उज्जैन। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मारती के पहले शनिवार सुबह महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सेहरा सजाया गया. मान्यता है की शादी के दिन जिस तरह का दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है उसी तरह भगवान महाकाल को भी फूलों का सहरा सजाया जाता है. जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचते हैं.
इस दिन की खास बात ये है कि साल में एक बार दोपहर में महाकाल की भस्म आरती की जाती है. क्विंटलों फूलों से सजाए गए बाबा के सेहरे को बाद में प्रसाद रूप में बांट दिया जाता है. भगवान के सुंदर रूप से मोहित भक्त जन प्रसाद के रूप में मिली सामग्रियां पाकर स्वयं को धन्य मानते हैं और सेहरे से मिले पुष्प की पंखुड़ियों को भी अपने साथ ले जाते हैं
मान्यता है कि इन पुष्पों को घर में रखने से वर्षभर सुख-शांति तो रहती ही है, धन-धान्य भी भरा-पूरा रहता है.