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देश विरोधी नारेबाजी के मामले में सियासत, उज्जैन एसपी से मिले मुस्लिम समाज के लोग, निष्पक्ष जांच की मांग

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Published : Aug 23, 2021, 5:41 PM IST

मोहर्रम के जुलूस में देश विरोधी नारेबाजी के मामले में दिग्विजय सिंह के ट्वीट ने सियासत को गर्मा दिया है. मुस्लिम समाज के लोगों ने एसपी से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. इस मामले में पुलिस का कहना है कि घटना की पहली सूचना आयोजकों की तरफ से ही मिली थी.

उज्जैन एसपी से मिले मुस्लिम समाज के लोग, निष्पक्ष जांच की मांग
उज्जैन एसपी से मिले मुस्लिम समाज के लोग, निष्पक्ष जांच की मांग

उज्जैन। मोहर्रम के जुलूस के दौरान देश विरोधी नारेबाजी के मामले में अब राजनीति गरमा गई है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि मौके पर देशी विरोधी नारे नहीं बल्कि 'काजी साहब जिंदाबाद' के नारे लगे थे. इस मामले को लेकर अब मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने जाकर एसपी से मुलाकात की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

उज्जैन एसपी से मिले मुस्लिम समाज के लोग, निष्पक्ष जांच की मांग

"नहीं लगे थे देश विरोधी नारे"

इस मामले में कांग्रेस नेता मुजीब काजी ने दावा किया है कि "नारे नहीं लगे थे, मैं मौके पर मौजूद था, मौके पर महाकाल पंडा समिति के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी मौजूद थे. वो बड़े साहब को सेरा चढ़ाने गए थे. जब काजी साहब मौके पर पहुंचे तो लोगों को लगा कि वो जुलूस निकलवा देंगे, इसलिए मौके पर मौजूद लोगों ने काजी साहब जिंदाबाद के नारे लगाए थे. वहां देश विरोधी नारे लगे थे यह झूठी बात है"

"दोषियों पर हो कार्रवाई, निर्दोषों को छोडे़ पुलिस"

वहीं आरोपी पक्ष के वकील आशीष तिवारी का कहना है कि "एसपी के पास जाकर, जो प्रकरण दर्ज किया गया है उसमें निर्दोष लोगों को नहीं पकड़ने की और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. पुलिस ने जिन साक्ष्य के दम पर इन्हें गिरफ्तार किया है, उसमें इनका अपराध किया जाना प्रमाणिक नहीं है, अगर कोई वहां मौजूद था और पीछे से नारेबाजी हुई तो बेकसूर लोगों को आरोपी नहीं बनाना चाहिए."

"पहली शिकायत आयोजकों की तरफ से आई थी"

वहीं इस मामले में एसपी सत्येन्द्र शुक्ल का कहना है कि "हमारे पास जो वीडियो है उसमें साफ तौर में सुनाई दे रहा है, इसके अलावा पहला रिएक्शन वहां के आयोजकगणों की तरफ से ही आया था, तभी मौके पर पुलिस बल पहुंचाया गया था. इसके अलावा मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स और अन्य अधिकारियों की तरफ से बात स्पष्ट हुई है, उसी के आधार पर कार्रवाई की गई है. नारेबाजी में किसने क्या सुना यह जांच का विषय है, लेकिन हमारे पास पर्याप्त सबूत है कि इस तरह की घटना हुई है"

  • फेक न्यूज़ के आधार पर “क़ाज़ी साहब ज़िंदाबाद” को “ पाकिस्तान ज़िंदाबाद” बता कर कई लोगों पर मुक़दमे दायर हो गए। मप्र पुलिस को कार्रवाई करने के पूर्व वास्तविकता का पता लगा लेना चाहिए था। यदि गिरफ़्तारी हुई है तो प्रकरण वापस लेना चाहिए। https://t.co/a1ysNZUkFt

    — digvijaya singh (@digvijaya_28) August 22, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मातमी जुलूस पर महाभारत! दिग्विजय सिंह को पाकिस्तान छोड़ आएं, जो सहयोग होगा हम करेंगे: नरोत्तम मिश्रा

दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बाद शुरू हुई राजनीति

बता दें कि मोहर्रम के जुलूस के दौरान देश विरोधी नारेबाजी का एक वीडियो सामने आया था. वीडियो के बास पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें से 4 के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई है. इस मामले में दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि "मौके पर काजी साहब जिंदाबाद के नारे लगे थे. एमपी पुलिस को कार्रवाई करने से पहले वास्तविकता का पता लगना था, अगर गिरफ्तारी हुई है तो प्रकरण वापस लेना चाहिए."

उज्जैन। मोहर्रम के जुलूस के दौरान देश विरोधी नारेबाजी के मामले में अब राजनीति गरमा गई है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि मौके पर देशी विरोधी नारे नहीं बल्कि 'काजी साहब जिंदाबाद' के नारे लगे थे. इस मामले को लेकर अब मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने जाकर एसपी से मुलाकात की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

उज्जैन एसपी से मिले मुस्लिम समाज के लोग, निष्पक्ष जांच की मांग

"नहीं लगे थे देश विरोधी नारे"

इस मामले में कांग्रेस नेता मुजीब काजी ने दावा किया है कि "नारे नहीं लगे थे, मैं मौके पर मौजूद था, मौके पर महाकाल पंडा समिति के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी मौजूद थे. वो बड़े साहब को सेरा चढ़ाने गए थे. जब काजी साहब मौके पर पहुंचे तो लोगों को लगा कि वो जुलूस निकलवा देंगे, इसलिए मौके पर मौजूद लोगों ने काजी साहब जिंदाबाद के नारे लगाए थे. वहां देश विरोधी नारे लगे थे यह झूठी बात है"

"दोषियों पर हो कार्रवाई, निर्दोषों को छोडे़ पुलिस"

वहीं आरोपी पक्ष के वकील आशीष तिवारी का कहना है कि "एसपी के पास जाकर, जो प्रकरण दर्ज किया गया है उसमें निर्दोष लोगों को नहीं पकड़ने की और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. पुलिस ने जिन साक्ष्य के दम पर इन्हें गिरफ्तार किया है, उसमें इनका अपराध किया जाना प्रमाणिक नहीं है, अगर कोई वहां मौजूद था और पीछे से नारेबाजी हुई तो बेकसूर लोगों को आरोपी नहीं बनाना चाहिए."

"पहली शिकायत आयोजकों की तरफ से आई थी"

वहीं इस मामले में एसपी सत्येन्द्र शुक्ल का कहना है कि "हमारे पास जो वीडियो है उसमें साफ तौर में सुनाई दे रहा है, इसके अलावा पहला रिएक्शन वहां के आयोजकगणों की तरफ से ही आया था, तभी मौके पर पुलिस बल पहुंचाया गया था. इसके अलावा मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स और अन्य अधिकारियों की तरफ से बात स्पष्ट हुई है, उसी के आधार पर कार्रवाई की गई है. नारेबाजी में किसने क्या सुना यह जांच का विषय है, लेकिन हमारे पास पर्याप्त सबूत है कि इस तरह की घटना हुई है"

  • फेक न्यूज़ के आधार पर “क़ाज़ी साहब ज़िंदाबाद” को “ पाकिस्तान ज़िंदाबाद” बता कर कई लोगों पर मुक़दमे दायर हो गए। मप्र पुलिस को कार्रवाई करने के पूर्व वास्तविकता का पता लगा लेना चाहिए था। यदि गिरफ़्तारी हुई है तो प्रकरण वापस लेना चाहिए। https://t.co/a1ysNZUkFt

    — digvijaya singh (@digvijaya_28) August 22, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बाद शुरू हुई राजनीति

बता दें कि मोहर्रम के जुलूस के दौरान देश विरोधी नारेबाजी का एक वीडियो सामने आया था. वीडियो के बास पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें से 4 के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई है. इस मामले में दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि "मौके पर काजी साहब जिंदाबाद के नारे लगे थे. एमपी पुलिस को कार्रवाई करने से पहले वास्तविकता का पता लगना था, अगर गिरफ्तारी हुई है तो प्रकरण वापस लेना चाहिए."

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