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सावन के आखिरी सोमवार पर ठांठ-बांट से प्रजा का हाल जानने निकले बाबा महाकाल, देखिए महाकाल की सवारी

उज्जैन के राजा बाबा महाकाल सावन के आखिरी सोमवार पर प्रजा का हाल जानने निकले. क्षिप्रा नदी के तट पर बाबा महाकाल का अभिषेक किया गया. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रामघाट पर महाकाल का पूजन किया.

सावन के आखिरी सोमवार पर ठांठ-बांट से प्रजा का हाल जानने निकले बाबा महाकाल
सावन के आखिरी सोमवार पर ठांठ-बांट से प्रजा का हाल जानने निकले बाबा महाकाल
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Published : Aug 16, 2021, 7:47 PM IST

उज्जैन। सावन के आखिरी सोमवार पर बाबा महाकाल लाव-लश्कर के साथ प्रजा का हाल जानने निकले. सावन के आखिरी सोमवार के मौके पर महाकाल ने भक्तों को 2 रूपों में दर्शन दिए. पालकी में मनमहेश और हाथी पर चंद्रमौलेश्वर स्वरूप के रूप में महाकाल ने दर्शन दिए. रामघाट पर क्षिप्रा नदी के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक किया गया. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रामघाट पर महाकाल का पूजन किया.

महाकाल की सवारी

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई सवारी की शुरुआत

परंपरा के अनुसार उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी सतेन्द्र कुमार शुक्ल, एडीएम नरेन्द्र सूर्यवंशी ने मंदिर में पूजन कर महाकाल की पालकी को कंधा दिया. इसके बाद महाकाल की पालकी को मंदिर के बाहर पुलिस बैंड ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. यहां से सवारी निर्धारित मार्ग से रामघाट पर पहुंची. यहां क्षिप्रा नदी के जल से महाकाल की अभिषेक किया गया.

क्षिप्रा तट पर कैलाश विजयवर्गीय ने किया पूजन
क्षिप्रा तट पर कैलाश विजयवर्गीय ने किया पूजन

2 सालों से छोटे मार्ग से निकाली जा रही है सवारी

पिछले दो सालों से कोरोना के कारण महाकाल की सवारी का मार्ग बदला गया है. छोटे मार्ग के चलते पूरे सवारी मार्ग पर रेड कारपेट बिछाया गया, साथ ही आकर्षक रांगोली भी बनाई गई. इस दौरान सिर्फ अनुमति प्राप्त लोगों को ही सवारी में आने की अनुमति थी. आम लोगों को सवारी में शामिल होने की अनुमति नहीं थी. सवारी के मंदिर में पहुंचने के बाद मंदिर श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया.

'भगवान शिव फैमिली मैनेजमेंट गुरू और शिवपुराण फैमिली मैनेजमेंट का ग्रंथ'

भादौ के तीन सोमवार पर और निकलेगी सवारी

भगवान विष्णु के शयन में जाने के बाद 4 महीने के लिए भगवान शिव सृष्टि की बागडोर अपने हाथों में लेते है. मान्यता है कि इस दौरान सावन और भादौ के महीने में बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं. इसी के तहत सावन के सभी सोमवार और भादौ मास के 3 सोमवार पर महाकाल की सवारी निकाली जाती है. सावन के चारों सोमवार पर सवारी निकाली जा चुकी है. अब भादौ के तीन सोमवार पर बाबा महाकाल मंदिर से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देंगे.

उज्जैन। सावन के आखिरी सोमवार पर बाबा महाकाल लाव-लश्कर के साथ प्रजा का हाल जानने निकले. सावन के आखिरी सोमवार के मौके पर महाकाल ने भक्तों को 2 रूपों में दर्शन दिए. पालकी में मनमहेश और हाथी पर चंद्रमौलेश्वर स्वरूप के रूप में महाकाल ने दर्शन दिए. रामघाट पर क्षिप्रा नदी के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक किया गया. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रामघाट पर महाकाल का पूजन किया.

महाकाल की सवारी

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई सवारी की शुरुआत

परंपरा के अनुसार उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी सतेन्द्र कुमार शुक्ल, एडीएम नरेन्द्र सूर्यवंशी ने मंदिर में पूजन कर महाकाल की पालकी को कंधा दिया. इसके बाद महाकाल की पालकी को मंदिर के बाहर पुलिस बैंड ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. यहां से सवारी निर्धारित मार्ग से रामघाट पर पहुंची. यहां क्षिप्रा नदी के जल से महाकाल की अभिषेक किया गया.

क्षिप्रा तट पर कैलाश विजयवर्गीय ने किया पूजन
क्षिप्रा तट पर कैलाश विजयवर्गीय ने किया पूजन

2 सालों से छोटे मार्ग से निकाली जा रही है सवारी

पिछले दो सालों से कोरोना के कारण महाकाल की सवारी का मार्ग बदला गया है. छोटे मार्ग के चलते पूरे सवारी मार्ग पर रेड कारपेट बिछाया गया, साथ ही आकर्षक रांगोली भी बनाई गई. इस दौरान सिर्फ अनुमति प्राप्त लोगों को ही सवारी में आने की अनुमति थी. आम लोगों को सवारी में शामिल होने की अनुमति नहीं थी. सवारी के मंदिर में पहुंचने के बाद मंदिर श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया.

'भगवान शिव फैमिली मैनेजमेंट गुरू और शिवपुराण फैमिली मैनेजमेंट का ग्रंथ'

भादौ के तीन सोमवार पर और निकलेगी सवारी

भगवान विष्णु के शयन में जाने के बाद 4 महीने के लिए भगवान शिव सृष्टि की बागडोर अपने हाथों में लेते है. मान्यता है कि इस दौरान सावन और भादौ के महीने में बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं. इसी के तहत सावन के सभी सोमवार और भादौ मास के 3 सोमवार पर महाकाल की सवारी निकाली जाती है. सावन के चारों सोमवार पर सवारी निकाली जा चुकी है. अब भादौ के तीन सोमवार पर बाबा महाकाल मंदिर से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देंगे.

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