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बाबा महाकाल को लगने लगी गर्मी, 11 नदियों के जल से रखा जाएगा ज्योतिर्लिंग को ठंडा-ठंडा, कूल-कूल

बाबा महाकाल को भी गर्मी का एहसास होता है लिहाजा वैशाख-ज्येष्ठ माह की शुरुआत के साथ ही भोलेनाथ को कूल रखने के इंतजाम किए जा रहे हैं. बाबा के लिए मंदिर के पंडित-पुजारियों ने कड़े इंतजाम किए हैं. शिवलिंग के ऊपर 11 नदियों के जल से भरी गलंतिकाएं बांधी गई हैं. इन गलंतिकाओं से बाबा महाकाल के ऊपर ठंडे जल की अविरल धारा बहती रहेगी.

Ujjain mahakal darshan
बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने का जतन
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Published : Apr 7, 2023, 5:37 PM IST

बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने का जतन

उज्जैन। देवों के देव बाबा महादेव को भी गर्मी और सर्दी लगती है. हमेशा से भारत के मंदिरों में बाबा को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग जतन किए जाते हैं ताकि ईश्वर हरेक मौसम में भक्तों से खुश रहें. अपने आराध्य का आशिर्वाद पाने के लिए लोगों ने इस बार भी बाबा महाकाल के दरबार में व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त कर दी हैं. बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए इस बार अलग अलग नदियों के जल का प्रबंध किया जा रहा है. नदियों के शीतल जल से बाबा को हर वक्त ठंडा ठंडा कूल कूल रखा जाएगा.

कौम-कौन सी नदियों का लाया गया जल: बाबा महाकाल से ब्रह्मांड में कोई भी महान नहीं, लिहाजा इनको पवित्रता के साथ स्नान कराने के लिए जिन 11 नदियों का जल लाया गया है वो भी बेहद पवित्र हैं. इन 11 पवित्र नदियों में गंगा, यमुना, नर्मदा, सरयू, सोन, कावेरी, गोदावरी, महानदी, सरस्वती, शिप्रा और ब्रह्मपुत्र शामिल हैं. यहां से लगातार जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

भगवान महाकाल के ऊपर ठंडे जल की ठंड़ी धारा प्रवाहित करने के लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा यानी की आज से 11 गलंतिकाएं बांध दी गई हैं. इन गलंतिकाओं में 11 नदियों का जल भरा गया है. इससे शिवलिंग पर पानी की धारा सतत गिरती रहेगी. मंदिर के पुजारी महेश जी महाराज का कहना है कि भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का हर दिन अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. मौसम के अनुसार बाबा के लिए हमेशा से व्यवस्था की जाती रही हैं. अब गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाबा को गर्मी ना लगे इस लिहाज से इन गलंतिकाओं को बांधा गया है.

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दो माह रहेंगे बाबा महाकाल कूल कूल: महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी की मानें तो शिव एक मात्र ऐसे देवता हैं जिन्होंने विषपान किया था. इसलिए वह कैलाश में वास करते हैं. वैशाख-ज्येष्ठ माह में गर्मी तेज हो जाती है. धूप की किरणें मानो अग्निवर्षा करती हैं लिहाजा इस गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए 2 माह तक बाबा भोलेनाथ के लिए इस तरह का जतन किया जाता है. इसी प्रकार ठंड के मौसम में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा है. यहां चांदी के कलश की जलधारा के अलावा मिट्टी की 11 मटकियों से जलधारा प्रवाहित की जाती है.

बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने का जतन

उज्जैन। देवों के देव बाबा महादेव को भी गर्मी और सर्दी लगती है. हमेशा से भारत के मंदिरों में बाबा को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग जतन किए जाते हैं ताकि ईश्वर हरेक मौसम में भक्तों से खुश रहें. अपने आराध्य का आशिर्वाद पाने के लिए लोगों ने इस बार भी बाबा महाकाल के दरबार में व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त कर दी हैं. बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए इस बार अलग अलग नदियों के जल का प्रबंध किया जा रहा है. नदियों के शीतल जल से बाबा को हर वक्त ठंडा ठंडा कूल कूल रखा जाएगा.

कौम-कौन सी नदियों का लाया गया जल: बाबा महाकाल से ब्रह्मांड में कोई भी महान नहीं, लिहाजा इनको पवित्रता के साथ स्नान कराने के लिए जिन 11 नदियों का जल लाया गया है वो भी बेहद पवित्र हैं. इन 11 पवित्र नदियों में गंगा, यमुना, नर्मदा, सरयू, सोन, कावेरी, गोदावरी, महानदी, सरस्वती, शिप्रा और ब्रह्मपुत्र शामिल हैं. यहां से लगातार जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

भगवान महाकाल के ऊपर ठंडे जल की ठंड़ी धारा प्रवाहित करने के लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा यानी की आज से 11 गलंतिकाएं बांध दी गई हैं. इन गलंतिकाओं में 11 नदियों का जल भरा गया है. इससे शिवलिंग पर पानी की धारा सतत गिरती रहेगी. मंदिर के पुजारी महेश जी महाराज का कहना है कि भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का हर दिन अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. मौसम के अनुसार बाबा के लिए हमेशा से व्यवस्था की जाती रही हैं. अब गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाबा को गर्मी ना लगे इस लिहाज से इन गलंतिकाओं को बांधा गया है.

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दो माह रहेंगे बाबा महाकाल कूल कूल: महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी की मानें तो शिव एक मात्र ऐसे देवता हैं जिन्होंने विषपान किया था. इसलिए वह कैलाश में वास करते हैं. वैशाख-ज्येष्ठ माह में गर्मी तेज हो जाती है. धूप की किरणें मानो अग्निवर्षा करती हैं लिहाजा इस गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए 2 माह तक बाबा भोलेनाथ के लिए इस तरह का जतन किया जाता है. इसी प्रकार ठंड के मौसम में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा है. यहां चांदी के कलश की जलधारा के अलावा मिट्टी की 11 मटकियों से जलधारा प्रवाहित की जाती है.

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