उज्जैन। देश भर में मनाये जाने वाले दीपावली पर्व की शुरुआत बाबा महाकाल के दरबार से हुई. अनादिकाल से परम्परा चली आ रही है कि कोई भी त्योहार हो, सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाया जाता है. इसी कड़ी में गुरुवार को दीपावली पर्व के दिन रूप चौदस और दीपावली का पर्व एक साथ मनाया गया. इस दौरान महाकाल मंदिर में दीपावली मनाई गयी. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल के मंदिर में अहले सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान ही फुलझड़ियां और आतिशबाजी जलाकर पंडा-पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ दीवाली मनाई. वही महाकाल को फलों के रस और द्रव्यों से स्नान करवाया गया और बाबा को शाही मुकुट पहना कर 56 भोग भी लगाया गया.
उज्जैन महाकाल मंदिर में रूप चौदस और दीपावली एकसाथ मनायी गयी. इस दौरान भस्म आरती के समय भगवान को अभ्यंग स्रान कराकर गुरुवार की सुबह भस्म आरती के समय हल्दी का उपटन भी लगाया गया. महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि महाकाल मंदिर में ग्वालियर के पंचांग से तिथि का निर्धारण किया जाता है, जिसके अनुसार बुधवार दोपहर तक तेरस थी. इस कारण से रूप चौदस और दीपावली का पर्व एक साथ गुरुवार को मनाया जा रहा है. जिसमें भस्म आरती के दौरान अन्नकूट का महाभोग लगाया गया.
बाबा महाकाल के साथ पंडित-पुजारियों की दीपावली
उज्जैन के महाकाल मंदिर में अहले सुबह 5 बजे महाकाल बाबा के साथ पण्डे-पुजारियों ने दिवाली मनाई. महाकाल मंदिर में इस अवसर पर भस्म आरती से सबसे पहले बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परम्परा है. साथ ही बाबा का मनमोहक श्रंगार भी किया गया. और 56 भोग भी चढ़ाये गये. बाबा महाकाल के आंगन में होने वाली दिवाली का नजारा देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे.