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नवरात्र के पहले दिन करें हरसिद्धि माता के दर्शन, VIDEO में देखें अद्भुत नजारा - भगवान विष्णु

उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतर्गत पहले दिन मंदिर प्रांगण में कलश पुजन, घट स्थापना, प्रातः 10 बजे की जायेगी. परिसर में दो स्तम्भ हैं, जिसमे 1101 दीपक हैं. शाम को आरती के समय दीपों को प्रज्जवलित किया जाता है. इन दीपों को प्रज्जवलित करने के लिए करीब 60 किलो तेल लगता है.

Harsiddhi temple
नवरात्र
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Published : Oct 7, 2021, 7:56 AM IST

Updated : Oct 7, 2021, 12:09 PM IST

उज्जैन। नवरात्रि पर्व (Navratri Festival 2021) माता की शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि का धर्मशास्त्रों में खास महत्व माना जाता है. इन दिनों माता की उपासना की जाती है. महाकाल की नगरी उज्जैन में भी शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है. वैसे तो उज्जैन मंदिरों (Ujjain Temples) का शहर है, लेकिन महाकाल मंदिर के पीछ स्थित हरसिद्धि माता मंदिर (Harsiddhi Mata Mandir) का धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व माना जाता है. करीब दो हजार साल पुराना यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है.

हरसिद्धि माता के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.

51 शक्ति पीठों में से एक है हरसिद्धि पीठ
उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतर्गत पहले दिन मंदिर प्रांगण में कलश पुजन, घट स्थापना, प्रातः 10 बजे की जायेगी. साथ ही प्रतिदिन देवी भागवत कथा का आयोजन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक हरसिद्वि भक्त मंडल एवं मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सम्पन्न होगा. प्रातः प्रतिदिन 10 बजे भोग प्रसादी, शाम को दीपमालिका आरती और फिर प्रसादी वितरण किया जायेगा.

राजा दक्ष ने शिव का किया था अपमान
पंडित महेश पुजारी ने बताया कि शास्त्रों में प्रचलित कथा के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में सारे देवी देवता को आमंत्रित किया था, लेकिन उनके जमाता भगवन शिव (Lord Shiva) को यज्ञ में नहीं बुलाया गया. राजा दक्ष ने शिव का अपमान किया.

भगवान विष्णु ने किये थे माता सती के 51 टुकड़े
माता सती को शिव का ये अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया. ये सब देखकर भगवन शिव माता सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे. शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए. जहां-जहां माता सती के शरीर टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ.

उज्जैन में गिरी थी माता की कोहनी
उज्जैन के इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी. इसी मंदिर का नामा हरसिद्धि पड़ा. हर सिद्धि माता उज्जैन के राजा विक्रमादित्य (Ujjain King Vikramaditya) की अराध्य देवी हैं. मान्यता कि मंदिर में राजा रोज आते थे. यही वजह है कि नवरात्रि के मौके पर माता हरसिद्धि के दरबार में दूर-दूर से लोग मन्नते मांगने आते हैं. आज प्रथम दिन हरसिद्धि मंदिर पर घट स्थापना के साथ विशेष आरती की गयी.

हरसिद्धि मंदिर में 1100 दीप होतें हैं प्रज्जवलित
उज्जैन मंदिर में इसी स्थान के पीछे भगवती अन्नपूर्णा की सुंदर प्रतिमा है. परिसर में दो स्तम्भ हैं, जिसमे 1101 दीपक हैं. शाम को आरती के समय दीपों को प्रज्जवलित किया जाता है. इन दीपों को प्रज्जवलित करने के लिए करीब 60 किलो तेल लगता है. साथ की करीब चार लोग मिलकर एक साथ दीपों में पहले रुई लगाकर तेल भरते हैं. जब आरती शुरू होती है, तब एक साथ दीपों को प्रज्जवलित कर देते हैं.

