उज्जैन। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में एक बार फिर श्रद्धालुओं की संख्या को कम कर दिया गया है. नए आदेश में अब 1 दिन में मात्र 6000 श्रद्धालुओं को ही दर्शन कर मिल सकेंगे. इससे पहले 1 दिन में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 12000 थी. जिसे घटाकर आधा कर दिया गया है.
इन सभी श्रद्धालुओं को पहले की तरह प्री बुकिंग के जरिए ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलेगी. हर स्लॉट में 850 श्रद्धालुओं ही प्रवेश कर पाएंगे. वह भी गाइडलाइन के साथ. इसके साथ ही मंदिर में होने वाली चारों आरतियों में अब श्रद्धालु खड़े नहीं हो पाएंगे, चलायमान आरती होगी.
6 हजार श्रद्धालुओं को ही मिल पाएंगे दर्शन
महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना पांच आरतियां होती है, जिसमें सबसे पहले अल सुबह भस्म आरती होती है. जिसमें आम श्रद्धालुओं का प्रवेश पहले से ही पूर्णता बंद है. इसके बाद सुबह की आरती, फिर भोग आरती, संध्या आरती और फिर शयन आरती होती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु खड़े होकर आरती में शामिल हो रहे थे, लेकिन आरती में श्रद्धालुओं द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने पर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने अब कार्तिकेय मण्डपम और गणेश मंडपम में आम श्रद्धालुओं के खड़े होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. अब चलित दर्शन की व्यवस्था शुरू कर दी गई है. आज से 12000 की जगह 6000 श्रद्धालुओं को अगले स्लॉट में हर दिन के हिसाब से दर्शन की अनुमति मिलेगी.
महाकाल में मंदिर में नो मास्क नो एंट्री, भस्म आरती के लिए करना होगा लंबा इंतजार
रोजाना बड़ी संख्या में मिल रहे हैं कोरोना के मरीज
उज्जैन में जनवरी माह में कोरोना के मरीजों की संख्या घटकर महज एक दो या तीन तक ही रह गई थी, लेकिन मार्च महीना आते ही जिस रफ्तार से कोरोना के मरीज मिलना शुरू हुए हैं. उससे पूरा स्वास्थ्य अमला और प्रशासनिक अधिकारी सकते में हैं. कोरोना की ये दूसरी लहर बताई जा रही है और उज्जैन में लगातार बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे हैं.
- 24 मार्च को 58 मरीज मिले
- 25 मार्च को 83 मरीज मिले
- 26 मार्च को 85 मरीज मिले
- 27 मार्च को 69 मरीज मिले
- 28 मार्च को 72 मरीज मिले
- 29 मार्च को 32 मरीज मिले
- 30 मार्च को 70 मरीज मिले
- 31 मार्च को 86 मरीज मिले
पिछले 8 दिनों में अब तक कुल 555 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं. जिनका इलाज घर, निजी और सरकारी अस्पतालों में चल रहा है. सभी बड़े अस्पतालों की हालत यह है कि बेड नहीं मिल रहे हैं. जिसके चलते घर पर ही मरीजों को क्वारेंटाइन करना पड़ रहा है.