उज्जैन। सड़कों पर बहता नालियों का पानी, टूटे हैंडपंप और नल-जल योजना के लिए बनाई गयी सूखी पड़ी पानी की टंकी. ये सूरत है उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय द्वारा गोद लिए गए गांव रूपाखेड़ी की. सांसद ने गांव को गोद लेते वक्त रूपाखेड़ी का रुप बदलने का दावा किया था.
ग्रामीणों को भी लगा था कि आदर्श गांव बनने के बाद गांव की सूरत बदल जाएगी, लेकिन गांव में पसरी गंदगी और पीने के पानी की कमी इस बात की गवाही है कि रूपाखेड़ी के रूप में पिछले पांच सालों में कोई बदलाव नहीं आया है.
भले ही रूपाखेड़ी गांव बदहाली के आंसू बहा रहा हो और ग्रामीण आदर्श गांव की मूलभूत सुविधाओं से महरूम हों, लेकिन सांसद महोदय बढ़े गुमान से कहते हैं कि आदर्श गांव की कोई परिभाषा नहीं जितना काम गांव के विकास के लिए होना था, उतना हमने करवाया है.
सांसद जी के विकास के दावों पर जब ग्रामीणों से बात करते हैं तो ये सारे दावे हवा हवाई साबित होते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के नाम पर जितने भी काम शुरु किये गये सब के सब अधूरे पड़े हैं.
अब ग्रामीण चाहें जो कहें, सांसद महोदय ने कह दिया है कि वे अपने गोल लिए गांव को आदर्श ग्राम बना चुके हैं, तब इसे मानना तो पड़ेगा ही. हां ये हो सकता है कि इस आदर्श ग्राम को आदर्श मानने की सांसद की बात से इत्तेफाक रखने पर लोगों को वो कहावत याद आ जाए कि जिसकी लाठी उसकी भैंस.