी समिति
ससम्मान अंतिम संस्कार समिति के सदस्य अर्जुन सिंह भदौरिया, विशाल शर्मा और महेंद्र सिंह रघुवंशी कोविड काल से पहले से ही सेवा का काम करते आये हैं. कोरोना माहमारी में रोजाना हो रही मौत का आंकड़ा जब बढ़ने लगा तब समिति के सदस्यों ने देखा कि श्मशान में लकड़ी कंडे कम पड़ रहे हैं. शवों को कुत्ते खाने लगे थे, जिस पर समिति ने नगर अधिकारियों से बात कर निःशुल्क गाड़ी की व्यवस्था करवाई. यही नहीं आसपास के ग्रामीणों से बात कर शव जलाने के लिए लकड़ी और कंडे की निःशुल्क व्यवस्था करायी.
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शव को श्मशान तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की
ससम्मान अंतिम संस्कार समिति ने पुष्पम सामाजिक समिति और माधव सेवा न्यास द्वारा एक एक गाड़ी की व्यवस्स्था करवाई गई, जिसमे एक टवेरा गाडी और एक शव वाहन को अस्पताल से श्मशान तक शव को निःशुल्क शव छोड़ने की व्यवस्था करवाई गयी.