Navratri 2021: पालकी पर सवार होकर आएंगी मां जगदंबा, पहले दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

इन जलते हुए दीप स्तम्भों को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं. करीब दो घंटे का समय इन दीपों को जलाने में लगता है. खास बात यह है कि इन दीपों को देखने के लिए श्रद्धालु साल भर इंतजार करते हैं. श्रद्धालु माता हरसिद्धि के दरबार में मन्नत मांगने आते हैं. माता रानी के दरबार में आने वाले भक्त भी मानते हैं कि उनकी मुरादे पूरी होती हैं.

उज्जैन। नवरात्रि पर्व (Navratri Festival 2021) माता की शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि का धर्मशास्त्रों में खास महत्व माना जाता है. इन दिनों माता की उपासना की जाती है. महाकाल की नगरी उज्जैन में भी शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है. वैसे तो उज्जैन मंदिरों (Ujjain Temples) का शहर है, लेकिन महाकाल मंदिर के पीछ स्थित हरसिद्धि माता मंदिर (Harsiddhi Mata Mandir) का धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व माना जाता है. करीब दो हजार साल पुराना यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है.

हरसिद्धि माता के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.

51 शक्ति पीठों में से एक है हरसिद्धि पीठ
उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतर्गत पहले दिन मंदिर प्रांगण में कलश पुजन, घट स्थापना, प्रातः 10 बजे की जायेगी. साथ ही प्रतिदिन देवी भागवत कथा का आयोजन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक हरसिद्वि भक्त मंडल एवं मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सम्पन्न होगा. प्रातः प्रतिदिन 10 बजे भोग प्रसादी, शाम को दीपमालिका आरती और फिर प्रसादी वितरण किया जायेगा.

राजा दक्ष ने शिव का किया था अपमान
पंडित महेश पुजारी ने बताया कि शास्त्रों में प्रचलित कथा के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में सारे देवी देवता को आमंत्रित किया था, लेकिन उनके जमाता भगवन शिव (Lord Shiva) को यज्ञ में नहीं बुलाया गया. राजा दक्ष ने शिव का अपमान किया.

भगवान विष्णु ने किये थे माता सती के 51 टुकड़े
माता सती को शिव का ये अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया. ये सब देखकर भगवन शिव माता सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे. शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए. जहां-जहां माता सती के शरीर टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ.

उज्जैन में गिरी थी माता की कोहनी
उज्जैन के इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी. इसी मंदिर का नामा हरसिद्धि पड़ा. हर सिद्धि माता उज्जैन के राजा विक्रमादित्य (Ujjain King Vikramaditya) की अराध्य देवी हैं. मान्यता कि मंदिर में राजा रोज आते थे. यही वजह है कि नवरात्रि के मौके पर माता हरसिद्धि के दरबार में दूर-दूर से लोग मन्नते मांगने आते हैं. आज प्रथम दिन हरसिद्धि मंदिर पर घट स्थापना के साथ विशेष आरती की गयी.

हरसिद्धि मंदिर में 1100 दीप होतें हैं प्रज्जवलित
उज्जैन मंदिर में इसी स्थान के पीछे भगवती अन्नपूर्णा की सुंदर प्रतिमा है. परिसर में दो स्तम्भ हैं, जिसमे 1101 दीपक हैं. शाम को आरती के समय दीपों को प्रज्जवलित किया जाता है. इन दीपों को प्रज्जवलित करने के लिए करीब 60 किलो तेल लगता है. साथ की करीब चार लोग मिलकर एक साथ दीपों में पहले रुई लगाकर तेल भरते हैं. जब आरती शुरू होती है, तब एक साथ दीपों को प्रज्जवलित कर देते हैं.

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इन जलते हुए दीप स्तम्भों को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं. करीब दो घंटे का समय इन दीपों को जलाने में लगता है. खास बात यह है कि इन दीपों को देखने के लिए श्रद्धालु साल भर इंतजार करते हैं. श्रद्धालु माता हरसिद्धि के दरबार में मन्नत मांगने आते हैं. माता रानी के दरबार में आने वाले भक्त भी मानते हैं कि उनकी मुरादे पूरी होती हैं.

Last Updated : Oct 7, 2021, 12:09 PM IST
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