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नाहरू खान का कमाल, बिना हाथ लगाए बजेगी महाकाल मंदिर की घंटी - naharu khan donate automatic bell

उज्जैन के महाकाल मंदिर में अब श्रद्धालु घंटी बजा सकेंगे. ये संभव हो सका है नाहरू खान की बदौलत. जिन्होंने ऐसी घंटी तैयार की है, जिसे बिना छुए ही बजाया जा सकता है.

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महाकाल मंदिर में ऑटोमेटिक घंटी
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Published : Jun 24, 2020, 10:58 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 11:13 PM IST

उज्जैन। कोरोना काल में पाबंदी के बाद भी अब श्रद्धालु उज्जैन के महाकाल मंदिर घंटी बजा सकेंगे. ये मंदसौर के रहने वाले समाजसेवी और पेशे से इलेक्ट्रीशियन नाहरू खान की बदौलत संभव हो सका है. उन्होंने महाकाल मंदिर को ऑटोमैटिक घंटी दान की है. जिसके चलते अब श्रद्धालु बिना हाथ लगाए घंटी बजा सकेंगे. अनलॉक 1.0 के बाद मंदिर पहुंचे श्रद्धालु घंटी नहीं बजा पाने पर मायूस थे. नाहरू खान के इस ऑटोमैटिक घंटी से उनके चेहरे पर खुशी आ गई है.

महाकाल मंदिर में ऑटोमैटिक घंटी

नाहरू खान ने बताया कि अनलॉक 1.0 में जैसे ही धार्मिक स्थल खुले तो मस्जिदों से अजान की आवाज तो आने लगी, लेकिन मंदिरों से घंटी का स्वर गायब था. लिहाजा उनका ध्यान इस तरफ गया और उनके मन में आया कि क्यों न ऐसी घंटी बनाई जाए, जिसे बिना छुए ही बजाया जा सके. फिर क्या उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया और मजह कुछ दिनों में नाहरू ने सेंसर वाली घंटी बना दी.

बगैर हाथ लगाए बजती है घंटी

नाहरू खान ने बताया कि एक रॉड के बीच में रोलर लगाया गया है. इसके नीचे की तरफ सेंसर लगा हुआ है. इसके नीचे हाथ या चेहरा दिखाने पर ये रॉड के अंदर लगे रोलर को घुमाना शुरू कर देता है. हमने मंदिर की घंटी इस रोलर से बांध दी है, सेंसर शुरू होते ही रोलर रस्सी खींचता व छोड़ता है. इससे बिना हाथ लगाए घंटी बजने लगती है.

नाहरू खान ने सेंसर वाली घंटी बनाकर न केवल हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है. बल्कि उन श्रद्धालुओं की आस्था को भी पूरा कर दिया है, जो मंदिर में दर्शन तो करते थे, लेकिन भगवान के सामने घंटी नहीं बजा पाते थे.

उज्जैन। कोरोना काल में पाबंदी के बाद भी अब श्रद्धालु उज्जैन के महाकाल मंदिर घंटी बजा सकेंगे. ये मंदसौर के रहने वाले समाजसेवी और पेशे से इलेक्ट्रीशियन नाहरू खान की बदौलत संभव हो सका है. उन्होंने महाकाल मंदिर को ऑटोमैटिक घंटी दान की है. जिसके चलते अब श्रद्धालु बिना हाथ लगाए घंटी बजा सकेंगे. अनलॉक 1.0 के बाद मंदिर पहुंचे श्रद्धालु घंटी नहीं बजा पाने पर मायूस थे. नाहरू खान के इस ऑटोमैटिक घंटी से उनके चेहरे पर खुशी आ गई है.

महाकाल मंदिर में ऑटोमैटिक घंटी

नाहरू खान ने बताया कि अनलॉक 1.0 में जैसे ही धार्मिक स्थल खुले तो मस्जिदों से अजान की आवाज तो आने लगी, लेकिन मंदिरों से घंटी का स्वर गायब था. लिहाजा उनका ध्यान इस तरफ गया और उनके मन में आया कि क्यों न ऐसी घंटी बनाई जाए, जिसे बिना छुए ही बजाया जा सके. फिर क्या उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया और मजह कुछ दिनों में नाहरू ने सेंसर वाली घंटी बना दी.

बगैर हाथ लगाए बजती है घंटी

नाहरू खान ने बताया कि एक रॉड के बीच में रोलर लगाया गया है. इसके नीचे की तरफ सेंसर लगा हुआ है. इसके नीचे हाथ या चेहरा दिखाने पर ये रॉड के अंदर लगे रोलर को घुमाना शुरू कर देता है. हमने मंदिर की घंटी इस रोलर से बांध दी है, सेंसर शुरू होते ही रोलर रस्सी खींचता व छोड़ता है. इससे बिना हाथ लगाए घंटी बजने लगती है.

नाहरू खान ने सेंसर वाली घंटी बनाकर न केवल हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है. बल्कि उन श्रद्धालुओं की आस्था को भी पूरा कर दिया है, जो मंदिर में दर्शन तो करते थे, लेकिन भगवान के सामने घंटी नहीं बजा पाते थे.

Last Updated : Jun 24, 2020, 11:13 PM IST
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