उज्जैन। 80 साल के छगनलाल एक ऐसी प्रतिभा के धनी हैं जो ना सिर्फ पर्यावरण को बचाने का काम करते है बल्कि बालों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान भी साबित हो रहे हैं. कहीं भी जाने से पहले अपने बालों को संवारने का काम तो सभी करते हैं लेकिन ये काम लकड़ी की कंघी से होता तो फिर क्या कहने. उज्जैन के 80 साल के छगनलाल एक ऐसा काम करते हैं जिसे लेकर उनकी डिमांड ना सिर्फ दिल्ली, मद्रास, बेंगलुरु, कोलकाता, मुंबई तक है बल्कि अब विदेशों में भी छगनलाल के हाथों की बनाई गई लकड़ी की कंघियों की बड़ी डिमांड है.
छगनलाल बताते हैं कि पिछले 70 साल से वे शीशम की लकड़ी से कंगी बनाने का काम करते आ रहे हैं. बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक की कंघी से लकड़ी की कंघी बिल्कुल अलग है. जिसमें डेंड्रफ निकालने की कंगी, बालों की जड़ तक तेल पहुंचाने वाली कंगी, मोटे दाने की कंगी, पतले दाने की कंगी, और अन्य कंघी को बनाने का काम छगनलाल करते हैं इसको लेकर छगनलाल का सम्मान प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित सोनिया गांधी भी कर चुकी हैं.
लकड़ी की कंघी केवल देश भर में एकमात्र ऐसा कलाकार है जिनकी कंघी से सिर की सफाई भी होती है साथ ही बालों के झड़ने से रोकने के लिए एसी कंगी भी है. जिसके द्वारा कंघा करने पर तेल बालों की जड़ों तक पहुंच जाता है. ऐसी अलग-अलग प्रकार की कंघी बनाने का दावा करने वाले छगनलाल बताते हैं कि 50, 80, 100 और 120 और 150 तक में कंगी बेचते हैं और महीने भर में 10 हजार से अधिक रूपए की कमाई करते हैं.
वे देश के अलग-अलग शहरों में बेच देते हैं इस काम को लेकर छगनलाल देश भर के अलग-अलग कई शहरों में सम्मान भी हो चुका है और आने वाली 26 जनवरी पर उन्हें दिल्ली में आमंत्रित भी किया गया है अपनी परंपरा को आज भी जीवित रखने वाले छगनलाल की मानें तो उनकी शीशम की लकड़ी की कंगी पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है और विशेष रूप से सिर के बालों की जड़ तक तेल पहुंचाने वाली कंगी की उनकी खासी डिमांड देशभर में होती है.
अकेले ही कर रहे है कंगी बनाने का काम
छगनलाल की पत्नी का 2 साल पहले देहांत हो चुका है. उसके बाद से ही वो अकेले ही इस काम को आगे करते जा रहे हैं. कंघी बनाने के लिए छगनलाल शीशम की लकड़ी और अन्य औजारों की मदद से इस काम को करते हैं.