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उज्जैन: लॉकडाउन के बाद काफी लोग डिप्रेशन का शिकार

कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद से उज्जैन जिला अस्पताल में हर रोज 12 से ज्यादा डिप्रेशन और एनजाइन के मरीज इलाज करवाने पहुंच रहै है. इस बत की पुष्टी उज्जैन के मनोचिकित्सक ने की है.

लॉकडाउन के बाद लोगों में डिप्रेशन
लॉकडाउन के बाद लोगों में डिप्रेशन
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Published : Jan 11, 2021, 6:35 PM IST

उज्जैन। कोरोना काल में हजारों लाखों लोगों की सेहत के साथ उनके व्यापार, नौकरी व अन्य कामों पर भी गहरा असर पड़ा है. एक वक्त में काम में व्यस्त इंसान अपने मानसिक तनाव को भूल गया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद उज्जैन के केवल जिला चिकित्सालय में ही हर रोज 12 से अधिक मरीज डिप्रेशन व एनजाइना का इलाज करवाने आ रहे हैं. इसका खुलासा खुद मनोचिकित्सक ने मीडिया से चर्चा के दौरान किया, जो की बेहद चिंताजनक है.

लॉकडाउन के बाद लोगों में डिप्रेशन

दरअसल ज्यादा समय तक अकेले रहने से बच्चों, युवाओं व महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या देखने को मिल रही है. वहीं एनजाइना पुरुष वर्ग से ज्यादा देखने को मिल रहा है. कल देर शाम ड्यूटी से घर लौट रहे थाना नगझिरी क्षेत्र के कमल सिंह चौहान की हार्टअटैक से मृत्यु हो गई है. कमल गुना जिले के रहने वाले थे, काम के प्रति कभी लापरवाही नहीं बरतने वाले कमाल एनजाइना का शिकार हो गए, जिससे उनकी मौत हो गई.

उज्जैन जिला अस्पताल के डॉ विनीत अग्रवाल मनोचिकित्सक ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि 'हमारे पास हर रोज 40 से 50 मरीज आते हैं लेकिन कोरोना का काल के बाद लोगों की मानसिक स्थिति में असर हुआ है. हर रोज 10 से 12 लोग डिप्रेशन, एनजाइना के यहां आ रहे हैं, जो काफी चिंताजनक है. हो सकता है इसमें कोरोना से संक्रमित रहे लोग भी हो, वहीं ऐसे में लोगों को अपना पहले जैसा रूटीन करना बहुत जरूरी है.'

क्या है एनजाइना ?

दिल का दौरा आने से पहले सीने में जो दर्द होता है, उसे एनजाइना (Angina) कहा जाता है. एनजाइना दर्द तब होता है, जब दिल की नसों में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाती है. एनजाइना दर्द जबड़े, बांह और पीठ के ऊपरी हिस्से में होता है.

क्या है डिप्रेशन ?

डिप्रेशन का मतलब मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है. इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी गई है. अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है. उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि उनके अपने भी कुछ नहीं रहते.

गौरतलब है कि कोरोना में लगे लॉकडाउन के बाद से ही कई लोगों में ये समस्या देखी गई है, वहीं इस दौरान लोगों का लाइफ स्टाइल और रुटीन बदलने और कई लोगों के इस दौरान अकेले रहने से भी वे डिप्रेशन और एनजाइना जैसी बिमारी से पीड़ित हो रहे है.

उज्जैन। कोरोना काल में हजारों लाखों लोगों की सेहत के साथ उनके व्यापार, नौकरी व अन्य कामों पर भी गहरा असर पड़ा है. एक वक्त में काम में व्यस्त इंसान अपने मानसिक तनाव को भूल गया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद उज्जैन के केवल जिला चिकित्सालय में ही हर रोज 12 से अधिक मरीज डिप्रेशन व एनजाइना का इलाज करवाने आ रहे हैं. इसका खुलासा खुद मनोचिकित्सक ने मीडिया से चर्चा के दौरान किया, जो की बेहद चिंताजनक है.

लॉकडाउन के बाद लोगों में डिप्रेशन

दरअसल ज्यादा समय तक अकेले रहने से बच्चों, युवाओं व महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या देखने को मिल रही है. वहीं एनजाइना पुरुष वर्ग से ज्यादा देखने को मिल रहा है. कल देर शाम ड्यूटी से घर लौट रहे थाना नगझिरी क्षेत्र के कमल सिंह चौहान की हार्टअटैक से मृत्यु हो गई है. कमल गुना जिले के रहने वाले थे, काम के प्रति कभी लापरवाही नहीं बरतने वाले कमाल एनजाइना का शिकार हो गए, जिससे उनकी मौत हो गई.

उज्जैन जिला अस्पताल के डॉ विनीत अग्रवाल मनोचिकित्सक ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि 'हमारे पास हर रोज 40 से 50 मरीज आते हैं लेकिन कोरोना का काल के बाद लोगों की मानसिक स्थिति में असर हुआ है. हर रोज 10 से 12 लोग डिप्रेशन, एनजाइना के यहां आ रहे हैं, जो काफी चिंताजनक है. हो सकता है इसमें कोरोना से संक्रमित रहे लोग भी हो, वहीं ऐसे में लोगों को अपना पहले जैसा रूटीन करना बहुत जरूरी है.'

क्या है एनजाइना ?

दिल का दौरा आने से पहले सीने में जो दर्द होता है, उसे एनजाइना (Angina) कहा जाता है. एनजाइना दर्द तब होता है, जब दिल की नसों में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाती है. एनजाइना दर्द जबड़े, बांह और पीठ के ऊपरी हिस्से में होता है.

क्या है डिप्रेशन ?

डिप्रेशन का मतलब मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है. इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी गई है. अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है. उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि उनके अपने भी कुछ नहीं रहते.

गौरतलब है कि कोरोना में लगे लॉकडाउन के बाद से ही कई लोगों में ये समस्या देखी गई है, वहीं इस दौरान लोगों का लाइफ स्टाइल और रुटीन बदलने और कई लोगों के इस दौरान अकेले रहने से भी वे डिप्रेशन और एनजाइना जैसी बिमारी से पीड़ित हो रहे है.

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